टीएनपी डेस्क(TNP DESK): महिला के बिना इस संसार की कल्पना करना भी मुश्किल है, स्त्री संसार की आधी आबादी है, आज की महिला एक पुरुष के सामान ही हर क्षेत्र में बेहतरीन काम कर रही है, किसी मायने में आज महिला कम नहीं है.इस संसार के विकास और प्रगति में जितना योगदान पुरुष का है उतना ही योगदान एक स्त्री का भी है.21वीं सदी के आने के बाद भी महिलाओं को कई जगह पर समान अधिकार नहीं मिल पाता है, जिसके बाद संघर्षशील महिलाएं सामाज की कुरुतियों की बेड़ियों को तोड़ते हुए घर की दहलीज से बाहर निकलती है, और अपने साथ अपने देश का नाम पूरे विश्व में रौशन करती है, आज अंतरॉष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आपको कुछ ऐसी ही महिलाओं के बारे में बतायेंगे, जिन्होने अपनी मेहनत के दम पर समाज में एक मुकाम हासिल किया है.
लोहे जैसे बुलंद हौसले ने इन महिलाओं को दिलाई सफलता
जमशेदपुर यानी लौहनगरी को कौन नहीं जानता है, झारखंड के इस शहर को देश के साथ विदेशों में भी जानते है, यहां का लोहा और स्टील विश्व में प्रसिद्ध है, लेकिन आज हम इसके बारे में बात नहीं करेंगे, आज हम यहां की कुछ ऐसी तीन महिलाओं के बारे में बात करेंगे, जिनकी लोहे जैसे बुलंद हौसले ने उनको वहां पहुंचा दिया, जिसके बारे में लोग सोच भी नहीं सकते है, इन तीन महिलाओं ने ये साबित कर दिया कि यदि आप कुछ करना चाहते है, तो दुनिया की कोई ताकत आपको सफल होने से रोक नहीं सकती है.अपने अपने क्षेत्र में इतना अच्छा और बेहतरीन काम किया कि जिससे देश के साथ विदेश में भी लोग इनको जानने लगे,और बहुत ही सम्मान के साथ इनका नाम लिया जाता है, आज ये कई महिलाओं की प्रेरणा है.
प्रेमलता अग्रवाल, तनुश्री दत्ता और अरुणा मिश्रा ने रौशन किया झारखंड का नाम
जमशेदपुर की इन तीन महिलाओं में प्रेमलता अग्रवाल, तनुश्री दत्ता और अरुणा मिश्रा का नाम टॉप पर आता है.तीनों ने अपने अपने फिल्ड में अलग मुकाम हासिल किया है.तो चलिए सबसे पहले बात करते है प्रेमलता अग्रवाल की. प्रेमलता अग्रवाल एक ऐसी महिला पर्वतारोही है जिन्होने अपने उम्र के तीसरे दसक के बाद पर्वतारोही के रुप में अपना करियर बनाने की शुरुआत की, और अपनी लगन मेहनत की वजह से सफल भी हुई. प्रेमलता अग्रवाल एक पर्वतारोही हैं. यह एक शब्द ही उनके जीवन की महान उपलब्धियों को बताने के लिए काफी है.
प्रेमलता दुनिया की सात सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़नेवाली पहली भारतीय महिला हैं
प्रेमलता सेवन समिट्स यानि दुनिया की सात सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला हैं. वहीं दुनिया की 5वीं महिला है.वहीं आपको बता दें कि सबसे बड़ी बात ये है कि प्रेमलता जमशेदपुर की रहनेवाली है. प्रेमलता दुनिया की पहली महिला पर्वतारोही बछेंद्री पाल से प्रेरित होकर उनके ही मार्गदर्शन में अपने करियर की शुरूआत की,वहीं प्रेमलता को साल 2013 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया. इसके साथ ही प्रेमलता तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार की विजेता भी हैं.वहीं आपको बता दें कि प्रेमलता अग्रवाल का जन्म 1963 में जमशेदपुर शहर के जुगसलाई में हुआ था.
अरुणा मिश्रा झारखंड पुलिस में इंस्पेक्टर पद पर स्पेशल ब्रांच में तैनात हैं
वहीं जमशेदपुर दुसरी सबसे ताकतवर महिला अरुणा मिश्रा की बात करें, तो इन्होने मक्केबाजी के क्षेत्र में विश्व में अपनी एक अलग ही मुकाम हासिल किया. अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाज़ अरुणा मिश्रा का जीवन साधारण नहीं रहा. अरुणा ने अपने मुक्केबाजी के करियर के दौरान 17 सालों में जितना संघर्ष किया और उलझनों, बाधाओं का सामना किया, यदि दुसरी महिला होती, तो टूटकर बिखर जाती, लेकिन अरुणा मिश्रा ने हार नहीं मानी, आज इनकी उम्र लगभग 45 साल है, इनका जन्म 1979 में जमशेदपुर में हुआ था. फिलहाल अरुणा मिश्रा झारखंड पुलिस में इंस्पेक्टर पद पर स्पेशल ब्रांच में तैनात हैं.प्रेमलता की दो बेटियां है, जब ये छोटी थी, तो इनको छोड़कर मुक्केबाजी करने जाना अरुणा के लिए आसान नहीं था, लेकिन इन्होने एक बार नहीं कई बार बेटियों को घर पर छोड़कर रिंग में उतरी और मेडल भी अपने नाम किया.
तनुश्री को बचपन से ही एक्टिंग का शौक था
जमशेदपुर ने देश को मुक्केबाज और पर्वतारोही के साथ देश को एक एक्ट्रैस भी दिया है, हम बात कर रहे है बॉलीवुड एक्ट्रैस तनुश्री दत्ता की. तनुश्री का जन्म 19 मार्च 1984 झारखंड के जमशेदपुर में एक बंगाली परिवार में हुआ था.तनुश्री को बचपन से ही एक्टिंग का शौक था.वहीं2004 में मिस इंडिया का खिताब जीतने के बाद उन्होंने एक्टिंग में करियर बनाने का फैसला किया. तनुश्री दत्ता को पहली बार 2005 ब्रेक मिला. इन्हे इमरान हासमी के साथ फिल्म ‘आशिक बनाया आपने’ और ‘चॉकलेट’ फिल्म में काम करने का मौका मिला.वहीं इसके बाद कई अच्छी फिल्मों जैसे भागम भाग, ढ़ोल जैसी फिल्मों में तनुश्री को काम मिला, जिसमे उन्होने अपनी काबलियत को साबित किया.
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