धनबाद(DHANBAD): धनबाद में 'साइलेंट किलर' बन गए है आवारा पशु. शुक्रवार और शनिवार को धनबाद जिले में दो घटनाएं घटी, जो साबित करने के लिए काफी है कि आवारा पशुओं का आतंक अब हद पार कर गया है. शुक्रवार को धनबाद शहर के तेलीपाड़ा में एक लावारिस सांड़ के हमले से एक बुजुर्ग गंभीर रूप से घायल हो गए. बुजुर्ग लक्ष्मी नारायण को इलाज के लिए दुर्गापुर मिशन अस्पताल में भर्ती कराया गया है. जहां उनकी स्थिति गंभीर है. 8 2 वर्षीय लक्ष्मी नारायण टहलने निकले थे कि तेलीपाड़ा सिमलडीह के पास सांड़ ने अचानक उन पर हमला बोल दिया. वह गंभीर रूप से घायल हो गए. इधर शनिवार की रात गोमो- तोपचांची मुख्य मार्ग पर भवानी चौक के पास मोटरसाइकिल सवार की मौत हो गई. मोटरसाइकिल पर सवार दूसरा व्यक्ति गंभीर रूप से घायल है. मोटरसाइकिल पर सवार होकर दो युवक गोमो की ओर जा रहे थे कि एक कुत्ता बीच सड़क पर आ गया.
सड़क पर होता है इनका कब्ज़ा
उनकी मोटरसाइकिल दुर्घटनाग्रस्त हो गई. उपरोक्त दो घटनाएं तो सिर्फ उदाहरण मात्र है. ऐसी घटनाएं धनबाद जिले में लगातार हो रही है. सड़कों पर आवारा पशुओं का कब्जा होता है तो मोहल्ले की सड़कों पर आवारा कुत्ते किसी को चलने नहीं देते. दो पहिया वाहन चालकों को तो ऐसे रगेदते हैं कि अगर चलाने वालों का संतुलन बिगड़ जाये तो जान जानी तय है. आवारा पशुओं को लेकर लगातार आवाजें उठ रही है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती. रात में तो धनबाद शहर की सड़कों पर आवारा कुत्तों का राज कायम हो जाता है. शायद ही कोई गली- मोहल्ला हो, जहां कुत्तों का झुंड लोगों को नहीं परेशान करता हो. आवारा कुत्तों के काटने की घटनाएं भी लगातार बढ़ रही है.
पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ रही है
धनबाद के सरकारी अस्पताल में इलाज कराने पहुंचने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. आवारा कुत्तों की आक्रामकता लगातार बढ़ रही है. कुत्ते बुजुर्ग और बच्चों को अपना निशाना अधिक बना रहे है. सांडों का भी यही हाल है. कुत्तों के काटने की बढ़ रही घटनाएं स्वास्थ्य विभाग को भी परेशान किए हुए है. अस्पताल के कर्मियों की माने तो कुत्ता काटने के सर्वाधिक मामले धनबाद जिले के गोविंदपुर, बलियापुर और टुंडी से आते है. धनबाद शहर की बात की जाए तो अधिकांश मामले कार्मिक नगर, सरायढेला ,घनसार, पुराना बाजार और पांडर पाला के होते है. ऐसे भी मामले आते हैं जिम में भुक्तभोगी के शरीर पर गहरे जख्म के निशान होते है. घाव को ठीक करने के लिए टांके लगाने की जरूरत पड़ जाती है. वैसे नगर निगम की ओर से आवारा कुत्तों पर लगाम लगाने के लिए अस्थाई पशु अस्पताल बनाकर उनका बंध्याकरण किया जा रहा है.
दावे के मुताबिक निगम ने अब तक 5000 कुत्तों का बंध्याकरण किया
दावे के मुताबिक निगम ने अब तक 5000 कुत्तों का बंध्याकरण किया है. कुत्तों का बंध्याकरण पशु निवारण एक्ट के तहत ही किया जाता है. उन्हें जहां से पकड़ना है, बंध्याकरण के बाद वही छोड़ देना है. बंध्याकरण के 72 घंटे तक उन्हें डॉक्टरों की निगरानी में रखना है. दवा के साथ भोजन भी उपलब्ध कराना है. एंटी रेबीज इंजेक्शन भी देना होता है. लेकिन यह प्रयास नाकाफी साबित हो रहा है. धनबाद शहर में आवारा पशुओं के आतंक की कई कहानियां है. हाट - बाजारों में तो ग्राहक भी डरते डरते ही जाते है. बाइक अथवा हाथ में यहां तक कि रिक्शे पर झोला देखकर तेजी से झपट्टा मारते है. फिर तो जिनके हाथ में या वाहन में झोले टंगे होते हैं, वह वैसे ही गिरकर चोटिल हो जाता है. कई जगहों पर तो ऐसे ही मामले सामने आए हैं कि आवारा पशु लोगों को गेंद की तरह उछाल देते है. पशुओं के हमले से कई मौतें भी हो चुकी है.
रिपोर्ट: सत्यभूषण सिंह
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