रांची(RANCHI): ग्रामीण कार्य विभाग विशेष प्रमंडल के चीफ इंजीनियर रह चुके वीरेंद्र कुमार राम फिलहाल ईडी की गिरफ्त में है और जेल में समय काट रहे हैं. वीरेंद्र कुमार राम पर आरोप है कि उन्होंने कथित रूप से विभागीय काम देने के एवज में खूब रिश्वत कमाए हैं. उनके पास अकूत संपत्ति होने की सूचना पर ही ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने छापेमारी की तो सारा कुछ सामने आ गया है.
हर सरकार में मलाईदार विभाग में करते रहे थे काम
प्रवर्तन निदेशालय ने वीरेंद्र कुमार राम को रिमांड पर लेकर उनसे पूछताछ भी की है. आगे भी उनसे पूछताछ हो सकती है. राज्य सरकार ने वीरेंद्र कुमार राम को निलंबित कर दिया था. वीरेंद्र कुमार राम सिंचाई विभाग के इंजीनियर थे लेकिन प्रतिनियुक्ति पर वे ग्रामीण कार्य विभाग में तैनात किए गए थे. ग्रामीण कार्य विभाग विशेष प्रमंडल में वीरेंद्र कुमार राम की चलती थी. विभागीय काम कैसे और किसे दिया जाना है, यह वह तय करते थे. सत्ता के शीर्ष पर बैठे हुए लोगों की इच्छा का वे भरपूर ख्याल रखते थे. इस कार्य में दक्ष होने की वजह से ही वीरेंद्र कुमार राम हर सरकार में मलाईदार विभाग में काम करते रहे.
नए सिरे से किया जा रहा है री टेंडर
लेकिन वीरेंद्र कुमार राम की गिरफ्तारी के बाद से ग्रामीण कार्य विभाग थोड़ा सहमा हुआ है.विभाग भी चाहता है कि वीरेंद्र कुमार राम के भूत से पीछा छुड़ा लिया जाए. चीफ इंजीनियर के पद पर रहते हुए मिस्टर राम ने जितने भी काम को अवार्ड किया था यानी टेंडर फाइनल किया था,उन सब को कैंसिल कर दिया गया है. नए सिरे से फिर से री टेंडर किया जा रहा है.
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वीरेंद्र कुमार राम के द्वारा किए गए टेंडर संबंधी काम को नए सिरे से करने का फैसला इसलिए लिया गया ताकि पूरी पारदर्शिता के साथ टेंडर हो सके. सोलह सौ करोड़ रुपए से अधिक की योजनाओं के टेंडर वीरेंद्र कुमार राम के समय प्रक्रियाधीन थे. उन सब को रद्द कर दिया गया है. जानकारी के अनुसार 154 पुल, 200 सड़क परियोजनाएं, 99 बीडीओ, सीओ आवास के निर्माण का टेंडर सारा कुछ नए सिरे से कराया जा रहा है. यह अंदेशा विभाग को रहा है कि वीरेंद्र कुमार राम टेंडर फाइनल करने में सेटिंग-गेटिंग करके तो नहीं चले गए हैं.
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