टीएनपी डेस्क(Tnp desk):- झारखंड भाजपा में पिछले चार साल से नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी खाली थी. अचानक आलकमान ने ऐसे चेहरे को मौका दिया, जिसे शायद ही भाजपा के अंदरखाने में उतनी सरगर्मी से चर्चा हुई होगी. किसी को यकीन नहीं हो रहा था कि भाजपा से चंदनक्यारी विधायक अमर बाउरी विधानसभा में विपक्ष के नेता बन बैठेंगे . कुछ दिन से फिंजा में तैर रही ये खबर तब अचानक औझल हो गई. जब बुधवार की रात गहराने से पहले रघुवर दास को ओडिशा का राज्यपाल बना दिया गया. लोकसभा चुनाव से पहले आखिर बीजेपी आलकमान की क्या सोच और ऱणनीति है, जो ऐसे बड़े-बड़े फैसले ले रही है, जिसकी कोई न तो हवा बहती दिखी और न ही कोई बयार ही बहते दिखाई पड़ा.
जमशेदपुर पूर्वी से विधायक रहे रघुवर दास झारखंड बीजेपी में एक बड़ी शख्सियत रखते हैं. झारखंड का सीएम रह चुके रघुवर का अचनाक सियासत से किनारा कर देना के पीछे आखिर वजह क्या है. क्यों आलाकमान ने इतना बडा फैसला लिया. वो भी उस वक्त, जब लोकसभा चुनाव दहलीज पर है.
बाबूलाल को खुलकर खेलने का मौका
अंदर ही अंदर झारखंड भाजपा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी औऱ रघुवर दास के बीच सबकुछ ठीक नहीं है, जैसी खबरे और चर्चाए अक्सर उड़ते ही रहती थी . लिहाजा, क्या आलकमान कोई जोखिम आगामी चुनाव में नहीं लेना चाहता था . इसलिए रघुवर को रास्ते से हटाकर बाबूलाल मरांडी को खुलकर सारी चिजें सौंप दी गई, दूसरे शब्दों में कहा जाए तो बाबूलाल के कंधों के सहारे ही भारतीय जनता पार्टी झारखंड में बेड़ा पार लगाना चाहती है. अंदरखाने में तो यही चर्चा है, औऱ जानकार भी बहुत हद तक इसे ही मानकर चल रहे हैं. झारखंड भाजपा में बाबूलाल एक जनाधार वाले औऱ तुजर्बेकार नेता है. इसमे कोई शक नही है. जेवीएम को बीजेपी में विलय कर बाबूलाल ने अपनी दूसरी पारी भाजपा में शुरु की, इससे पहले तो भगवा पार्टी को पानी पी-पीकर कोसते थे औऱ कुतूब मिनार से कूदने की बात तक कहते थे. लेकिन, उनके आने के बाद तो झारखंड भाजपा की तस्वीर ही बदल गई. क्योंकि रघुवर और अर्जुन मुंडा राज्य की राजनीति में एक बड़ा चेहरा थे. लेकिन, दोनों ही अब बाहर हो गये है . अर्जुन मुंडा अभी केन्द्र में मत्री है.
चुनौतियो पर कितने खरे उतरेंगे बाबूलाल
रघुवार दास के जाने के बाद बाबूलाल के सामने लोकसभा चुनाव की सबसे पहली परीक्षा है. इसके लिए संकल्प यात्रा उनका जोर-शोर से चल रहा है. अकेले मरांडी जल, जंगल और जमीन के इस प्रदेश में बीजेपी को कितना ताकतवर बनायेंगे और उन तमाम चुनौतियों को कैसे संभालेंगे और पार करेंगे. ये तो चुनाव का रिजल्ट बतायेंगा. लेकिन, दूसरी तरफ, जिस तरह झारखंड भाजपा में उथल-पुथल मची हुई है और कुछ न कुछ नया होता जा रहा है. इससे तो लगता है कि भाजपा अपनी पुरानी टीम बदलकर नई टीम उतारी है. जिसकी अगुवाई बाबूलाल कर रहे हैं . मतलब सबकुछ नये सिरे से भाजपा काम कर रही है.
झारखंड भाजपा में फेरबदल का सिलसिला तो जारी है, आगे भी लगता है कि ऐसे कुछ ओर बदलाव देखने को मिले, क्योंकि अप्रत्याशित फैसले करने से भाजपा आलाकमान तनीक भी नहीं हिचक रहा है.
रिपोर्ट- शिवपूजन सिंह
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