रांची (RANCHI) : हाल ही में पांच राज्यों में विधानसभा का चुनाव हुआ, जिसमें तीन राज्यों में भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की है. भाजपा ने इस जीत के साथ ही पार्टी में बड़े बदलाव किए है. राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में भाजपा ने अपने पुराने मठाधीशों को दरकिनार कर नेतृत्व का नया चेहरा पेश किया है. भाजपा के इस फैसले ने सभी को चौका दिया है. लेकिन आपकों बता दें कि भाजपा का यह निर्णय नया नहीं है, भाजपा ने इसकी शुरूआत झारखंड से कर दी ही.
जानिए नए चेहरों के पीछे की कहानी
बता दें कि देश में भाजपा की प्रमुख तिकड़ी मोदी-शाह-नड्डा की है. इनमें से मोदी और शाह की जोड़ी ही ज्यादा प्रभावकारी मानी जाती है. उनके निर्णय से ही पार्टी आगे बढ़ती है.यह तय किया गया है कि भाजपा में नए चेहरों को आगे बढ़ाया जाए ताकि पार्टी के जो सामान्य नेता और कार्यकर्ता हैं, उनको भी अपना भविष्य उज्ज्वल दिखे. जिस प्रकार से राजस्थान में भजनलाल छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय और मध्य प्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री का पद देकर भाजपा के आला नेतृत्व ने चौंकाया है. उससे साफ पता चल रहा है कि बुजुर्ग या उम्र दराज नेताओं के दिन अब लदने वाले हैं. नई पीढ़ी को आगे बढ़ने का संकल्प लिया गया है. हम आप जानते ही हैं कि पिछले 15 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड की धरती खूंटी से विकसित भारत संकल्प यात्रा की शुरुआत की है.
झारखंड में क्या हुआ है प्रयोग
राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से पहले झारखंड में नए चेहरों को प्रमुख स्थान देने का काम हुआ है यानी महत्वपूर्ण पद देने का प्रयास हुआ है.नेता प्रतिपक्ष का महत्वपूर्ण ओहदा 45 वर्षीय अमर कुमार बाउरी को दे दिया गया.जबकि पार्टी के कई सीनियर विधायक कई बार के विधायक भरे हुए हैं. राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि पार्टी में अब 60 से ऊपर की उम्र वाले नेताओं पर खतरा मंडरा रहा है.यह अलग बात है कि जनाधार वाले नेताओं को आने वाले लोकसभा और विधानसभा और चुनाव में टिकट मिल ही जाएगा. लेकिन प्रमुख दायित्व 60 से नीचे उम्र वाले लोगों को ही मिलना है.
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