धनबाद(DHANBAD):धनबाद की सिंदरी में रावण अभी भी जीवित है?यह हम नहीं लोग कह रहे है.दरअसल मंगलवार को दशहरा के दिन जब सिंदरी में रावण के पुतले को अग्नि के हवाले किया गया तो वह पूरी तरह से नहीं जला.उसके बाद से ही लोग कहने लगे कि सिंदरी में अभी भी रावण जिंदा है.दशहरा के दिन यानी मंगलवार को धनबाद में कई जगहों पर रावण दहन किया गया. सबसे बड़ा कार्यक्रम यहां सिंदरी में होता आया है.
धनबाद की सिंदरी में अभी भी रावण है जीवित?
आपको बता दे कि 1952 से सिंदरी में रावण का दहन किया जाता रहा है. इस साल रावण पूरी तरह से नहीं जला. हालाकि इसके पहले के एक या दो साल कुछ ऐसा ही हुआ था.बुजुर्ग लोग तो कुछ ऐसा ही बताते है. सिंदरी में दशानन का पांच या 6 सिर नहीं जले. हाथ भी नहीं जला. इस पर लोगों को चर्चा करने का एक मौका मिल गया कि सिंदरी में अभी भी रावण जीवित है. कोशिश के बावजूद भी रावण पूरी तरह से नहीं जला. हालाकि यह तो तकनीकी चूक है. पटाखे को बांधने में कोई चूक हो गई होगी. जिस वजह से रावण पूरी तरह से नहीं जला होगा. लेकिन चर्चा तो शुरू होनी थी, सो हो रही है.सिंदरी में रावण दहन का कार्यक्रम शहरपुरा में होता है .
जानिए क्यों हजारों लोगो की जुबान पर अचानक हो रही है यह चर्चा
यहां भीड़ बहुत अधिक होती है .मंगलवार को भी जो रावण दहन कार्यक्रम हुआ, उसमें हजारों हजार मोबाइल की लाइट चमक रही थी .जितनी भीड़ थी उसे तनिक कम मोबाइल की रोशनी नहीं दिख रही थी .इधर, धनबाद क्लब में भी रावण दहन का कार्यक्रम मंगलवार को किया गया. उपायुक्त वरुण रंजन ने रावण के पुतले का दहन किया. इसके पहले धनबाद क्लब में छऊ नृत्य का आयोजन हुआ. धनबाद क्लब में भी काफी भीड़ थी. उपायुक्त ने कहा कि दशहरा और विजयदशमी सत्य की असत्य पर जीत का प्रतीक है .उन्होंने लोगों से अपने जीवन में अनुशासन लाने ,काम, क्रोध, इंद्रियों पर काबू पाकर अंदर की बुराइयों को समाप्त कर तनाव मुक्त जीवन शुरू करने का आह्वान किया.
बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में यह परंपरा शुरू हुई थी
हर साल दशहरे पर रावण के पुतले का दहन होता है. कई जगहों पर रावण की पूजा भी की जाती है और वहां पर रावण दहन नहीं होता है. असत्य पर सत्य की जीत, बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में यह परंपरा शुरू हुई थी और लगातार जारी है. दशहरे के दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था. रावण पर जीत हासिल करना बहुत आसान नहीं था .10 दिशाओं को एक साथ नियंत्रण करने की शक्ति रावण में निहित थी.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
4+