Tnp Desk:- लोकसभा चुनाव के एलान के गिनती के दिन बचे हुए, सियासी शोर, जोशीले तकरीरे और जयकारों से फिंजा गूंज रही है. सियासी कीचड़ उछालने,जोड़-तोड़ और तोहमतों का खेल जोर-शोर से जारी है. एकबार फिर भाजपा मोदी लहर पर सवार होकर दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने को बेकरार है. और हैट्रिक लगाने के लिए भीड़ गई है. झारखंड की 14 लोकसभा सीट पर भी बीजेपी की पैनी और गहरी नजर है. पिछली बार तो 12 सीट पर भजापा का कमल फूल खिल गया था. लेकिन, सिंहभूम और राजमहल में भगवा पार्टी काफी मश्शकत के बाद भी विजय पताका नहीं फहरा सकी थी. इस बार सिंहभूम की कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा को तो भाजपा ने अपने पाले लाकार बड़ी सफलता तो अर्जीत कर ली और उस कोल्हान में भी बहुत बड़ी सैंधमारी कर डाली. जो बार-बार खटक रहा था. उम्मीद पूरे परवान पर ये भी है कि गीता कोड़ा ही भाजपा की प्रत्याशी सिंहभूम से होगी .
भाजपा के लिए चुनौती राजमहल सीट
लेकिन, यहां सबसे बड़ा सवाल संथाल की राजमहल सीट है. दुमका और गोड्डा में तो बीजेपी ने परचम लहरा चुकी है. लेकिन, मोदी लहर में 2014 और 2019 में तमाम कोशिशों के बावजूद राजमहल में जेएमएम के सामने जीत नहीं सकी. राजमहल का अमेध किला भेदना आज भी भाजपा के लिए एक अरमान है. उस सपने पर तुषरापात न हो इसके लिए बीजेपी अभी से ही फील्डिंग टाइट कर सभी दांव आजमा रही है.
लोबिन हेम्ब्रम पर भाजपा का दांव !
2014 और 2019 के राजमहल लोकसभा चुनाव मे भाजपा के उम्मीदवार हेमलाल मुर्मू थे, जो जेएमएम छोड़कर बीजेपी से चुनाव लड़ा था. लेकिन, झारखंड मुक्ति मोर्चा के विजय हांसदा के सामने लाख कोशिशों के बावजूद जीत नहीं सके . आखिरकार फिर थक-हार कर जेएमएम का ही दामन थाम लिया. इस बार कयास और अटकलों का जो बाजार गर्माया हुआ है. उसमे चर्चा ये है कि बोरियो से जेएमएम के बागी विधायक लोबिन हेम्ब्रम भाजपा का फूल लेकर टक्कर दे. अगर सबकुछ साजगार रहा तो शायद ऐसा हो भी सकता है. नियोजन नीति, आदिवासी-मूलवासी, खतियान के मुद्दों को लेकर सड़क से लेकर सदन तक लोबिन अपनी ही सरकार खिलाफ आक्रमक तेवर अपनाते रहे हैं. उनकी फजीहत और बागी बोल से जेएमएम भी पशोपेश में पड़ जाती है. कुछ दिन पहले लोबिन ने अपनी नई पार्टी झारखंड बचाओ मोर्चा बनाने का भी बात कही थी. इधर, भाजपा में सवारी नहीं करके लोबिन हेम्ब्रम के बारे में चर्चा उफान पर ये भी है कि आजसू का दामन भी पकड़ सकते हैं. मंगलवार रांची में बीजेपी की प्रदेश भाजपा कार्यालय में हुई चुनाव समिति की दूसरी बैठक में राजमहल सीट पर लोबिन पर दांव लगाने की चर्चा की भी सुगबुगाहट हुई. माना जा रहा है कि भाजपा भी लोबिन पर दांव लगाने के मूड में है. खैर, राजमहल में भगवा पार्टी का कैडिंडेट कौन होगा, अभी साफ नहीं है. लेकिन, अगर लोबिन लड़ते है, तो शायद परिणाम आशाजनक आए .
राजमहल में कांग्रेस और जेएमएम का रहा है दबदबा
अगर राजमहल का इतिहास झांके तो साफ पता चलता है कि, इस एसटी रिजर्व सीट पर कांग्रेस, जेएमएम और भाजपा में खींचतान चलती रही है. 1998 में सोम मरांडी और 2009 में देवीधन बेसरा ने भाजपा को जीत दिलायी थी. लेकिन, पिछले दो चुनाव 2014 और 2019 में जेएमएम ने कब्जा जमाकर रखा है. हालांकि, शुरुआत में कांग्रेस का यहां सिक्का रहा और सबसे ज्यादा सात बार यहां जीत हासिल की. इसके बाद झामुमो ने पांच बार परचम लहराया.
छह में से चार विधानसभा में जेएमएम का कब्जा
अगर विधानसभा की बात करें तो राजमहल, बोरियो, लिट्टीपाड़ा, बरहेट , पाकुड़ और महेशपुर है. जिसमे चार पर झामुमो का कब्जा है, जबकि एक-एक पर बीजेपी और कांग्रेस है. राजमहल सीट में कुल 16 लाख 73 हजार 383 मतदाता है. राजमहल लोकसभा क्षेत्र की एक बड़ी आबादी गांवों में बसती है. संथाल क्षेत्र होने चलते आदिवासियों की एक बड़ी जसंख्या यहां रहती है. हालांकि, इस क्षेत्र में बांग्लाभाषी लोगों का भी बड़ा प्रभाव है. क्योंकि यह पश्चिम बंगाल से सटा हुआ इलाका है. इसे लेकर यहां लंबे समय से बांग्लादेशी घुसपैठ होते रही है . जो अक्सर चुनावों में एक बड़ा मुद्दा बनता रहा है . इस बार के लोकसभा चुनाव में भी यह मुद्दा हावी रहेगा,
जेएमएम के वोट प्रतिशत में बढ़ोत्तरी
इस बार राजमहल अपने पाले में करने के लिए कड़ी मश्शकत करनी पड़ेगी, क्योंकि अगर 2014 और 2019 के लोकसभा के रिजल्ट देखे, तो साफ है कि जेएमएम का वोटों का प्रतिशत यहां बढ़ा है. 2014 में झामुमो प्रत्याशी विजय हांसदा को 39.88 फीसदी वोट मिले थे, जबकि बीजेपी के हेमलाल मुर्मू को 35.54 प्रतिशत वोट मिला था. वही, 2019 के चुनाव में तो विजय हांसदा को 48.47 प्रतिशत वोट हासिल करने में सफलता मिली. जबकि हेमलाल मुर्मू को 39 फीसदी ही वोट मिले थे.
संथाल फतह करने में भाजपा के लिए अड़चन राजमहल सीट ही रही है. इससे इंकार नहीं किया जा सकता. मौजूदा वक्त में भाजपा का झंडा चुनाव में कौन प्रत्याशी राजमहल में लेकर उतरेगा. यह सबसे बड़ा सवाल है , इसे ही देखना दिलचस्प होगा. इधर, प्रश्न और चर्चाओं के दौर में लोग इसका भी उत्तर जानना चाहेंगे कि क्या यहां से लोबिन हेम्ब्रम कमल के फूल पर सवार होकर या फिर आजसू का उम्मीदवार होकर जेएमएम को टक्कर देंगे या फिर फिर कोई दूसरा होगा.
रिपोर्ट-शिवपूजन सिंह
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