धनबाद(DHANBAD): झारखंड हाई कोर्ट ने शुक्रवार को पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को बड़ी राहत दी. जमानत मिल गई और जेल से बाहर आ गए. बढ़ी हुई दाढ़ी, कंधे पर गमछा, कुछ इसी अंदाज में जेल से बाहर आए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन. 31 जनवरी 2024 को प्रवर्तन निदेशालय ने कथित जमीन घोटाले के मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. उस समय वह सीएम थे. हालांकि गिरफ्तारी के तुरंत बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद से वह लगातार जेल में थे. लेकिन आज झारखंड हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश निर्गत किया. न्यायमूर्ति रोंगोन मुखोपाध्याय ने जमानत दी. सुनवाई तो 13 जून को ही पूरी हो गई थी, लेकिन फैसला सुरक्षित था. फैसला आज रिलीज किया गया.
हेमंत सोरेन की रिहाई देश की बड़ी खबर बन गई
उसके बाद आज ही के दिन हेमंत सोरेन जेल से बाहर आ गए. हेमंत सोरेन की जेल से रिहाई झारखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए आज बड़ी खबर बन गई. गिरफ्तारी के पहले और बाद भी हेमंत सोरेन दावा करते रहे हैं कि जिस जमीन घोटाले में उनकी गिरफ्तारी करने की तैयारी की जा रही है या की गई है, उससे उनका कुछ लेना देना ही नहीं है. उन्होंने यहां तक कह डाला था कि अगर इस जमीन की हेरा फेरी में उनकी कोई भी भूमिका सामने आएगी तो राजनीति छोड़ देंगे. जो भी हो, जिस जमीन की गड़बड़ी का उन पर आरोप है, वह भुंइहरी किस्म की जमीन है. इस जमीन की खरीद- बिक्री नहीं होती है. हालांकि इस मामले में अन्य कई लोग अभी भी जेल में है. लगभग 5 महीने के बाद वह घर पहुंच गए है. अब सवाल किये जा रहे है कि हेमंत सोरेन के जेल से रिहाई के बाद झारखंड की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा? क्या चंपई सोरेन मुख्यमंत्री बने रहेंगे? क्या उनकी पत्नी कल्पना सोरेन इसी तरह से सक्रिय रहेंगी? क्या हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बनेंगे या पार्टी की मजबूती का काम करेंगे ?यह सब सवाल सियासी हल्को में इसलिए तैर रहे है कि इसी साल विधानसभा के चुनाव होने है.
हेमंत सोरेन का टारगेट फिलहाल संगठन होगा
लेकिन इतना तय माना जा रहा है कि हेमंत सोरेन का फिलहाल टारगेट संगठन होगा. उनके जमानत पर रिहा होने के कई मायने हो सकते है. झारखंड मुक्ति मोर्चा को इसका बड़ा लाभ मिल सकता है. कार्यकर्ताओं का जोश हाई हो सकता है. हेमंत सोरेन झारखंड में पार्टी के बड़े चेहरा है. उनकी गिरफ्तारी के बाद पूरे झारखंड में आंदोलन भी चला था. कुछ सालो पहले तक यही देखा जाता था कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की सभी राजनीति शिबू सोरेन के अगल-बगल घूमती थी. लेकिन एक समय बाद से यह राजनीति हेमंत सोरेन के अगल-बगल घूमने लगी. लेकिन एक वक्त ऐसा आया जब हेमंत सोरेन को जेल जाना पड़ा. ऐसे में पार्टी के कार्यकर्ताओं को निराशा हाथ लगी. हालांकि कल्पना सोरेन ने जी तोड़ मिहनत कर हेमंत सोरेन की कमी को पाटने की कोशिश की. बहुत हद तक सफल भी रही. लेकिन अब पार्टी और कार्यकर्ता इससे उबर गए है. अभी तक किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय के लिए मुख्यमंत्री सहित अन्य को जेल जाकर हेमंत सोरेन से मार्गदर्शन लेनी पड़ती थी, लेकिन अब अब ऐसा वक्त नहीं रहेगा. निश्चित रूप से हेमंत सोरेन अपनी गिरफ्तारी को विधानसभा चुनाव में भुनाने का भरपूर प्रयास करेंगे. एक तरह से कहा जाए तो वह झारखंड के महत्वपूर्ण जिलों का दौर शुरू कर सकते है.
लोगो के बीच अपनी बात रख सकते है हेमंत सोरेन
लोगों को बता सकते हैं कि उन्हें किस तरह आदिवासी होने के नाते परेशान किया जा रहा है. इससे पार्टी और मजबूत होगी और विधानसभा चुनाव में इसका सीधा फायदा मिलेगा. सवाल किया जा सकता है कि क्या हेमंत सोरेन की सक्रियता के बीच कल्पना सोरेन भी क्या सक्रिय रहेंगी. तो कहा जा सकता है कि कल्पना सोरेन भी सक्रिय रहेंगी. सबके कार्य बंट जाएंगे, उत्तर प्रदेश का उदाहरण सबके सामने है. अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव राजनीति में समान रूप से सक्रिय है. संभवत इसी तरह झारखंड की राजनीति में हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन सक्रिय रह सकते है. इसका लाभ पार्टी को मिल सकता है. मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के लिए भी हेमंत सोरेन का बाहर आना शुभ फलदायक होगा. क्योंकि सरकार की जो योजनाएं अभी तक लंबित हैं, उन में हेमंत सोरेन के दिशा निर्देश से गति आ सकती है. यह बात तो तय है कि लोकसभा चुनाव में पांच आदिवासी सुरक्षित सीट पर इंडिया ब्लॉक ने जीत दर्ज कर यह संदेश दे ही दिया है कि झारखंड विधानसभा की 28 आदिवासी सुरक्षित सीटों पर एनडीए को कड़ी लड़ाई लड़नी होगी.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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