टीएनपी डेस्क (TNP DESK): सम्मेद शिखर को लेकर झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने लिखा पत्र. राज्यपाल ने जैन धर्म के पवित्र स्थल सम्मेद शिखर जी को तीर्थ स्थल ही रहने देने के संबंध में केंद्रीय पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखा है. उन्होंने इस पत्र में कहा है कि यह मामला जैन समाज की भावनाओं से जुड़ा हुआ है. इसे ध्यान में रखकर इस विषय पर पुनर्विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा है कि पर्यावरण मंत्रालय ने इसे वन्यजीव अभ्यारण घोषित कर इको सेंसेटिव जोन में रखा है. वहीं, झारखंड सरकार ने इसे पर्यटन क्षेत्र घोषित किया है. इस क्षेत्र में मांस मदिरा पान की शिकायतें मिल रही है. यह जैन धर्मावलंबियों का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है. इसे पर्यटन स्थल घोषित करने पर जैन धर्मावलंबियों का मानना है कि इससे इस क्षेत्र की पवित्रता भंग होगी. बता दें सम्मेद शिखर को लेकर मामला शांत होता नहीं दिख रहा. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ये बयान तो दे दिया कि वे श्री सम्मेद शिखरजी को कभी पर्यटन स्थल घोषित नहीं होने देंगे. लेकिन इस मामले में अबतक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. सम्मेद शिखर जी को लेकर जैन समुदायों में काफी आक्रोश देखा जा रहा. अपने पवित्र स्थल की शुचिता भंग होने के कारण भक्त पूरे देश में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. बता दें सम्मेद शिखरजी जैन समुदाय का सबसे बड़ा और पवित्र तीर्थ स्थल है. जैन समुदाय के अनुसार शिखर जी से भगवान पारस नाथ मोक्ष को गए थे. उनके चरण आज भी सम्मेद शिखर जी की सबसे बड़ी टोक पर स्थित है. देशभर से लाखों जैन समुदाय के लोग यहां दर्शन करने आते हैं. सम्मेद शिखर जी झारखंड के गिरिडीह में स्थित है. इस पवित्र स्थल को झारखंड सरकार ने टूरिज्म स्पॉट बनाने के लिए प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है. जैन समाज इसी का विरोध कर रही है. जैन समाज की मांग है कि तीर्थ क्षेत्र को तीर्थ ही रहने दिया जाए. जिससे इस स्थल की पवित्रता बनी रहे.
अबतक पर्यटन स्थल की सूची में है सम्मेद शिखर जी
वहीं हेमंत सरकार अभी तक सम्मेद शिखर को पर्यटन की सूची से बाहर नहीं किया है. अब तक सम्मेद शिखर को लेकर कोई प्रपोजल भी तैयार नहीं किया गया है. वहीं हेमंत सरकार ने बयान तो दिया है की इसे पर्यटन स्थल नहीं बनने देंगे लेकिन इस मामले में अबतक कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं हुई है. हां, इतना जरूर है कि देशभर में हो रहे प्रदर्शन के बाद इसे धार्मिक पर्यटन क्षेत्र बनाने पर सरकार विचार कर रही है. झारखंड के पर्यटन सचिव मनोज कुमार के अनुसार पर्यटन की सूची से नाम हटा लेना या नोटिफिकेशन हटा लेना कोई समाधान नहीं है. पर्यटन विभाग इसके एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव बना रहा है. इसमें पर्यटन स्थल को जैनों के धार्मिक पर्यटन क्षेत्र के रूप में परिभाषित किया जाएगा. ऐसा करके यहां की व्यवस्थाएं बेहतर की जा सकेंगी.
सम्मेद शिखर को लेकर नही हुआ है जारी कोई आदेश
इसी बीच मीडिया में खबर चली कि सम्मेद शिखर जी को पर्यटन सूची से बाहर कर दिया गया है इस सोशल मीडिया मे वायरल वीडियो जिसमें, आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महाराज एक पर्ची पढ़कर सरकार के हवाले से जैन तीर्थ सम्मेद शिखर जी को पर्यटन की सूची से हटाने की जानकारी दे रहे थे. उन्होंने इसके लिए सबको बधाई भी दी थी असल में ये एक गलतफहमी थी. अभी तक आधिकारिक रूप से सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल से बाहर करने की कोई जानकारी नही आई है. इस मामले में विद्यासागर जी के शिष्य ने कहा- गलतफहमी हो गई थी हो गई थी. बिना किसी ठोस जानकारी के चैनल पर चल रही गलत जानकारी की तहकीकात किए बगैर एक श्रद्धालु ने आचार्य विद्यासागर जी महाराज को पर्ची दे दी थी. आचार्यश्री ने उसे पढ़ दिया जिस कारण यह गफलत हुई. फिलहाल झारखंड सरकार ने सम्मेद शिखर जी को पर्यटन क्षेत्र से मुक्त करने संबंधी कोई आदेश जारी नहीं किया है. इधर जैन समाज का जो आंदोलन चल रहा है वह आगे और व्यापक रूप लेने की संभावना है. इधर इस मसले पर सम्मेद शिखर में विराजित मुनिश्री प्रमाण सागरजी ने कहा कि सम्मेद शिखर इको टूरिज्म नहीं इको तीर्थ होना चाहिए. सरकार पूरी परिक्रमा के क्षेत्र और इसके 5 किलोमीटर के दायरे के क्षेत्र को पवित्र स्थल घोषित करे, ताकि इसकी पवित्रता बनी रहे.
