धनबाद(DHANBAD) : झारखंड में हाथियों के लिए कॉरिडोर तो नहीं बना, इससे जुडी फाइल संचिकाओं में उलझ कर रह गई है. इधर ग्रामीण इलाकों में रोज हाथियों का झुंड उत्पाद मचा रहा है. लोगों की जाने तक ले रहा है. घर में रखे फसल खा जा रहा है. खेत में खड़ी फसल को नुकसान पहुंचा रहा है. रेल से काटकर भी हाथी मर जा रहे है. लेकिन अब ट्रेन से कटकर हाथी नहीं मरेंगे. धनबाद रेल मंडल में ट्रेन से कटकर हाथियों की मौत हो जाती है, इस वजह से ट्रेन के दुर्घटनाग्रस्त होने का भी खतरा बना रहता है. अब ट्रेन से हाथियों के कटकर मरने को लेकर रेलवे गंभीर हुआ है. ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए रेलवे की ओर से एक नई तरकीब अख्तियार की जाएगी.
समय रहते ट्रेनों को रोक दिया जाएगा
हाथियों के रेलवे ट्रैक के पास पहुंचते ही रेलवे को इसकी जानकारी मिल जाएगी और समय रहते ट्रेन को रोक दिया जाएगा. अगर रोकना जरूरी नहीं भी है तो ट्रेन को सावधानीपूर्वक चलाया जाएगा. सूत्रों के अनुसार इसके लिए रेलवे की ओर से ग्रैंड कॉर्ड क्षेत्र को आईडीएस (इंट्रूजन डिटेक्शन सिस्टम) से लैस किया जाएगा. सूत्र बताते हैं कि 2 फरवरी को इसका टेंडर खोला जाएगा. टेंडर का काम पूरा कर लिया गया है. बरसात के पहले इसे लगा लेने की योजना पर काम चल रहा है. यह भी पता चला है कि इसका सेंट्रलाइज्ड मॉनिटरिंग कंट्रोल धनबाद से होगा. हजारीबाग को भी कंट्रोल का अधिकार मिल सकता है. सूत्र बताते हैं कि यह उपकरण धनबाद रेल मंडल में पहली बार उपयोग में लाया जा रहा है. दूसरे रेल मंडलों में भी यह लग सकता है. आईडीएस के तहत ओएफसी केवल को जमीन के नीचे गाड़ दिया जाता है.
हाथी जब नजदीक आएंगे तो कंट्रोल रूम को सूचना मिल जाएगी
हाथी जब केवल के नजदीक आएंगे, तो यह कंट्रोल रूम को सूचना देगा. साथी लोको पायलट को इसकी खबर मिल जाएगी और लोको पायलट ट्रेन को रोक देगा. ट्रैक क्लियर होने पर ही ट्रेन पास कराई जाएगी. इसके लिए सिस्टम में हाथी या उसके बच्चे का फोटो डाला जाएगा. यह तभी काम करेगा जब हाथी या उसका बच्चा सामने आये. दूसरे किसी जानवर के आने पर यह काम नहीं करेगा. जंगली इलाकों में रेलवे ट्रैक पार करते हुए हाथी दुर्घटनाग्रस्त हो जाते है. ट्रेनों के एक्सीडेंट का भी खतरा होता है. इधर यह भी बता दें कि हाथियों से सुरक्षा के लिए पाकुड़ से लेकर चाईबासा तक अलग-अलग एलिफेंट कॉरिडोर का निर्माण करने का प्रस्ताव है. इसमें टुंडी, पूर्वी टुंडी, तोपचांची व राजगंज से होकर कॉरिडोर बनाना है, लेकिन यह सिर्फ सुनाई पड़ता है, जमीन पर दिखता नहीं है.
धनबाद के टुंडी में लगाए गए थे सूचक यंत्र
बात यहीं खत्म नहीं होती, टुंडी में हाथियों से सुरक्षा के लिए धनबाद वन प्रमंडल ने पश्चिमी टुंडी में तीन जगह पर सूचक यंत्र लगाए थे. हाथियों के गुजरने पर यह यंत्र सायरन की तरह बजता था, लेकिन अब मशीन काम नहीं कर रही है और हाथियों का झुंड लगातार उत्पात मचा रहा है. टुंडी, पूर्वी टुंडी, तोपचांची व राजगंज में जंगल के आसपास और पहाड़ियों की तराई क्षेत्र में बसे 50 गांव को जंगली हाथियों से सुरक्षा के लिए एलिफेंट कॉरिडोर अगर बन जाता, तो ग्रामीणों को अपनी जान नहीं गंवानी पड़ती, फसल नष्ट नहीं होते. 10 साल पहले लगभग 10 करोड़ रुपए की लागत से एलिफेंट कॉरिडोर बनाने का एस्टीमेट बना था. सरकार स्तर पर इस योजना पर फैसला अभी तक नहीं हुआ. यह योजना नामंजूर हुई और न हीं ख़ारिज. टुंडी का पहाड़ व जंगल हाथियों के विचरण का सुरक्षित स्थान माना जाता है. भोजन की तलाश में जंगल व तराई पर बसे गांव में हाथियों का झुंड उतर जाता है. खेतों और कच्चे घरों को तोड़कर फसल, अनाज खा जाता है.लोगो की जान तक ले लेता है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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