राज्य में अवैध बालू का खेल खेल रहे अधिकारी,उच्च न्यायलाय में दायर करेंगे याचिका:बीनू
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पलामू(PALAMU): झारखंड में बालू घाटों की बन्दोबस्ती नहीं होने से झारखंड में निर्माण कार्य थम सा गया है. मजदूर को काम नहीं मिल रहा है. वे दूसरे राज्य पलायन को मजबूर है. बालू की किल्लत का मामला सड़क से लेकर सदन तक एनसीपी ने उठाया है. लेकिन इस दिशा में सरकार की ओर से कोई पहल नहीं होने से अब आंदोलन की रूप रेखा तैयार करने में जुट गया है. सांकेतिक रूप से अनुमंडल स्तर से आंदोलन की शुरुआत कर सरकार को चेतावनी दे चुकी है. अब जिला मुख्यालय और राजधानी कूच करने की तैयारी है. एनसीपी प्रदेश महासचिव बीनू सिंह ने तल्ख लहजे में कहा कि बालू घाटों की नीलामी की जाए या फिर जनता के लिए बालू उठाव फ्री किया जाए. ऐसा नहीं किया गया तो सरकार का पूरा काम ठप कर देंगे.
बालू नहीं मिलने से निर्माण कार्य नहीं हो पा रहा
रास्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रदेश महासचिव विनय कुमार सिंह उर्फ बीनू सिंह ने शुक्रवार को मेदिनीनगर में कहा कि बालू की वजह आम जनता, व्यवसाई, मजदूर, राजमिस्त्री, निर्माण कार्य से जुड़े अन्य लोग परेशान हैं. पीएम आवास निर्माण कार्य के लिए बालू नहीं मिलने से निर्माण कार्य नहीं हो पा रहा है. जबकि अधिकारी निरीह गरीब लोगों के खिलाफ सार्टिफिकेट केस कर रहे हैं. यह कैसा इंसाफ है. जनता मजदूर व्यवसाई एक जुट होकर अधिकारियों और सरकार का सारा काम ठप्प कर देंगे.
उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करेंगे
उन्होंने कहा कि बालू को लेकर लगातार दो वर्षो से पलामू समेत सम्पूर्ण राज्य में भवन निर्माण और विकास कार्य भी प्रभावित है. लगातार ध्यान आकृष्ट कराने के बावजूद सरकार और अधिकारी मूक दर्शक बनी है. अब जनता, मजदूर, गाड़ी मालिक, दुकानदार सभी के सब्र का बांध टूट चुका है. बालू का अवैध कारोबार अधिकारी कराकर सरकारी खजाने में सेंध लगा रहे हैं. यह जनता के साथ बड़ा धोखा है. इसके खिलाफ वह उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करेंगे. उन्होंने कहा कि झारखंड के बालू घाटों की बंदोबस्ती नहीं करने के पीछे सरकार की मंशा स्पष्ट है. अगर बालू घाटों की बंदोबस्ती होती तो सरकार को राजस्व भी मिलता और आम लोगों को बालू आसानी से सस्ती दर पर उपलब्ध होता. सरकार के मुखिया बालू की कालाबाजारी करा कर अपनी जेब भरने में लगे हैं.
छोटी नदियों में बालू नाम की कोई चीज है ही नही
पलामू के अधिकारी ग्रेड वन छोटी नदियों से बालू उठाव की अनुमति देकर जनता को मूर्ख बनाने का काम कर रहे है. पलामू की अधिकांश छोटी नदियों में बालू नाम की कोई चीज है ही नही.इन नदियों में एक ट्रेक्टर भी बालू नही है.अधिकारी जनता को दिग्भ्रमित करना बंद करें. उन्होंने कहा कि याचना नहीं अब रण होगा, संघर्ष बड़ा भीषण होगा.उन्होंने कहा कि सरकार और अधिकारी जनता की समस्या के प्रति गंभीर नहीं है. आने वाले दिनों में बालू को लेकर पुलिस प्रशासन और जनता के बीच टकराव की स्थिति बन रही है. उन्होंने कहा कि अभी भी वक्त है सरकार और प्रशासन बालू को लेकर निर्णय ले,या टकराव से निबटने को तैयार रहे. उन्होंने कहा कि एक सप्ताह में ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो मेदिनीनगर मुख्यालय में विशाल धरना दिया जायेगा. फिर भी समाधान नहीं किया जाता है तो राज्य मुख्यालय रांची में आंदोलन किया जाएगा.
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