पलामू(PALAMU): झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले मुसलमान गोलबंद होने लगे है. अपने हक और अधिकार पर सवाल खड़ा कर पूछ रहे है कि आखिर बदहाली और पिछड़ेपन का जिम्मेवार कौन है. देश की आजादी के 75 साल बाद भी शिक्षा और आर्थिक रूप से पिछड़ेपन की मार क्यों झेल रहा है. राजनीति में कोई मुसलमान का चेहरा क्यों नहीं है. इन सब सवालों को लेकर ईदार ए शरिया बैठक कर आगे की रणनीति तय कर रहा है. साथ ही राजनीति में कैसे मुसलमान आगे बढ़े इसे लेकर विभिन्न क्षेत्र में बैठक कर रणनीति तय की जा रही है.
इदारे शरीया के मनसूबे को ज़मीन पर उतारने और अमली शक्ल देने क लिए गुरुवार को डाल्टनगंज स्थित टाउन हॉल में पलामू जिले के उलेमाओं मौलाना व अकलमंद लोगों के साथ बिहार पूर्व सांसद गुलाम रसूल बलियावी ने विचार विमर्श किया. उन्होंने मुस्लिम समाज के प्रतिभावान गरीब बच्चों को कंपीटिशन में रुकावट नहीं आए. उनकी शिक्षा में पैसा और गरीबी बाधा ना बने इसे लेकर एक कमिटी बनाई जाएगी. उन्होंने जिले के तमाम प्रखंडों से पहुंचे लोगों से सुझाव मांगा की मुसलमानों में सामाजिक राजनीतिक चेतना लाने के लिए क्या क्या करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा के साथ साथ शिक्षा सबसे जरूरी है. आह्वान किया कि फिजूल खर्च को बंद कर उस पैसे से अपने बच्चो को अच्छी शिक्षा देने पर जोर दें. उन्होंने कहा कि डाल्टनगंज में इदार ए शरिया की बिल्डिंग बनेगी. इसमें आर्थिक तौर से गरीब टैलेंटेड बच्चों को विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी निशुल्क कराई जा सकती है.
उन्होंने कहा कि दूसरे क्या कर रहे हैं, इसे देखना हमारा काम नहीं है. हम अपने परिवार, समाज और देश को आगे ले जाने में अपना समय लगाएं,तो लोग हमे खुद ब खुद पूछने लगेंगे. उन्होंने कहा कि दिन के साथ तालीम और राजनीति में भी मुसलमान आगे होंगे. मौलाना बलियावी ने कहा कि पलामू में तहरीक ए बेदारी को लेकर दिसंबर 2023 में हुई आम मीटिंग का असर व्यापक हुआ है. गांव गांव में शादियां सादगी के साथ होने लगी हैं. फिजूल खर्ची पर काफी हद तक रोक लगी है. उन्होंने कहा कि डाल्टनगंज में कमिश्नरी स्तर की बैठक आने वाले दिनों ने की जाएगी, जिसमें गढ़वा, पलामू, लातेहार के साथ चतरा के लोगों को भी जोड़ा जाएगा.
ये रहे शामिल
उन्होंने पलामू कमेटी को सफल आयोजन के लिए मुबारकबाद दी. स्दारत रजी अहमद ने की. कार्यक्रम में मौलाना अहमद अली खान रजवी, सैयद साहब, इकबाल कुरैशी, कुतुबुद्दीन अहमद , रकीब राईन, सन्नु खान, शहरयार अली, वारिस आलम, शाहनवाज खान, लड्डू अंसारी, जफर महबूब, कामरान फलक, कलीमुद्दीन कुरैशी, खुर्शीद आलम, समल अहमद ,मेराज नूरी के अलावा सैकड़ों लोग मौजूद थे.
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