धनबाद(DHANBAD): सूर्य की किरणें आफत बरसा रही है. लगातार गर्मी की रफ्तार बढ़ रही है. अन्नदाता परेशान है, सारे रिकॉर्ड को गर्मी तोड़ रही है. गर्मी से पूरा जनमानस परेशान है. इस बीच आफत बरसा रही सूर्य की किरणें के बीच मेढक -मेढकी की चर्चा चल पड़ी है. गर्मी से राहत पाने के लिए बारिश की कामना को लेकर पश्चिम बंगाल की उत्तर 24 परगना जिले के एक गांव में मेंढक और मेढ़की की शादी करवाई गई. इस शादी समारोह में बड़ी संख्या में गांव के लोग और बच्चे तो दूसरी तरफ का एक दर्जन भर मेंढक बाराती के तौर पर मौजूद थे.
गर्मी अब हो गई है बर्दाश्त से बाहर
लोगों ने बताया कि बंगाल गर्मी की मार झेल रहा है. जिसे खेतों में किसान काम नहीं कर पा रहे हैं, स्कूली बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे है. सड़कों पर दुकानदार गर्मी से परेशान है, तो घरों में मासूम बच्चे परेशानी झेल रहे है. लगातार बढ़ रही गर्मी रिकॉर्ड तोड़ रही है. इसको देखते हुए हम लोगों ने बड़े बुजुर्गों की बातें याद आ गई. बचपन में कहते सुना गया था कि गर्मी से राहत पाने के लिए मेंढक और मेढकी का विवाह करने से इंद्र देवता प्रसन्न होते है. जिसे बारिश होने के आसार बनने लगते है. इसी पुरानी कहावत को मानकर गर्मी से लोगों को राहत दिलाने के लिए मेंढक -मेढकी के विवाह का आयोजन किया गया.
केले के पत्ते से विवाह मंडप बनाया गया था
विवाह कार्यक्रम के लिए केले के पत्ते से घेर कर विवाह का मंडप बनाया गया था. इसके बाद घड़ा में भरकर तालाब से पानी लाकर मेढकी को नहलाकर हल्दी का कार्यक्रम किया गया. इसके बाद दूल्हा-दुल्हन मेंढकों के लिए बनाए गए विवाह मंडप में उन्हें ले जाया गया. वरमाला एवं दूल्हा- दुल्हन को मुकुट पहनाकर दुल्हन मेढकी को सिंदूर लगाकर मंडप के चारों तरफ फेरा लगवाया गया. जिसके बाद इस तरह से दोनों के बीच विवाह संपन्न कराया गया. विवाह के बाद मौजूद सभी लोगों एवं बच्चों को भोजन कराया गया. उसके बाद दूल्हा-दुल्हन यानी मेंढक और मेढकी को एक कुएं में छोड़ दिया गया. वहीं उसे कुएं में बाराती के तौर पर आए अन्य मेढ़कों को भी छोड़ दिया गया.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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