धनबाद(DHANBAD): पूर्व आईपीएस अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल के निधन पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि मन अत्यंत व्यथित है. उनका निधन समाज के लिए बड़ी क्षति है. ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और परिजनों को अपार दुख सहने की शक्ति दे. विधायक सरयू राय ने कहा है कि हनुमान मंदिर के प्रसिद्ध आचार्य पूर्व आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल नहीं रहे. किशोर जी का निधन मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है. वह एक मिसाल बन गए थे. उन पर हमें गर्व है. राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश ने कहा है कि महावीर मंदिर न्यास समिति के संस्थापक सचिव और अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य आचार्य किशोर कुणाल के निधन पर मन व्यथित है. आचार्य किशोर कुणाल के निधन से प्रशासनिक, सामाजिक और धार्मिक क्षेत्र को बड़ी क्षति हुई है. पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा है कि सामाजिक और धार्मिक कार्यों में उनका योगदान अ तुलनी है. ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दे. सच में किशोर कुणाल व्यक्ति नहीं ,एक संस्था बन गए थे. प्रशासनिक और पुलिस कार्यों में राजनीतिक हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करने वाले किशोर कुणाल का व्यक्तित्व इतना बड़ा हो गया था कि वह संस्था बन गए थे. नौकरी से वीआरएस लेकर धार्मिक कार्यो में जुटे और आजीवन उसमे लगे रहे.
एकीकृत बिहार में झारखंड के पलामू जिले में भी वह पदस्थापित रहे
एकीकृत बिहार में झारखंड के पलामू जिले में भी वह पदस्थापित रहे. पलामू के एसपी के रूप में किशोर कुणाल 26 फरवरी 1982 को पदस्थापित हुए थे लेकिन अल्प समय में ही उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बना ली थी. 9 मई 1983 को उनका स्थानांतरण हो गया. अपराधियों के लिए वह दहशत के नाम से जाने जाते थे. पलामू में उन्होंने घुड़सवार पुलिस पेट्रोलिंग की शुरुआत कराई थी. इस पेट्रोलिंग में 6 जवान और एक हवलदार शामिल रहते थे. रात में स्वयं एसपी किशोर कुणाल जीप से पेट्रोलिंग करते थे. पलामू में उस समय अपराध की दुनिया में कई ऐसी हस्ती थी, जिनकी तूती बोलती थी. लेकिन एसपी कुणाल के आगे किसी की नहीं चलती थी. वह आम आदमी के साथ काफी नरमी से पेश आते थे, लेकिन राजनीतिक क्षेत्र के बड़े नेता भी मिलने के पहले 20 बार सोचते थे. बहुत सारे साहसिक कार्य उनके खाते में दर्ज है. वह मूल रूप से गुजरात कैडर के आईपीएस ऑफिसर थे. किशोर कुणाल पटना के एसपी भी बनाये गए थे.
पटना वाले बहुचर्चित श्वेत निशा त्रिवेदी उर्फ बॉबी हत्याकांड को नहीं भूले होंगे
इस दौरान बिहार का सबसे चर्चित श्वेत निशा त्रिवेदी उर्फ बॉबी हत्याकांड हुआ. वह महिला विधानसभा में टाइपिस्ट के रूप में काम करती थी. कई नेताओं के साथ उसके अच्छे संपर्क थे. उस महिला की हत्या कर दी गई थी. एसपी रहते हुए वह देख रहे थे कि घटना तो हुई है लेकिन केस पूरी तरह से ब्लाइंड था. इस केस की चर्चा किशोर कुणाल ने अपनी किताब "दमन तक्षकों" में विस्तार से किया है. बॉबी के शव को दफना दिया गया था. लेकिन यह एक ऐसा मर्डर था, जिसमें सेक्स ,क्राइम और पॉलिटिक्स -यह तीनों ही शामिल थे. किशोर कुणाल के पटना के एसपी बनने के बाद यह मामला अखबारों की सुर्खियां बन गई. ऐसे समाचारों को आधार बनाकर इस मामले में उन्होंने यूडी केस करने का आदेश दिया. तब तक बॉबी की बॉडी दफनाई जा चुकी थी. बावजूद किशोर कुणाल ने दिलेरी दिखाते हुए कब्र खुदवा कर उसमें दफन बॉबी की बॉडी निकलवाई, बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेजा. पोस्टमार्टम से कई खुलासे हुए. कई नाम भी उछले , उस समय किसी ने सोचा भी नहीं था की जांच इतनी तेजी से हो सकती है. किशोर कुणाल ने केवल जांच में तेजी ही नहीं दिखाई बल्कि कई आरोपियों के करीब तक पहुंच गए थे. यह अलग बात है कि इस मामले में किसी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी. मामला सीबीआई के पास चला गया था.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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