बोकारो : बोकारो जिले के तेनुघाट डैम को एशिया का सबसे बड़ा मिट्टी का डैम कहा जाता है. इस डैम से आसपास के सैकड़ों मछुआरे अपनी जीविका भी चलाते हैं. डैम में अधिक से अधिक मात्रा में मछलियों का पालन हो,इसे देखते हुए सरकार ने लगभग 50 वर्ष पूर्व तेनुघाट में मछली बीज उत्पादन के लिए कई तालाबों का निर्माण कराया था, लेकिन वर्तमान समय में सरकारी उदासीनता के कारण उनमें से कई तालाबों का अस्तित्व ही खत्म हो गया है. लगभग सभी तालाब झंगली झाड़ियां से पट चुका है.
तालाब खो रहे अपना अस्तित्व
इस संबंध में तालाब का देखरेख करने वाले एक दैनिक वेतनभोगी ने बताया कि मत्स्य बीज उत्पादन के लिए तेनुघाट डैम के निर्माण के समय ही यहां लगभग 56 छोटे बड़े तालाबों का निर्माण कराया गया था. जिससे तालाब में मत्स्य बीज उत्पादन करने के पश्चात स्थानीय मछुआरे तेनुघाट डैम में उन मछली अंगुलिकाओं को छोड़कर अपनी जीविका चला सकें. वर्तमान समय में चार-पांच तालाबों को छोड़कर बाकी सभी तालाब अपने अस्तित्व को खो चुका है. तालाब पर जंगली झाड़ियों एवं शैवालों का कब्जा हो चुका है. अगर जल्द ही इसका जीर्णोद्धार नही किया जाता है तो सभी तालाबो का अस्तित्व ही खत्म हो जायेगा.
रोजगार से जुड़ सकेंगे स्थानीय लोग
इस संबंध में जिले के तत्कालीन मत्स्य प्रसार पदाधिकारी प्रमोद कुमार ने बताया कि उक्त स्थल पर जल्द ही मॉडल हेचरी केंद्र के रूप में विकास कराया जाएगा. इसका सेंक्शन भी हो चुका है. उन्होंने यह भी बताया कि लगभग 70 एकड़ भूमि में तालाब का निर्माण कराया गया था. अब यहां मॉडल हेचरी केंद्र का निर्माण हो जाने से यहां के स्थानीय लोग सीधे तौर पर रोजगार से जुड़ सकेंगे.
रिपोर्ट: संजय कुमार
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