धनबाद(DHANBAD): महंगी बिजली का एक बार फिर शोर है. धनबाद में शुक्रवार को नियामक आयोग की बैठक में मौजूद उपभोक्ताओं ने अधिकारियों को "आईना" दिखाया. विभाग की ओर से बिजली दर में प्रति यूनिट 10% बढ़ाने का प्रस्ताव आया, जिसका उपभोक्ताओं ने विरोध किया. कहा गया कि अभी बिजली 15 से 16 घंटे ही मिलती है. जनरेटर के सहारे कारोबार चलता है और इनवर्टर के सहारे घरों को बिजली मिलती है. इनके मेंटेनेंस में काफी खर्च होते है. कुल जोड़कर देखा जाए तो फिलहाल धनबाद में प्रति यूनिट बिजली 15 से ₹16 प्रति यूनिट पड़ रही है.
विभाग अभी 6. 30 पैसे प्रति यूनिट ले रहा
विभाग तो अभी 6. 30 पैसे प्रति यूनिट ले रहा है. नियामक आयोग के अध्यक्ष अमिताभ गुप्ता ने कहा कि बिजली दर ऐसी बढ़ेगी, जिससे उपभोक्ताओं को परेशानी ना हो और विद्युत वितरण कंपनी को फायदा हो. बैठक में उपभोक्ताओं ने अपनी अपनी समस्याएं रखी, जिस पर समाधान करने की बात कही गई. उपभोक्ताओं की शिकायत थी कि ऊर्जा मित्र अक्सर रेगुलर बिल नहीं देते है. बकाया अधिक होने पर कनेक्शन काट दिया जाता है. बिल में गड़बड़ी होने पर सुधार के लिए जब कार्यालय में उपभोक्ता पहुंचते हैं तो अधिकारी नहीं मिलते. इस तरह की अन्य कई समस्याएं भी उपभोक्ताओं ने राखी. जो भी हो, धनबाद का कोयला लेकिन धनबाद को ही पर्याप्त बिजली नहीं मिलती है. पर्व -त्योहारों के समय तो संकट और अधिक बढ़ जाता है.
तय समय पर बिजली बिल मिलते भी नहीं है
एक तो उपभोक्ताओं को समय पर बिजली का बिल मिलता नहीं है, कभी-कभी तो दो-तीन महीना पर बिजली का बिल दिया जाता है. बिजली का बिल भी कम नहीं आता है. इस वजह से अगर उपभोक्ताओं को दो-तीन महीना का बिल एक साथ मिलता है, तो उन्हें भुगतान में परेशानी होती है. कोयलांचल में संभवत बहुत कम घर ही होंगे, जहां इनवर्टर का प्रयोग नहीं होता होगा. इनवर्टर भी सस्ता नहीं होता है, जो पैसेवाले है , वह जनरेटर से काम चलाते है. कारोबारी तो कहा जा सकता है कि जनरेटर के भरोसे ही अपना धंधा- व्यवसाय करते है. जनरेटर रखना भी बाजार में एक बड़ी समस्या है. जगह होती नहीं, धुआं निकलने पर लोग इसका विरोध करते है. जनरेटर चलने से सिर्फ कारोबारी को आर्थिक नुकसान नहीं है, पर्यावरण को भी खतरा बढ़ता है. अगर उपभोक्ताओं की लाइन में कोई तकनीकी खराबी आ जाए तो उसे ठीक कराने के लिए नाको चने चबाने पड़ते है.
बिजली विभाग में नियमित कर्मचारी होते नहीं है
एक तो बिजली विभाग में नियमित कर्मचारी नहीं है, जो काम करते हैं, वह अस्थाई होते है. वह उतनी मेहनत और लगन से काम करते नहीं है. इसके अलावे अगर वह लाइन ठीक करने आपके घर पहुंच गए तो बिना "फूल "बेलपत्र" के काम करते नहीं है. इधर, बिजली विभाग अधिक बकाया होने पर लाइन काट देता है. बिजली भुगतान के लिए अगर आप कार्यालय जाते हैं, तो वहां भी घंटों लाइन लगना पड़ता है. धनबाद बिजली कार्यालय की बात की जाए तो मैन्युअल काउंटर लगभग बंद हो गए है. वहां दो एटीपी मशीन है, लेकिन ऑपरेटर एक ही होता है. नतीजा होता है कि जो उपभोक्ता ड्यू डेट के पहले भुगतान कर रिबेट लेने की कोशिश करते हैं, उन्हें घंटा लाइन में लगना पड़ता है. यह बात अलग है कि एक सौ यूनिट फ्री योजना का लाभ भी लोगो को मिल रहा है. लेकिन इनकी संख्या काम नहीं है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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