धनबाद(DHANBAD) | बोकारो स्टील प्लांट में नियुक्ति घोटाला - प्रमोशन घोटाला कोई नई बात नहीं है. इसके पहले भी यह सब हो चुका है. लेकिन इस बार का मामला थोड़ा अलग है और इस मामले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ेगी, कई लोगों की गर्दन फंसेगी. पूर्व राज्यपाल और पूर्व सांसद के पुत्र जैसे बड़े लोगों को भी नियम को ताक पर रखकर अधिकारी की नियुक्ति देने का बोकारो स्टील में खुलासा हो चुका है. नियुक्ति से जुड़े इस बहुचर्चित मामले में सीबीआई ने चार्ज शीट सौंप दिया है. अभी हाल ही में गड़बड़ी कर प्रमोशन पाए 16 कर्मियों की नौकरी दांव पर लगी हुई है. धनबाद सीबीआई की एंट्री करप्शन शाखा ने प्राथमिक दर्ज कर कर्मचारी से अफसर बने इन कर्मियों की कुंडली खंगालनी शुरू कर दी है. प्रमोशन की परीक्षा रद्द कर सेल इन्हें पहले ही मेजर पेनल्टी चार्ज शीट दे चुका है. सीबीआई यदि इन पर आपराधिक षड्यंत्र के तहत पैसा देकर प्रमोशन पाने के आरोप को सिद्ध कर पाती है, तो इन्हें नौकरी गंवानी पड़ सकती है. इन 16 कर्मियों के अलावा भारत सरकार के सूचना एव प्रसारण मंत्रालय के अधीन मिनी रत्न कंपनी ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड के अज्ञात अधिकारियों और अन्य के खिलाफ सीबीआई जांच में जुटी है.
विजिलेंस जांच में भी कुछ बड़े लोगो की भूमिका सामने आई है
विजिलेंस जांच में भी सेल के उच्च प्रबंधन तक प्रमोशन में गड़बड़ी के तार जुड़ने की आशंका जताई गई है. बात सिर्फ बोकारो स्टील प्लांट की ही नहीं है, अन्य कई स्टील प्लांट के अधिकारी और यूनियन के प्रतिनिधि भी जांच के दायरे में है. सीबीआई यह जानने की कोशिश कर रही है कि कितने रुपए का खेल हुआ है. क्या बाहरी एजेंट ने भी इसमें भूमिका निभाई है. सूत्रों के अनुसार सीबीआई को सेल की विजिलेंस ने अपनी जांच रिपोर्ट भेजी है. रिपोर्ट में शंका जाहिर की गई है कि कार्मिक निदेशालय के कुछ अधिकारी इस परीक्षा में सक्रिय रहे होंगे. सीबीआई जल्द प्रमोशन पाने वाले सभी 16 कर्मियों से पूछताछ करने की तैयारी कर रही है. इससे पहले विजिलेंस ने जब अभ्यर्थियों को उनके खाली ओएमआर की तस्वीर दिखाकर सवाल किए थे, तो उनके होश उड़ गए थे. विजिलेंस के अधिकारियों के सामने कुछ प्रमोशन पाए कर्मचारी कह चुके हैं कि यह सब कैसे हुआ ,उन्हें नहीं पता. जो भी हो लेकिन कईयों की गर्दन फंसेगी, इसमें कहीं कोई संदेह नहीं है.
बोकारो इस्पात कारखान सार्वजनिक क्षेत्र में चौथा इस्पात कारखाना है
बोकारो इस्पात कारखान सार्वजनिक क्षेत्र में चौथा इस्पात कारखाना है. यह सोवियत संघ के सहयोग से 1965 में प्रारम्भ हुआ. आरम्भ में इसे 29 जनवरी 1964 को एक लिमिटेड कम्पनी के तौर पर निगमित किया गया और बाद में सेल के साथ इसका विलय हुआ. पहले यह सेल की एक सहायक कम्पनी और बाद में सार्वजनिक क्षेत्र लोहा और इस्पात कम्पनियां (पुनर्गठन एवं विविध प्रावधान) अधिनियम 1978 के अंतर्गत एक यूनिट बनाई गई. कारखाने का निर्माण कार्य 6 अप्रैल 1968 को प्रारम्भ हुआ. यह कारखाना देश के पहले स्वदेशी इस्पात कारखाने के नाम से विख्यात है. इसमें अधिकतर उपकरण, साज-सामान तथा तकनीकी कौशल स्वदेशी ही है. कारखाने का 17 लाख टन इस्पात पिण्ड का प्रथम चरण 2 अक्टूबर 1972 को पहली धमन भट्टी चालू होने के साथ ही शुरू हुआ तथा निर्माण कार्य तीसरी धमन भट्टी चालू होने पर 26 फ़रवरी 1978 को पूरा हो गया.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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