साहिबगंज (SAHIBGANJ): 2024 लोकसभा चुनाव की बिगुल बज चुकी है. ऐसे में सातवें चरण यानी एक जून को झारखंड के राजमहल लोकसभा सीट पर चुनाव होना है. वहीं राजमहल लोकसभा सीट पर जीत का परचम लहराने के लिए भाजपा अभी से रणनीति बनाने में जुट गई है. तो वहीं इंडिया गठबंधन भी अपनी पुरानी सीट को बचाने की जुगत में लगी हुई है. यहां भाजपा और इंडिया गठबंधन के बीच इस बार राजमहल सीट पर कांटे की टक्कर होने जा रहा है. लेकिन दिशोम गुरु शिबू सोरेन के बड़ी बहू सीता सोरेन की जेएमएम से इस्तीफा और राजमहल में झामुमो विधायक लोबीन हेम्ब्रम की एंट्री से इंडिया गठबंधन को बड़ा झटका लग सकता है.
प्रतिष्ठा की सीट बन गई लोकसभा का सीट
वहीं बीजेपी और इंडिया गठबंधन के लिए सबसे चर्चित राजमहल लोकसभा सीट इस बार प्रतिष्ठा की सीट बन गई है. भाजपा ने राजमहल लोकसभा सीट से बोरियो के पूर्व विधायक ताला मरांडी को प्रत्याशी बनाया है.ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के नेता और कार्यकर्ता नाखुश होकर ताला मरांडी की जीत सुनिश्चित करने के लिए मोदी लहर के सहारे चुनावी नय्या पार करने की जुगत में हैं. तो वहीं दुशरी तरफ झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन नीति के तहत तीसरी बार जीत दर्ज करने की तैयारी में जुट गया है. आगे आप को बताते चलें कि झारखंड गठन के बाद राजमहल लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने एक बार जीत दर्ज की है.क्षेत्र के लोगों ने देवीधन बेसरा को सांसद के रूप में जीत दिला कर दिल्ली भेजा था.
राजमहल सीट पर झामुमो का लगातार दो बार रहा कब्जा
इसके बाद से राजमहल सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का कब्जा लगातार दो बार रहा है.वहीं दो बार राजमहल सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता विजय हांसदा ने सांसद के रूप में जीत दर्ज की है, जबकि झारखंड मुक्ति मोर्चा के ही चुनाव चिन्ह पर हेमलाल मुर्मू ने एक बार जीत दर्ज की थी.2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने हेमलाल को प्रत्याशी बनाया था,लेकिन उन्हें झामुमो ने बड़ी शिकस्त दी थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी ने सिर्फ राजमहल विधानसभा क्षेत्र से 1 लाख 3 हजार 62 मत लाकर जेएमएम प्रत्याशी को 22 हजार 800 मतों के अंतर से पीछे धकेल दिया था. साथ ही शेष पांच विधानसभा क्षेत्र बोरियो,बरहेट,लिट्टीपाड़ा,पाकुड़ और महेशपुर में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने काफी मतों के अंतर से भाजपा को पछाड़ दिया था.
पिछले चुनाव में राजमहल से विजय हांसदा को मिला था 80 हजार वोट
लेकिन अगर पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजे को अगर देखा जाए तो पुछले बार लोकसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रत्याशी विजय हांसदा ने राजमहल से 80 हजार 262, बोरियो विधानसभा से 76301,बरहेट विधानसभा से 62921,लिट्टीपाड़ा विधानसभा से 71504,पाकुड़ विधानसभा से 1लाख 25 हजार966 और महेशपुर विधान सभा क्षेत्र से 89635 मतहासिल किया था. वहीं भाजपा प्रत्याशी हेमलाल मुर्मू को राजमहल विधानसभा से 1 लाख 3 हजार 62,बोरियो से 65360,बरहेट से 49299,लिट्टी पाड़ा विधा नसभा से 55035, पाकुड़ विधानस भा से 76 711 और महेशपुर विधानसभा क्षेत्र से 5821 2 मत मिले थे.लेकिन 2024 चुनाव के समीक रण में भारी बदलाव आ सकता है.
जनता ताला मरांडी से नाखुश लेकिन लोगों को दिलों में मोदी लहर
वहीं राजमहल संसदीय क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के ताला मरांडी को यदि छोड़ दें तो कई ऐसे कद्दावर और प्रभावी आदिवासी नेता इस क्षेत्र में है.लेकिन बीजेपी ने ताला मरांडी के हाथों राजमहल सीट का कमान सौंपी है.हालांकि ताला मरांडी से क्षेत्र के जनता नाखुश है. लेकिन लोगों के दिलों में मोदी लहर की उत्साह है.पिछले लोकसभा चुनाव में ही भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को बोरियो विधानसभा क्षेत्र में झामुमो के टक्कर में काफी अंतर से हार का सामना करना पड़ा था,जबकि पहले के चुनावों में यहां से भाजपा लीड करती थी.
