देवघर(DEOGHAR): देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि से पहले सभी मंदिरों के पंचशूल को उतार कर उसकी साफ-सफाई करने और फिर दूसरे दिन विधिवत पंचशूल की पूजा-अर्चना के बाद पुन: मंदिरों पर स्थापित करने की परंपरा रही है. इसी के तहत भगवान शिव और माता पार्वती के मंदिर का पंचशूल महाशिवरात्रि से दो दिन पूर्व उतारा गया.परंपरा के अनुसार दोनो ही पंचशूल का मिलन कराया गया. इस मौके पर मंदिर प्रांगण में जिला उपायुक्त सह मंदिर प्रशासक विशाल सागर अन्य अधिकारी,पुरोहित सहित श्रद्धालुओं की भीड़ रही.
साल में एक बार ही उतारा जाता है पंचशूल
महाशिवरात्रि से ठीक पहले वर्ष में एक बार होने वाले इस धार्मिक अनुष्ठान को देखने और पंचशूल को स्पर्श करने के लिए मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. मंदिर की सदियों पुरानी धार्मिक परंपरा के अनुसार कल इस पवित्र पंचशूल की विधिवत पूजा के बाद पुन: दोनो मंदिरों पर इसे चढ़ाया जायेगा. इस दौरान मंदिर में गठबंधन पूजा बंद रहेगी.
क्यों स्थापित है त्रिशूल की जगह पंचशूल
बाबा मंदिर परिसर स्थित मुख्य द्वार सहित सभी मंदिरो के ऊपर त्रिशूल की जगह पंचशुल है जो वास्तुकला के दृष्टिकोण से इसे अलग पहचान तो देता ही है,इसके पीछे धार्मिक मान्यताये भी है. भगवान भोलेनाथ को प्रिय मंत्र ओम नमः शिवाय पंचाक्षर होता है,भगवान भोलेनाथ को रुद्र रुप पञ्चमुख है ऐसी मान्यताये है की भगवान शंकर ने अपने सबसे प्रिय शिष्य शुक्राचार्य को पञ्चवक्त्रम निर्माण की विधि बतायी थी. बाद में लंकापति रावण ने शुक्राचार्य से यह विद्या सीखी और उसी के आधार पर उसने लंका के चारो द्वार पर पंचशूल लगवाया था. यह पंचशूल मनुष्य को अजेय शक्ति प्रदान करता हैं यही कारण हैं की भगवान राम के लिए भी लंका अमेघ बन गयी थी. बाद में विभिषण द्वारा इस रहस्य की जानकारी भगवान राम को दी गयी थी और तब अगस्त मुनि ने पंचशूल ध्वस्त करने का विधान बताया था।
रावण ने उसी पंचशूल को इस मंदिर पर लगाया था ताकि इस मंदिर को कोई क्षति नहीं पहुचा सके. दूसरी ओर ऐसी मान्यता है कि ज्ञान की प्राप्ति सिर्फ शिव की उपासना से ही हो सकती है और मनुष्य के लिए मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है. मोक्ष प्रदान करने के लिए भगवान भोलेनाथ यहां पंचशूल धारी के रुप में विराजमान है. जानकारो के अनुसार इस पंचशूल के दर्शन मात्र से पूरे शिव परिवार के दर्शन का पुन्य प्राप्त होता है. पंचशूल को मनुष्य के जीवन चक्र के पांचशूलो के घोतक और पंच प्राणों के रुप में जाना जाता है इसे तंत्र विद्या से भी जोड़ कर देखा जाता है. ऐसी मान्यता है की जो भी शिवलिंग के दर्शन किये बिना पंचशूल का सिर्फ दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाये पूर्ण हो जाती है.
उमड़ेगी अपार भीड़,प्रशासन का पुख़्ता व्यवस्था
पंचशूल उतारने के दौरान मंदिर में मौजूद जिला उपायुक्त विशाल सागर ने बताया कि परंपरा के अनुसार महाशिवरात्रि से दो दिन पहले मंदिर के ऊपर से पंचशूल उतारा जाता है फिर विधि विधान से पूजा अर्चना कर इसे स्थापित किया जाता है. यही परंपरा आज तक कायम है. उपायुक्त ने बताया कि जैसे सावन की सोमवारी पर बाबा मंदिर में भीड़ उमड़ती है उसी तरह महाशिवरात्रि के दिन अपार भीड़ उमड़ेगी ऐसे में जिला प्रशासन द्वारा सुलभ और सुरक्षित जलार्पण कराने की सभी आवश्यक व्यवस्था रहेगी.
रिपोर्ट: रितुराज सिन्हा
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