लोकसभा चुनाव का साइड इफेक्ट :पढ़िए झामुमो -कांग्रेस में कैसे शुरू हुआ "लेटर बम" का विस्फोट


TNP DESK: जमशेदपुर में झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस में ठन गई है. आरोप गंभीर हैं, आरोप लगाने वाले जमशेदपुर से लोकसभा में झामुमो के प्रत्याशी विधायक समीर मोहंती है तो सवालों में है जमशेदपुर के कांग्रेस जिला अध्यक्ष आनंद बिहारी दुबे. कहने को तो यह एक जिला का मामला है, लेकिन जिस विवाद की शुरुआत हुई है, यह विवाह आगे और बढ़कर अन्य जिलों से भी फ़ैल जाए तो कोई आश्चयॅ नहीं. यहाँ भी कहना गलत नहीं होगा कि इसी साल के अंत में झारखंड विधानसभा के चुनाव होने है. ऐसे में गठबंधन पर इसका असर तो पड़ सकता है. क्यों कि इसी तरह की बातें अन्य ज़िलों से सामने आए, तो कोई आश्चर्य नहीं. जहां-जहां गठबंधन ने चुनाव लड़ा है, थोड़ी बहुत शिकायत सब जगह से सुनने को मिल रही है.
जमशेदपुर के झामुमो उम्मीदवार ने लगाए है गंभीर आरोप
झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को लिखे गए पत्र में बहरागोड़ा के विधायक और जमशेदपुर से झारखंड मुक्ति मोर्चा के लोकसभा प्रत्याशी समीर कुमार मोहंती ने कहा है कि चुनावी रणनीति के तहत जमशेदपुर लोकसभा के अंतर्गत आने वाले पूर्वी जमशेदपुर विधानसभा के मैनेजमेंट की जिम्मेवारी कांग्रेस के जिला अध्यक्ष आनंद बिहारी दुबे को दी गई थी. प्रति बूथ 6000 की दर से बूथ खर्च, कार्यक्रम और रैली के लिए उन्हें लगभग 25 लाख रुपए भी दिए गए थे. उनका कर्तव्य था कि वह गठबंधन धर्म का पालन करते हुए तमाम सहयोगी पार्टियों के कार्यकर्ताओं के साथ कोआर्डिनेशन स्थापित कर काम करते, लेकिन उन्होंने झामुमो के कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की. जिस वजह से असंतुष्ट झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं के लिए अतिरिक्त राशि का इंतजाम करना पड़ा. मतदान के दिन क्षेत्र भ्रमण के दौरान इस बात का पता चला कि पूर्वी जमशेदपुर विधानसभा के अधिकतर बूथों पर एजेंट तक नहीं बैठे थे. तब मुझे पता चला कि पूरी तरह से लापरवाही बरती गई है.
अधिकतर बूथों पर नहीं बैठाई गई थी बूथ समिति
कुछ कार्यकर्ताओं ने यह भी बताया कि आपके द्वारा बूथ खर्च के रूप में प्रति बूथ दिए गए ₹6000 में से केवल ₹4000 ही बांटे गए. इतना ही नहीं , अधिकतर बूथों पर रुपए भी नहीं दिए गए और न हीं बूथ कमेटी को बैठाया गया. पत्र में उन्होंने यह भी लिखा है कि जीत -हार अपनी जगह है, किसी विधानसभा से आगे -पीछे होना भी अलग बात है. पर कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी के जिला अध्यक्ष के पद पर होकर ऐसी हरकत करना पूरे संगठन को कलंकित करने जैसा है. उन्होंने पार्टी से आग्रह किया है कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाए और जिम्मेदार लोगों को चिन्हित कर कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए. पत्र में कहा गया है कि चंद महीने बाद ही विधानसभा चुनाव होने हैं, अगर वक्त रहते अपने-अपने संगठन से ऐसे दागी लोगों को नहीं हटाया गया, तो आगे दुष्परिणाम झेलने पड़ सकते है. पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री चंपई सोरेन, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव के सी वेणुगोपाल, झारखंड के कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर, झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव विनोद कुमार पांडेय को भी दी गई है.
आनंद बिहारी दुबे ने आरोपों से किया इंकार
इधर, आनंद बिहारी दुबे खुद पर लगे आरोपों को बे बुनियाद बताते है. उनका कहना है कि खुद पर लगे आरोपों से आश्चर्यचकित हू , कोई प्रत्याशी ऐसा आरोप कैसे लगा सकता है. जरूरत पड़ने पर अपनी बात उचित प्लेटफार्म पर रखूंगा, जो भी हो लेकिन गठबंधन में एक नए विवाद का ट्रेंड शुरू हो गया है. यह विवाद अगर दूसरे जिलों तक फैले, तो कोई आश्चर्य नहीं. नवंबर या दिसंबर में इसी साल झारखंड विधानसभा का चुनाव होना है. विधानसभा चुनाव में भी झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद गठबंधन में ही चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में अगर इन आरोपों पर गंभीरता नहीं दिखाई गई तो जमशेदपुर से निकली यह "आग" और बढ़ सकती है. पार्टी नेताओं को संकट में डाल सकती है. देखना है आगे आगे होता है क्या.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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