धनबाद(DHANBAD): 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर झारखंड में कांग्रेस के परफॉर्मेंस से राहुल गांधी खुश नहीं है. सूत्रों के अनुसार उन्होंने इस उपलब्धि को फेल की संज्ञा दी है. सोमवार को कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल के साथ झारखंड प्रदेश के आला नेताओं के साथ दिल्ली में बैठक हुई. बैठक में कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व को जिम्मेवारी भी दी गई है. आलाकमान ने स्पष्ट कर दिया है कि अगले 3 महीने में संगठन के साथ-साथ चुनाव अभियान चलाया जाए. केंद्रीय नेतृत्व का कहना था कि पार्टी नेता विधानसभा चुनाव के मुद्दों पर एकदम स्पष्ट रहे. पार्टी नेताओं की लाइन एक ही हो. कहीं कोई भ्रम ना रहे. प्रदेश नेतृत्व से लेकर बूथ तक के कार्यकर्ताओं के बीच मुद्दों की स्पष्टता रहे. बैठक में मंत्रियों के काम पर भी सवाल उठे. मंत्रियों को हिदायत दी गई कि संगठन के काम में भी लगे. संगठन के कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले. प्रदेश के कुछ नेताओं की शिकायत थी कि मंत्री संगठन के कामों में रुचि नहीं लेते है. अब देखना है कि इस निर्देश के बाद विधानसभा चुनाव में कांग्रेस किस तरीके से चुनाव में जाती है. इस बीच यह भी चर्चा तेज है कि प्रदेश नेतृत्व में विधानसभा चुनाव के पहले परिवर्तन हो सकता है.
जेपी भाई पटेल का प्रयोग भी हो गया फेल
भाजपा से तोड़कर जेपी भाई पटेल को कांग्रेस में लाने और उन्हें हजारीबाग से चुनाव लड़ाने का प्रयोग भी फेल कर गया , कांग्रेस हजारीबाग से चुनाव हार गई. 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 7 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. जिन में से दो पर कांग्रेस को जीत मिली. जिसमें खूंटी लोकसभा सीट तो उम्मीदवार की सक्रियता का परिणाम बताया जाता है. जो भी हो, लेकिन कांग्रेस भी विधानसभा चुनाव में कमर कसे हुए हैं और 2019 में जीते विधायकों की सीट पर लोकसभा चुनाव में आए वोटो की महीन गणना चल रही है. प्रदेश कमेटी को यह भी निर्देश मिल गया है कि झारखंड के नए सीएलपी लीडर कौन होगा. आलमगीर आलम की जगह खाली हुए मंत्री पद किसे मिलेगा. सूत्र तो यह भी बता रहे हैं कि नाम फाइनल आला कमान कर दिया है. प्रदेश के नेता रांची लौटते ही इसकी घोषणा कर सकते है. इस बार कांग्रेस झारखंड में 33 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. वैसे 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 31 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. और 16 पर जीती थी. उसके बाद जेवीएम के दो विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए. उनमे बंधु तिर्की और प्रदीप यादव शामिल है. फिर बंधु तिर्की के खिलाफ कोर्ट का फैसला आया और उनकी विधायकी चली गई. लेकिन उन्ही की सीट पर कांग्रेस के सिंबल से उनकी बेटी नेहा तिर्की चुनाव लड़ी और वह चुनाव जीत गई.
कांग्रेस के पास खुद के सिंबल पर लड़े 17 विधायक है
इस प्रकार कांग्रेस के पास खुद के सिंबल पर लड़े 17 विधायक है. अगर जयप्रकाश भाई पटेल को भी शामिल कर लिया जाए, तो 2024 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस झारखंड के 81 में से 33 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. लेकिन लोकसभा चुनाव में जिन विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस को प्रतिद्वंदी से कम वोट आये है ,वह सभी सीटें खतरे की घंटी बजा रही है. कांग्रेस 20 से लेकर 22 सीटों पर लोकसभा चुनाव में पीछे गई है. अगर कांग्रेस के विधायक अपने -अपने क्षेत्र में गठबंधन के प्रत्याशी को बढ़त नहीं दिला सके तो इसका तो यही मतलब निकाला जाएगा कि या तो विधायकों ने रूचि नहीं ली या उनका ग्राफ ढलान पर है. 2024 के लोकसभा चुनाव में झारखंड के कांग्रेस कोटे के कई मंत्री भी अपने विधानसभा क्षेत्र में गठबंधन के प्रत्याशी को बढ़त नहीं दिला सके.झारखंड का विधानसभा चुनाव इंडिया ब्लॉक के लिए "करो या मरो" का प्रश्न है तो एनडीए भी तैयारी में जुट गया है. झारखंड में अभी गठबंधन की सरकार चल रही है. 2019 में अपदस्त हुई भाजपा, इस बार फिर से सत्ता पाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी तो इंडिया ब्लॉक के लिए भी झारखंड पर काबिज रहना महत्वपूर्ण होगा. देखना है आगे- आगे होता है क्या.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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