ताला मरांडी के सामने है कई चुनौतियां
राजमहल लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी ताला मरांडी के सामने हैं कई चुनौतियां 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने बोरियो के पूर्व विधायक ताला मरांडी को चुनावी मैदान में उतारा है.इस बार के चुनाव में ताला मरांडी के सामने जीत के लिए जी तोड़ मेहनत,नाराज चल रहे नेताओं और कार्य कर्ताओं को एकजुट करने के साथ ही खासकर राजमहल,लिट्टीपाड़ा,महेशपुर विधानसभा क्षेत्र में निकटतम प्रतिद्वंदी से काफी अंतरों से जीत हासिल करने की सबसे बड़ी चुनौती रहेगी,क्योंकि यही तीन विधानसभा क्षेत्र हैं जहां के जनता ताला मरांडी के लिए गले की फांस बन सकती है.यदि काफी मतों के अंतर से अपने प्रति द्वंदी को पीछे धकलने में ताला मरांडी ने कामयाबी हासिल की तो सांसद पहुंचने का उनका रास्ता साफ हो जाएगा.
बरहेट विधानसभा झामुमो का सबसे बड़ा गढ़
वहीं अगर राजमहल संसदीय क्षेत्र का पाकुड़ व राजमहल विधानसभा अल्पंसख्यक बहुल क्षेत्र है और यहां शायद ही भाजपा को लीड मिल सके.और बरहेट विधानसभा झारखंड मुक्ति मोर्चा का सबसे बड़ा गढ़ है और यहां का प्रतिनिधित्व राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कर रहे हैं. हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद कार्यकर्ताओं और क्षेत्र के लोगों में खासकर केंद्रीय एजेंसियों के खिलाफ जबर दस्त नाराजगी है.और कार्यक र्ता सीधा भाजपा पर आरोप लगा रही है.इसी संसदीय क्षेत्र में बोरियो विधानसभा जिसका प्रतिनिधित्व झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम कर रहे हैं और अपने ही सोरेन सरकार के खिलाफ इनकी बयानबाजी और अपने ही दल के सांसद विजय हांसदा के खिलाफ आक्रोश झारखंड मुक्ति मोर्चा को चुनाव में बड़ा नुकसान पहुंचा स कता है.राजमहल लोकसभा सीट पर उल्लेखनी य है कि 2019 के चुनाव में मोदी लहर रहने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी इस सीट पर जी त का पर चम नहीं लहरा पाई थी.
400 पार का दावा राजमहल में कितना दिखागा कारगर
बता दें कि 2024 के लोकसभा चुनाव भाजपा ने जीत का दावा 400 पार का किया है. लेकिन राजमहल संसदीय सीट पर मोदी लहर का असर कितना होगा यह तो 4 जून को ही पता चलेगा.अलबत्ता राजमहल लोकसभा सीट पर एक जून को अंतिम चरण में चुनाव होगा और इस दौरान भारतीय जनता पार्टी और एनडीए के कई नेताओं का न केवल चुनावी सभा होगी,बल्कि नेताओं के कैंप किए जाने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है.
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा विजय हांसदा मुर्दाबाद के नारे
राजमहल सीट पर 2024 में भाजपा कर रही है जीत का दावा तो वहीं दुसरी तरफ जेएमएम पुराने सीट को बचाने मे लगी है. कवायत तो तीसरे तरफ जनता लगा रही है इंडिया गठबंधन के नेता सह वर्तमान सांसद विजय हांसदा मुर्दाबाद के नारे-दरअसल राजमहल लोकसभा सीट पर एक तरफ चुनावी सरगर्मी तेज है. तो वहीं दुशरी तरफ राजमहल लोकसभा के जनता सोशल साइट्स वीडियो वायरल कर विजय हांसदा मुर्दाबाद झारखंड मुक्ति मोर्चा मुर्दाबाद का नारा लगा कर जेएमएम के आला कमान से वर्तमान सांसद विजय हांसदा को बदलने की मांग कर रही है.सोशल साइट्स पर वीडियो में देखा जा रहा है जा रहा है जनता वतर्मान सांसद विजय हांसदा और इंडिया गठबंधन से त्राहिमाम है.वायरल क्लिप में इंडिया गठबंधन समर्थकों के द्वारा यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि वर्तमान सांसद ने क्षेत्र में कोई भी विकास का काम नहीं किया है और ना ही उनके जन समस्याओं को एक बार भी पालयमेंट में उठाया है.यानी कि 10 तक विजय हांसदा रहने के बावजूद भी राजमहल लोकसभा क्षेत्र को नहीं बदल पाया है.लेकिन इसमें से सवाल यह उठता है कि क्या इंडिया गठबंधन से इस बार मुस्लिम समुदाय के लोग भी नाराज है. जिसका असर भी इंडिया गठबंधन के समीकरण में पढ़ सकता है. इतना ही नहीं जेएमएम को बड़ा झटका भी लग सकता है.लेकिन अब यह 1 जून को साफ हो जाएगा कि जनता किनके पक्ष में रहेगी.
रिपोर्ट. गोविंद ठाकुर
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