धनबाद(DHANBAD): आज राष्ट्रीय खेल दिवस है. हर एक साल 29 अगस्त को हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के जन्मदिवस के अवसर पर राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है. आज उनकी याद में विभिन्न खेलों का आयोजन होगा. लेकिन खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए अगर धनबाद की बात करें तो एक ढंग का मैदान भी नहीं है. धनबाद के लगभग 1000 सरकारी स्कूलों में खेल के मैदान नहीं है. ऐसे में कैसे उम्मीद की जा सकती है कि खेलो इंडिया अभियान सफल होगा.
खेलने के लिए नहीं है मैदान
धनबाद में अगर मैदान की चर्चा करें तो धनबाद शहर और उसके आसपास के मैदान या तो खेलने लायक नहीं बचे हैं अथवा अतिक्रमण कर लिए गए हैं. कोहिनूर मैदान में निर्माण हो गया है. जिला परिषद मैदान में हमेशा मेला ही लगा रहता है. गल्फ ग्राउंड का एक हिस्सा जॉगिंग पार्क बन गया है. मेगा स्पोर्ट्स कंपलेक्स के रूप में एक स्टेडियम मिला भी तो अब तक हैंडओवर नहीं हुआ है. यहां खिलाड़ियों को अभ्यास करने का अवसर नहीं मिलता. ऐसे में दावे चाहे जो भी कर लिए जाएं लेकिन धनबाद से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी कैसे निकलेंगे.
किसी तरह कष्ट में जीवन यापन कर रहे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी
दूसरी ओर रेलवे, आईएसएम ,टाटा के मैदान में बाहरी खिलाड़ियों के प्रैक्टिस की अनुमति नहीं है. सबसे दुखद बात है कि धनबाद के मेमको मोड़ के पास मेगा स्पोर्ट्स कंपलेक्स लगभग 15 सालों में बनकर तैयार हुआ. लगभग 10 करोड रुपए की लागत से यह बना. स्टेडियम पिछले 3 साल से हैंडओवर का इंतजार कर रहा है. इसके अलावा तंग हाल जिंदगी काट कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बने खिलाड़ियों को नौकरी नहीं मिली. किसी तरह अभी वह कष्ट में जीवन यापन कर रहे हैं .ऐसे में आज खेल दिवस पर खेलों का आयोजन करना, बड़ी-बड़ी बातें होनी, कितना सही है, इसका आकलन तो होना ही चाहिए.
रिपोर्ट; धनबाद ब्यूरो
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