जल्द निर्णय लेगी झारखंड सरकार
भारत सरकार के महानिदेशक सी पी गोयल ने झारखंड के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को पत्र लिखकर जैन समुदाय की ओर से मिली आपत्तियों पर विचार करने को कहा है. पत्र में इस बात का उल्लेख है कि पारसनाथ अभयारण्य जैन समुदाय का बड़ा पवित्र केंद्र है. यहां पर ई एस जेड अधिसूचना में शामिल कई आधारभूत संरचना के विकास की गतिविधि जैन समुदाय की भावना को ठेस पहुंचा रही हैं. झारखंड सरकार के इस कदम का विरोध कई स्थानों पर हो रहा है. देश के कई राज्यों में इस विषय को लेकर जैन समुदाय विरोध दर्ज करा रहा है. उल्लेखनीय है कि जैन धर्म की मान्यता के अनुसार उनके 24 तीर्थकर में से 20 तीर्थकरों और अन्य मुनिराजों ने यहां तपस्या कर निर्वाण प्राप्त किया है. झारखंड सरकार इस मुद्दे पर बहुत गंभीर है और जल्द ही इस पर सकारात्मक निर्णय लेगी.
एक्ट में होगा बदलाव सरकार बनाएगी कमेटी !
वहीं पर्यटन सचिव मनोज कुमार ने बताया कि श्रद्धालुओं की मांग के अनुसार हम लोग एक्ट में बदलाव करने के लिए तैयार हैं. इस एक्ट में संशोधन कर के इस स्थल को धार्मिक-जैन तीर्थ स्थल कर रहे हैं, लेकिन जब टूरिज्म एक्ट लागू नहीं रहेगा, सरकार कुछ मदद नहीं कर पाएगी. अगर वो लोग अपने हिसाब से यहां मांस-मदिरा पर प्रतिबंध लगाना चाहेंगे, तब स्थानीय स्तर पर इसका विरोध होता रहेगा. लेकिन यही अगर सरकार की अथॉरिटी लागू करेगी तो लोगों को हर हाल में इसे मानना होगा. हर मंदिर और तीर्थस्थल के लिए एक अथॉरिटी होती है. वे मंदिर प्रबंधन समिति के साथ मिलकर काम करते हैं. यहां भी हम अथॉरिटी में जैन धर्म के 6 लोगों को शामिल करेंगे. उनके हिसाब से ही यहां चीजें लागू करेंगे. वैसे भी यह इको सेंसिटिव जोन घोषित है, तो विकास कार्य तो ज्यादा यहां वैसे भी नहीं हो पाएंगे.
बनाया गया है 250 पन्नों का मास्टर प्लान
पहले ही सरकार ने पारसनाथ डेवलपमेंट अथॉरिटी बनाई है. इन्हीं की अनुशंसा पर यहां नियमों का निर्माण और पालन होता है. इस विवाद के बाद अब इसी अथॉरिटी को मजबूत बनाया जाएगा. हमारी कोशिश होगी कि जैन धर्म को नहीं मानने वाले लोग यहां नहीं जाएं. यदि जाएं तो जैन धर्म के सभी धार्मिक नियमों का पालन करें. इस अथॉरिटी को ये शक्ति और अधिकार दिया जाएगा कि वह किसी भी तरह का आदेश विशिष्ट क्षेत्र में दे सकेगी. लेकिन इस अथॉरिटी के लागू होने के लिए क्षेत्र को टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में नोटिफाइड नॉन जरूरी होगा. इधर गिरिडीह के उपयुक्त नमन प्रियेश लकड़ा ने बताया पारसनाथ डेवलपमेंट अथॉरिटी ने 250 पन्नों का मास्टर प्लान बनाया गया है. यह लोगों की सुविधाओं को विकसित किया जाएगा. इसमें 9 किलोमीटर के वंदना पथ को बेहतर बनाना, इनका चौड़ीकरण, बायो टॉयलेट्स का निर्माण, वुडन बेंच लगाना शामिल है.
2019 में मिली थी पर्यटन की मंजूरी
बता दें जैन समुदाय के लिए सम्मेद शिखर एक महत्वपूर्ण पवित्र धार्मिक स्थल है. जैन समुदाय के लोग इस क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के राज्य सरकार के कदम का पुरजोर विरोध कर रहे हैं. झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ियों पर सम्मेद शिखरजी जैन समुदाय का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है. इस संबंध में भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव के आलोक में अगस्त 2019 में पारसनाथ अभ्यारण के आसपास एक पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र स्वीकृत किया था और पर्यावरण पर्यटन गतिविधियों को मंजूरी दी थी.
