अब नये राज्यपाल खोलेंगे चुनाव आयोग का लिफाफा! जाते-जाते राज्यपाल रेमश बैस ने दिया इशारा

रांची(RANCHI): झारखंड की राजनीति में कोहराम मचाता रहा चुनाव आयोग का बंद लिफाफे पर अपनी मन की बात खोलते हुए राज्यपाल रमेश बैस ने कहा है कि यदि हेमंत सरकार के प्रति उनके नीयत में कोई खोट होती तो वह चुनाव आयोग के लिफाफे पर अपना निर्णय ले चुके होते.
राज्य सरकार के फैसले में तेजी आयी लेकिन उन्होंने चुनाव आयोग का मंतव्य पर कोई निर्णय इसलिए नहीं लिया ताकि राज्य की हेमंत सरकार अस्थिर नहीं हो और वह अपना कामकाज सुचारु रुप से जारी रख सके. उन्होंने यह भी कहा कि इसका असर यह हुआ कि राज्य सरकार काफी तेजी से निर्णय लेने लगी और आखिरकार इसका लाभ राज्य की जनता को हुआ. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यह राज्यपाल का अधिकार है कि वह किसी भी विधेयक और संवैधानिक प्रश्नों पर समयानुसार निर्णय लें, लेकिन इसकी कोई समय सीमा निर्धारित नहीं होती, यह मामला अभी भी यथावत है, और आने वाले राज्यपाल समयानुसार इसपर अपना निर्णल ले सकते हैं.
खनन लीज मामले में चुनाव आयोग से मांगी गई थी अनुशंसा
यहां बता दें कि विपक्ष के द्वारा मुख्यमंत्री से जुड़े खनन लीज मामले को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1955 का उल्लंधन मानते हुए राज्यपाल से कार्रवाई की मांग की गयी थी, जिसके बाद राज्यपाल ने इस मामले में चुनाव आयोग की राय की मांग की थी, लेकिन इस मामले में चुनाव आयोग की अनुशंसा पर राजभवन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गयी, और ना ही चुनाव आयोग की अनुशंसा को कभी सार्वजनिक किया गया, जिसके बाद राज्य में अटकलों का दौर चलता रहा, एक समय ऐसा भी आया जब राज्य की हेमंत सरकार अपने सारे विधायकों को राज्य से लेकर चली गयी, आखिरकार सरकार ने विधानसभा में विश्वासमत का प्रस्ताव पेश किया. जिसके बाद से ही राजनीतिक गलियारे के साथ ही आम जनता में भी चुनाव आयोग के लिफाफे का रहस्य बरकरार रहा.
नीयत में नहीं थी कोई खोट
अब जब राज्यपाल रमेश बैस की विदाई हो रही है, उनके द्वारा पहली बार इस पर कुछ बोला गया है, हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि नये राज्यपाल इस मामले में निर्णय ले सकते हैं, लेकिन इतना जरुर कहा कि उनकी नीयत में कोई खोट नहीं था, उनकी योजना राज्य सरकार को अस्थिर नहीं करने की थी.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार
4+