धनबाद(DHAMNAD): धनबाद में पुलिस को खोजने पर भी एक भी जमीन माफिया नहीं मिले हैं. वैसे पूरे झारखंड में 3213 जमीन माफिया को चिन्हित किया गया है. हजारीबाग रेंज में सबसे अधिक माफिया की पहचान की गई है .इनकी संख्या 1000 से अधिक है. दूसरे स्थान पर रांची और तीसरे स्थान पर पलामू रेंज है. धनबाद और सिमडेगा सहित कई जिलों में पुलिस के आंकड़ों में जमीन माफिया की संख्या शून्य है. झारखंड में बढ़ते अपराध का एक प्रमुख वजह जमीन का कारोबार है. जमीन के कारोबार में नफा -नुकसान के लिए कोई बातचीत नहीं होती, सीधे जान ले ली जाती है. ऐसी कई घटनाएं धनबाद में भी हुई है और अन्य जगहों पर भी हुई है.
रांची रेंज के पांच जिलों में 889 जमीन माफिया चिन्हित
रांची रेंज के पांच जिलों में 889 जमीन माफिया चिन्हित किए गए हैं. कुछ पर कार्रवाई भी हुई है. 104 पर एफआईआर दर्ज की गई है. सीसीए के तहत 35 कार्रवाई की जद में आए हैं. सिर्फ धनबाद ही नहीं ,सिमडेगा, बोकारो, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, जामताड़ा, गोड्डा ,पाकुड़, साहिबगंज और गढ़वा में कोई जमीन माफिया पुलिस के रिकॉर्ड में नहीं हैं .यह आंकड़ा कितना सही है, कितना गलत, इसकी तो जांच से ही पता चल सकता है. लेकिन सूत्र बताते हैं कि झारखंड में कोई भी ऐसा जिला नहीं है, जहां जमीन माफिया अपनी गतिविधियों को अंजाम नहीं दे रहे हैं. वर्ष 2023 में धनबाद में कई हत्याएं हुई हैं, जिनके तार जमीन के कारोबार से जुड़े हुए हैं.
जमीन कारोबारी की हत्या के बाद से ही फरार है प्रिंस खान
और की बात नहीं भी की जाए तो 2021 में जमीन कारोबारी नन्हे हत्याकांड के बाद से ही वासेपुर का कुख्यात प्रिंस खान धनबाद छोड़ दिया. इस संबंध में पुलिस ने कई लोगों को जेल भी भेजा लेकिन प्रिंस खान अभी पुलिस पकड़ से दूर है.अन्य जिलों की बात की जाए तो गिरिडीह जिले में 378 जमीन माफिया चिन्हित किए गए हैं. सरायकेला में 58 लोगों को पहचाना गया है. दुमका रेंज के दुमका में 354 जमीन माफिया चिन्हित किए गए हैं. देवघर में 77 लोग पहचाने गए हैं. लातेहार में 126 लोगों को चिन्हित किया गया है. यह बात अलग है कि जिन लोगों को चिन्हित किया गया है, उनके खिलाफ कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है .कुछ पर सीसीए लगाया गया है तो कुछ पर धारा 107 के तहत कार्रवाई की गई है. जो भी हो लेकिन जमीन माफिया पर अंकुश लगाए बिना झारखंड में अपराध पर नियंत्रण नहीं हो सकता है. जमीन विवाद में जो हत्याएं होती हैं. वह काफी दबंगई से की जाती है. मकसद होता है इलाके में भय और दहशत बनाना.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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