जानिए क्या है विवाद की वजह
कुछ दिनों पहले सम्मेद शिखर के आसपास का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें कुछ युवक शराब पीते हुए मस्ती करते नजर आ रहे थे. इसके बाद से ही जैन धर्मावलंबियों का विरोध और मामले को लेकर विवाद शुरू हो गया था. मालूम हो कि सम्मेद शिखर के आसपास के इलाके में मांस-मदिरा की खरीदी-बिक्री और सेवन प्रतिबंधित है. बावजूद इसके सम्मेद शिखर के आस पास कुछ दिन पहले शराब पीते युवक का वीडियो वायरल हुआ था. धर्मस्थल से जुड़े लोगों का मानना है कि पर्यटन स्थल घोषित होने के बाद से जैन धर्म का पालन नहीं करने वाले लोगों की भीड़ यहां बढ़ी. यहां मांस-मदिरा का सेवन करने वाले लोग आने लगे.
पवित्र तीर्थ है सम्मेद शिखर
बता दें सम्मेद शिखर जैनियों के लिए एक पवित्र धार्मिक स्थल है. जैन इसे पवित्र कैलाश की तरह ही मानते हैं एवं स्थान पर जैनियों का पवित्र तीर्थ शिखरजी स्थापित है. सबसे अहम बात इस पुण्य क्षेत्र में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की. इसी सम्मेद शिखर पर 23 वें तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ ने भी निर्वाण प्राप्त किया था. जो की जनियों के भगवान संत माने जाते हैं. इस शिखर को लेकर जैनियों मे पार श्रद्धा है इसलिए इस पवित्र पर्वत के शिखर तक श्रद्धालु पैदल या डोली से जाते हैं. प्रकृति के सुंदर नजरों के बीच जंगलों, पहाड़ों के दुर्गम रास्तों से गुजरते हुए नौ किलोमीटर की यात्रा तय कर के भक्त शिखर पर पहुंचते हैं. बता दें 2019 में केंद्र सरकार ने सम्मेद शिखर को इको सेंसिटिव जोन घोषित किया था. इसके बाद झारखंड सरकार ने एक संकल्प जारी कर जिला प्रशासन की अनुशंसा पर इसे पर्यटन स्थल घोषित किया.
जबतक लिखित कार्रवाई नहीं, जारी रहेगा आंदोलन
इधर आंदोलन करने वाले जैन श्रद्धालु अपनी मांग पर अड़े हुए है उनकी मांग है की केंद्र सरकार तत्काल सम्मेद शिखर को पर्यटन क्षेत्र से मुक्त करें जब तक ऐसा नहीं होगा आंदोलन जारी रहेगा. जब तक केन्द्र सरकार अपना नोटिफिकेशन बापिस नहीं लेती है. तब तक यह आंदोलन बापिस नहीं लिया जाना चाहिये. तो वहीं विश्व जैन संगठन का कहना है कि श्री सम्मेद शिखर जी के संरक्षण हेतु जारी विश्वव्यापी ‘श्री सम्मेद शिखर जी बचाओ आंदोलन’ की प्रमुख मांगो को केंद्र सरकार और झारखण्ड सरकार द्वारा संशोधन किये जाने की जानकारी प्राप्त हुई है लेकिन लिखित कार्यवाही होने तक आंदोलन जारी रहेगा.
जानिए क्या है मान्यता
इस पवित्र सम्मेद शिखर जी को लेकर जैन समाज की मान्यता है कि जिस तरह से गंगा जी में डूबकी लगाकर लोगों के पाप धुल जाते है, ठीक वैसे ही शिखर जी की वंदना करके पापों का नाश होता है. बता दें शिखर जी में 27 किलोमीटर की वंदना है, जिसमें कई मंदिर स्थापित हैं. पारसनाथ पहाडी झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित पहाड़ियों की एक श्रृंखला है. यह की उच्चतम चोटी 1350 मीटर है. यह जैन के लिए सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थल केंद्र में से एक है. वे इसे सम्मेद शिखर कहते हैं. 23 वें तीर्थंकर के नाम पर पहाड़ी का नाम पारसनाथ रखा गया है. 20 जैन तीर्थंकरों ने इस पहाड़ी पर मोक्ष प्राप्त किया. उनमें से प्रत्येक के लिए पहाड़ी पर एक मंदिर है. पहाड़ी पर कुछ मंदिर 2,000 साल से अधिक पुराने माना जाता है. हालांकि यह जगह प्राचीन काल से बनी हुई है. जैन तीर्थ श्रीसम्मेद शिखरजी को पर्यटन क्षेत्र घोषित करने को लेकर जैन समाज में जबरदस्त आक्रोश है. जगह-जगह जैन समाज के लोग विरोध प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज करा रहे है. इस विवाद को लेकर पूरे देश में विरोध दर्ज हो रहा है.
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