दुमका(DUMKA):नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से बरसात के मौसम में नदी घाटों से बालू के उठाव पर रोक लगाया जाता है. इस साल भी 10 जून से 15 अक्टूबर तक बालू के खनन पर रोक लगा दिया गया है. इसके बाबजूद दुमका जिला में रात के अंधेरे में नदी घाटों से बालू का खनन और परिवहन का मामला समय समय पर उगाजर हो रहा था. प्रशासन की सख्ती बेअसर साबित हो रही थी. 24 घंटे नदी घाटों की रखवाली संभव नहीं है. और सूचना मिलने पर जब तक पुलिस पहुचंती थी. उससे पहले ही बालू माफिया को इसकी भनक मिल जाती थी.
अवैध बालू खनन के खिलाफ पुलिस की तरकीब
खासकर रानीश्वर थाना क्षेत्र में बालू खनन को रोकना पुलिस के लिए चुनौती रहती है. क्योंकि यहां की मयूराक्षी नदी ही झारखंड और पश्चिम बंगाल की सीमा रेखा है. नदी का कितना क्षेत्र झारखंड में और कितना पश्चिम बंगाल में ये निर्धारित करना काफी कठिन होता है. और अक्सर इसका फायदा बालू माफिया उठाया करते है.
रास्ते को काटकर रास्ता ब्लॉक कर दिया गया है
अवैध बालू खनन और परिवहन पर अंकुश लगाने का दुमका पुलिस ने नायाब तरीका निकाला है. पुलिस अधीक्षक अंबर लकड़ा के निर्देश पर पुलिस उपाधीक्षक मुख्यालय विजय कुमार के नेतृत्व में रानेश्वर थाना अंतर्गत अवैध बालू खनन के लिए बनाए गये अस्थायी रास्ते को काटकर रास्ता ब्लॉक कर दिया गया है. रानेश्वर थाना अंतर्गत शादीपुर बालू घाट और खेदरा बालू घाट से नदी के किनारे मसानजोर थाना क्षेत्र में निकलने वाले रास्ते को काटकर ब्लॉक कर दिया गया. खेदरा पाथर बगान में भी बालू घाट के अस्थाई मार्ग को काटकर मार्ग ब्लॉक कर दिया गया है.
रास्ते को अवरुद्ध कर सतत निगरानी का निर्देश
पुलिस उपाधीक्षक ने रानेश्वर थाना प्रभारी को अवैध बालू खनन और परिवहन में संलिप्त व्यक्तियों की सूची तैयार कर जिला बदर की कार्रवाई करने और टोंगरा थाना, मसालिया थाना और मसानजोर थाना प्रभारियों को नदी के तरफ जाने वाले रास्ते में परिवहन ना हो इसके लिए रास्ते को अवरुद्ध कर सतत निगरानी का निर्देश दिया है.
15 अक्टूबर तक एनजीटी की ओर से नदी घाट से बालू उठाव पर रोक है. 15 अक्टूबर आने में अभी बहुत समय है. देखना दिलचस्प होगा कि पुलिस की ये तरकीब कितना कारगर होता है. कहीं ऐसा ना हो कि माफिया वैकल्पिक मार्ग के सहारे बालू का परिवहन करने लगे. क्योंकि माफिया को अस्थायी मार्ग ही तो बनाना है.
रिपोर्ट-पंचम झा
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