.... तो क्या झरिया पुनर्वास और विकास प्राधिकार अब स्वतंत्र आईएएस के अधीन होगा ,जानिए क्यों नहीं बनी बात


धनबाद(DHANBAD): झरिया पुनर्वास पर शुक्रवार को दिल्ली में हुई बैठक में इसके ड्राफ्ट की नुक्ताचीनी की गई. सवाल पर सवाल दागे गए. इस वजह से रिपोर्ट पर अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका. जल्द ही धनबाद अथवा रांची में बैठक कर उठाई गई आपत्तियों पर चर्चा की जाएगी और उस पर सहमति बनाने की कोशिश होगी. प्रश्न किये गए कि बीसीसीएल 348 इलाके में अपने स्तर से पुनर्वास करेगी, सरेंडर वाले 207 इलाकों में पुनर्वास पैकेज में एकरूपता तब कैसे आएगी, रैयत- गैर रैयत के लिए अलग-अलग पुनर्वास पैकेज हैं, कट ऑफ डेट के आधार भी अलग-अलग हैं, 2009 के पूर्व रहने वालों के लिए अलग पैकेज, 2009 के बाद वालों के लिए अलग पैकेज, 2017-18 के बाद वालों के लिए कोई पैकेज नहीं, रेल-रोड को लेकर ड्राफ्ट रिपेार्ट में कोई जिक्र नहीं है. संबंधित मंत्रालयों मसलन रेलवे, एनएच या फिर राज्य सरकर की सड़कों पर चर्चा नहीं की जा रही है.
डीसी लाइन भी है एक बड़ा मामला
डीसी लाइन भी बड़ा मुद्दा है, संशोधित पैकेज में रैयतों के लिए घर बनाने के लिए जमीन, पुनर्वास को लेकर 7.50 लाख रुपए के अलावा अन्य पुनर्वास पैकेज पांच लाख, ढाई लाख, एक लाख आदि का ड्राफ्ट रिपेार्ट में जिक्र है, ड्राफ्ट रिपोर्ट में 207 क्षेत्रों के लिए सरेंडर शब्द के प्रयोग पर भी बैठक में आपत्ति प्रकट की गई है. उक्त शब्द को हटाने और इन क्षेत्रों में दोबारा माइनिंग कैसे होगी, इस पर सवाल दागे गए. आरडीए(झरिया पुनर्वास एव विकास प्राधिकार) को वित्तीय अधिकार मिले, लेकिन लीगल ऑथोरिटी का मुद्दा उठा, स्वतंत्र आईएएस के हवाले जेआरडीए को करने पर भी चर्चा हुई. इस ड्राफ्ट रिपोर्ट को चर्चा के लिए पेश किया गया.
बीसीसीएल का दावा 595 में 40 इलाके फायर फ्री
उसके अनुसार बीसीसीएल के 595 आग प्रभावित क्षेत्रों में 40 इलाके भूमिगत आग से मुक्त हो चुके हैं. इन इलाकों में अब भूमिगत आग से खतरा नहीं है. शेष 555 आग प्रभावित इलाके अब भी खतरनाक बने हुए हैं. इनमें 348 इलाकों में पुनर्वास का काम बीसीसीएल करेगी, वहीं 207 इलाके बीसीसीएल सरेंडर करेगी. इन 207 क्षेत्रों में रह रही आबादी को सुरक्षित इलाकों में बसाने की जिम्मेदारी जेआरडीए की होगी. बैठक में कैबिनेट सचिव के अलावा कोयला सचिव, झारखंड के मुख्य सचिव, कोल इंडिया चेयरमैन, बीसीसीएल सीएमडी सहित एक्सपर्ट कमेटी के सदस्य शामिल थे. आपको बता दे कि झरिया पुनर्वास योजना देश की सबसे बड़ी योजना है और इसकी अवधि ख़त्म हो गई है.
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