भोलेनाथ के विवाह के अवसर पर बाबा बैद्यनाथ का हुआ विवाह संपन्न, जानिए सिंदूर चढ़ाने की क्या है परंपरा
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देवघर (DEOGHAR): पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ का इतिहास सबसे अलग है. जिस स्थान पर माता सती का हृदय गिरा था उसी स्थान पर बाबा बैद्यनाथ को विराजमान किया गया है. इसलिए इस शिवालय में पूजा अर्चना करने से माँ के साथ साथ भोलेनाथ की असीम कृपा बनी रहती है. यह शिवधाम शक्तिपीठ के रूप में भी जाना जाता है. माता सती का हृदय गिरने से इसे हृदया पीठ भी कहते है. जानकारों के अनुसार इस ज्योर्तिलिंग को स्पर्श करने से भक्तों को अलग ही ऊर्जा मिलती है. जो भी इस ज्योर्तिलिंग से कामना करते हैं बाबा बैद्यनाथ और माता सती हर मनोकामना पूर्ण करती है इसलिए इसे मनोकामना लिंग भी कहा जाता है. चूंकि पहले सती यहाँ विराजमान हुई तब बैद्यनाथ हुए इसलिए यहाँ दोनों का विवाह उत्सव महाशिवरात्रि के अवसर पर मनाया जाता है. बाबा मंदिर के सरदार पंडा द्वारा भोलेनाथ और पार्वती रूप में माता सती के विवाह की रश्म अदा करते हैं. पारंपरिक बारात निकाल कर देर रात दोनों का विवाह संपन्न होता है. पूरे विधि विधान और मंत्रोच्चार के साथ सिंदूर दान कर ज्योर्तिलिंग पर सिंदूर चढ़ाया जाता है. इसके अलावा शायद ही किसी पवित्र द्वादश ज्योर्तिलिंग पर सिंदूर चढ़ाने की परंपरा होगी. इसलिए महाशिवरात्रि के अवसर पर बैद्यनाथ धाम में सिंदूर चढ़ाया जाता है जिसके साक्षी बड़ी तादाद में पुरोहित, मंदिर और प्रशासनिक अधिकारी सहित स्थानीय बनते है. इसी के तहत महाशिवरात्रि पर बाबा बैद्यनाथ को सिंदूर चढ़ा कर विवाह को संपन्न कराया गया.
रिपोर्ट: रितुराज सिन्हा
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