रांची(RANCHI): झारखंड में सूर्य देवता कहर बरपा रहे हैं. हर कोई गर्मी से बेहाल है.हर नदी तलब जलाशय सूख गए है. इंसान शहर में पानी के लिए तरशता दिख रहा है तो जंगल में जानवर पानी के बिना बेहाल है. अब पानी की ऐसी किल्लत हो गई की पानी की तलाश में निकले 35 बंदर की मौत हो गई. इस मौत से इलाके में मातम सा माहौल हो गया. यह मामला पलामू जिले के पांकी से सामने आया है. अब सवाल उठ रहा है कि आखिर इन बंदरों की मौत का जिम्मेवार कौन है. आखिर जब पानी की किल्लत हुई तो इसका ध्यान क्यों नहीं रखा गया है.
पानी की किल्लत से जूझ रहे जानवर
पलामू में जंगली जानवर की संख्या अधिक है. जंगल की हर ओर बंदर दिख जाते है. खाने की तलाश में कभी सड़क पर दिखते है. लेकिन अब गर्मी का मौसम है तो पानी की किल्लत से जानवर भी जूझ रहे है.जंगल में पानी सूख गया. नदी,जलाशय और सभी कूप सूख चुके हैं. यही वजह है कि पानी की किल्लत से लोग परेशान है. प्यास बुझाने के लिए बंदर अब शहर की ओर रुख कर रहे है.पानी की तलाश में बंदर पांकी क्षेत्र स्थित सोरठ गांव पहुँच गए. उन्हे एक कुआं दिखा जहां लगा की प्यास बुझ जाएगी.
प्यास तो बुझ गई लेकिन जान चली गई
बंदर कुएं के पास पहुंचे तो सभी को पानी दिखाई दिया. पानी देखते ही प्यासे बंदर एक एक कर कुए में उतर गए. सभी की प्यास तो बुझ गई. लेकिन बाहर एक भी नहीं निकल सके. कुएं में उतरे 35 बंदर की मौत हो गई. पानी की कीमत जान दे कर बंदरों को चुकानी पड़ी है.बंदर की मौत के बाद इलाके में मातम सा माहौल छा गया. जो लोग हनुमान जी में आस्था रखते है वह उदास हो गए.पूरे इलाके की भीड़ कुएं के पास देखने के लिए पहुँच रहे है.
सवालों के घेरे में वन विभाग
गर्मी के मौसम में पानी की किल्लत सभी जगह है. ऐसे में वन विभाग पर सवाल खड़ा हो रहा है कि जब जंगल में सभी जलाशय नदी सूख गए तो जानवरों को पीने के लिए पानी की व्यवस्था क्यों नहीं की गई. आखिर करोड़ों रुपये वन विभाग हर साल जानवरों की सुरक्षा पर खर्च करती है. बावजूद जनवरी की मौत से विभाग सवालों के घेरे में है. ऐसे में अब देखना है कि 35 बंदरों की मौत के बाद वन विभाग नींद से जागता है या और जानवरों को जान से हाथ धोना पड़ेगा.
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