धनबाद(DHANBAD): धनबाद के सांसद चाहे रीता वर्मा रही हों , ददई दुबे रहे हों , पशुपतिनाथ सिंह रहे हों , झरिया के विधायक चाहे सूर्य देव सिंह रहे हों , बच्चा बाबू रहे हों , आबो देवी रही हों , कुंती सिंह रही हों , संजीव सिंह रहे हों या फिर पूर्णिमा नीरज सिंह. झरिया के लोगों को पानी समस्या से निजात नहीं मिला. आगे कब मिलेगा, इसका भी कोई डेड लाइन तय नहीं है. इस आफत वाली गर्मी में अगर पानी नहीं मिले तो क्या हाल होगा, यह तो भुक्त भोगी ही बता सकते है. अगर उस इलाके में सप्लाई के अलावे पानी का कोई दूसरा स्रोत नहीं हो तो क्या हाल होगा, यह भी कोई भुक्तभोगी ही बता सकते है. हाल जानने के लिए आपको बहुत दूर जाने की जरूरत नहीं है. धनबाद से 10 -12 किलोमीटर दूर झरिया इलाके में अगर आप चले जाएं और पानी की चर्चा कर दें तो लोगों का गुस्सा फूट पड़ता है. लोग धारा प्रवाह में व्यवस्था और जनप्रतिनिधियों को कोसने लगते है. हालांकि यह समस्या सिर्फ इसी साल की गर्मी की नहीं है. 365 दिन इन इलाकों में पानी की समस्या रहती है. लेकिन यह समस्या कभी चुनावी मुद्दा नहीं बनता. सांसद चाहे कोई भी हो, विधायक चाहे कोई भी हो, मुख्यमंत्री चाहे कोई भी हो, इस समस्या का समाधान अब तक नहीं कर पाया है.
तीन महीने में बीस दिन पानी संकट
एक आंकड़े पर भरोसा करें तो पिछले तीन माह में 20 दिन से अधिक झरिया और आसपास के लोगों को पीने का पानी नहीं मिला. यह अलग बात है कि पीट वाटर से नहाने धोने का काम उनका चलता है. इसका मुख्य कारण बिजली आपूर्ति का बाधित रहना बताया जाता है. आंकड़े के अनुसार बिजली आपूर्ति बाधित होने के कारण 13 दिन, लीकेज मरम्मत के कारण 5 दिन और मोटर पंप में खराबी आने के कारण 2 दिन जलापूर्ति बाधित रही. लेकिन इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ा. पानी नहीं मिलने से लोगों की परेशानी बढ़ती रही. बिजली आपूर्ति बाधित रहने के कारण जल भंडारण पर असर पड़ता है. झरिया में फिलहाल पानी और प्रदूषण की बड़ी समस्या है. विस्थापन भी एक बहुत बड़ा मुद्दा है, लेकिन यह सब स्थानीय मुद्दे कभी चुनावी मुद्दे नहीं बनते है. धनबाद में तो समस्याओं की लंबी सूचि है लेकिन उन समस्याओं को कभी मुद्दा नहीं बनाया जाता है. झरिया में पानी का कोई दूसरा स्रोत नहीं है.
पीट वाटर का उपयोग पीने में नहीं किया जा सकता
पीट वाटर जरूर उपलब्ध है लेकिन इस पानी का उपयोग पीने में किया नहीं जा सकता है. आप इस इलाके में जाएंगे तो देखेंगे कि जहां-तहा पीट वाटर बहता रहता है और उस पानी के लिए भी लोगों की भीड़ जुटी रहती है. पीने का पानी दामोदर नदी से सप्लाई होता है. और सप्लाई की जिम्मेवारी झमाडा पर है. लेकिन झमाडा खुद ही बीमार है , खुद ही प्यास है, वह झरिया को पानी क्या पिलाएगा. झरिया की हालत यह है कि पौ फटने के साथ ही लोग भोजन के जुगाड़ में कम, पानी इकट्ठा करने के लिए परेशान हो जाते है. जो संपन्न है, उनके यहां तो बोतल बंद पानी से पीने का काम चल जाता है लेकिन आम लोगों को कंठ भिगोने के लिए भी पानी नहीं मिलता.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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