जमशेदपुर(JAMSHEDPUR): जमशेदपुर के मस्जिदों में कुर्बानी का पर्व बकरीद का नमाज अदा किया गया. इस पर्व को ईद उल अजहा को बकरा ईद के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन मुस्लिम समुदाय में बकरे की कुर्बानी देते है. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, हजरत इब्राहिम को अल्लाह का पैगंबर बताया जाता है. इब्राहिम हमेशा ही लोगों की भलाई के कार्यों में लगे रहें. उन्होंने अपना जीवन समाज सेवा में अधिक बिताया. हालांकि, कई सालों तक उन्हें कोई संतान नहीं हुई. इसके बाद उन्होंने खुदा की बहुत इबादत की. खुदा की इबादत के बाद कहीं जाकर उन्हें चांद सा बेटा हुआ. जिसका नाम इस्माइल रखा गया. बच्चे के जन्म के कुछ समय बाद इब्राहिम बोला गया उसे एक सपना आया. सपने में उसे आदेश दिया गया कि खुदा की राह में कुर्बानी दो. उन्होंने पहले ऊंट की कुर्बानी दी. इसके बाद उन्हें फिर से सपना आया और उसमें आदेश दिया गया कि अपनी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी दी जाए और फिर उसी दिन से बकरीद की परंपरा शुरू हुई.
इसी बीच जमशेदपुर के अलग- अलग मस्जिदों और ईदगाहों में ईद-उल-अजहा यानी बकरीद की नमाज अदायगी के साथ बकरीद मनाई जा रही है. नमाज अदायगी के बाद लोग एक दूसरे से गले मिले और बधाइयां दी. साथ ही दुआ की गई कि देश में अमन और शांति बनी रहे.
रिपोर्ट: रंजीत ओझा
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