धनबाद(DHANBAD) वोकल फॉर लोकल और मेक इंडिया के नारों का धनबाद में तो कम से कम प्रभाव नहीं दिखता है. धनबाद के हार्ड कोक उद्योगों की हालत को देखने के बाद तो यही कहा जा सकता है. यह उद्योग अब दम तोड़ने के कगार पर खड़ा है. धनबाद में हार्डकोक स्थानीय इंडस्ट्री है. इस उद्योग के जरिए सबसे ज्यादा रोजगार सृजन किया जा सकता है. लेकिन केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार, किसी का ध्यान इस महत्वपूर्ण उद्योग पर नहीं है. यह उद्योग फिलहाल कोयला संकट झेल रहा है. कोयला वितरण नीति जो बनाई गई है, वह स्थानीय उद्योगों के हित में नहीं है. ई ऑक्शन के माध्यम से कोयले का वितरण सिर्फ सरकार की मुनाफा नीति है .
हार्डकोर उद्योग अब विदेशी कोयल पर निर्भर
एक समय था जब धनबाद जिले में डेढ़ सौ से अधिक हार्डकोर यूनिट काम करती थी. एक से डेढ़ लाख लोग प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार से जुड़े हुए थे. लेकिन अब संख्या 80 के आसपास रह गई है और वह भी पूरी क्षमता के अनुसार नहीं चलते है.पहले बी सी सी एल,ईसीएल और सीसीएल से हार्ड कोक मालिकों को लिकेज कोयला सस्ती दर पर मिल जाया करता था. उस समय हार्डकोर उद्योग मुनाफे वाला धंधा था, लेकिन अब इस उद्योग को विदेशी कोयल पर निर्भर रहना पड़ता है. लागत अधिक होने के कारण यह उद्योग अब घाटे का सौदा बन गया है. उद्योग मालिकों की संस्था इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स एसोसिएशन लगातार कोयला उपलब्ध कराने की मांग करता रहा है. लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है. ई ऑक्शन से भी जो कोयल मिलता है, वह महंगा होता है. हार्ड कोक उद्योगों की दशा बिगड़ने से धनबाद की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होती है. फिर भी कोई ध्यान नहीं देता है.
इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स एसोसिएशन का 90 वी एनुअल जनरल मीटिंग
आज इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स एसोसिएशन का 90 वी एनुअल जनरल मीटिंग होगी. बैठक में इन्हीं सब मुद्दों पर चर्चा की जाएगी. जो भी हो लेकिन धनबाद में कोयला आधारित उद्योगों की हालत बिगड़ती जा रही है. रिफ्रेक्टरी उद्योग तो खत्म ही हो गए हैं. हार्डकाेक उद्योग गिरते पड़ते चल रहा है लेकिन यह भी कब तक चलेगा, यह कहना बड़ा मुश्किल है. धनबाद में जो भी कारोबारी एक नंबर का कोयला व्यवसाय करना चाहता है, वह अपने हाथ समेट लिए हैं. फिलहाल कोयला चोरी के कारण उन्हें भय बना रहता है कि कब वह भी किसी उलझन में न फंस जाए.
रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो
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