धनबाद(DHANBAD): पढ़िए झरिया पर प्रदूषण का कहर - बच्चे ,बुजुर्ग और नौजवान क्यों मांग रहे "क्लीन एयर" काले हीरे की राजधानी झरिया में प्रदूषण की स्थिति दिन प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है. प्रदूषण और धूलकण से झरिया कोयलांचल के लाखों लोगों की जान आफत में है. लोग गंभीर बीमारी के शिकार हो रहे हैं ,लेकिन ना तो सरकार और न हीं झरिया शहर की कोयले के रूप में "खून चूसने "वाली बीसीसीएल और न हीं झरिया शहर की राजनीति करने वाले लोग इसके प्रति गंभीर दिखते है. ऐसी बात नहीं है कि इसकी रिपोर्ट सरकार के पास नहीं है, लेकिन कोयला निकालने के चक्कर में किस्तों में शहर का "कत्ल" किया जा रहा है. प्रदूषण ने झरिया को नरक बना दिया है. लोगों को सांस लेने में मुश्किल हो रही है.
झरिया के लोगों की आयु घटा रहा प्रदूषण
झरिया में प्रदूषण के खिलाफ ग्रीन लाइफ एवं यूथ कॉन्सेप्ट का आंदोलन लगातार जारी है. लेकिन इनकी आवाज़ "तूती की आवाज" साबित हो रही है. हालांकि इनका प्रयास जारी है. इन संस्थाओं की घोषणा है कि जब तक झरिया का प्रदूषण खत्म नहीं हो जाता ,आंदोलन करते रहेंगे. अधिकारियों का ध्यान खींचते रहेंगे, जनप्रतिनिधियों को आईना दिखाते रहेंगे. मंगलवार को ग्रीन लाइफ एवं यूथ कॉन्सेप्ट के संयुक्त तत्वावधान में एक बड़ी बैठक की गई. जिसमें शहर वासियों ने भागीदारी की. निर्णय लिया गया कि "रन फॉर क्लीन एयर" के लिए 14 दिसंबर को झरिया दौड़ेगी. इस कार्यक्रम से सरकार बीसीसीएल और जिला प्रशासन का ध्यान खींचा जाएगा. इस कार्यक्रम को लेकर प्रचार करने का भी निर्णय लिया गया है. विशेष बात यह रही कि इस बैठक में झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह के प्रतिनिधि के डी पांडे भी मौजूद थे और उन्होंने जिला प्रशासन, बीसीसीएल के सीएमडी और प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे लोगों के साथ त्रिपक्षीय वार्ता का सुझाव दिया. कुल मिलाकर झरिया में प्रदूषण के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बज गया है.
मुट्ठी भर लोग ही सही, झरिया को बचाने के लिए सड़क पर आ गए है
मुट्ठी भर लोग ही सही, झरिया को बचाने के लिए सड़क पर आ गए है. कहा तो यहां तक जाता है कि झरिया में धूलकण का असर और अजन्मे बच्चे के मस्तिष्क को प्रभावित कर रहा है. स्वांस के मरीज बढ़ रहे है. लोग गंभीर बीमारियों से ग्रसित हो रहे है. कोयले के डस्ट से लोगों का रोग प्रतिरोधक क्षमता घट रहा है और वह बड़ी-बड़ी बीमारियों के शिकार हो रहे है. झरिया के लोगों की आयु भी औसतन 10 से 15 साल घट रही है. झरिया शहर रोजगार का आज भी इतना बड़ा साधन है कि वहां "लक्ष्मी" बरसने का सिलसिला अभी भी कायम है. एक समय तो झरिया के कतरास मोड़ में घंटे भर में करोड़ों का कोयला कारोबार होता था. ई ऑक्शन शुरू होने के बाद इस कारोबार में कमी आई है और झरिया के कतरास रोड की भी रौनक भी घट रही है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
4+