धनबाद(DHANBAD): मकर संक्रांति, इस दिन तिल के अलावा गुड़, खिचड़ी खाने और दान का भी महत्व है. मान्यता है कि इन तीनों चीजों के बिना मकर संक्रांति का त्योहार अधूरा रह जाता है.धनबाद की फिंजा में चीनी, गुड़ और तिल की खुशबू महकने लगी है. मकर संक्रांति में स्नान, ध्यान, पूजन, दान के साथ तिल और तिल से बने तिलकुट का विशेष महत्व होता है. मकर संक्रांति हिंदू धर्म के लिए बड़ा पर्व माना जाता है. इस पर्व में चूड़ा- दही के साथ तिलकुट खाने की भी परंपरा है. मकर संक्रांति को लेकर बाजारों में तिलकुट की दुकानें सज गई है. अभी से ही लोग तिलकुट खरीदने लगे है.
चीनी से महंगा बिक रहा गुड़ का तिलकुट
इस बार बाजार में चीनी के तिलकुट से गुड का तिलकुट अधिक महंगा बिक रहा है. वैसे तो बिहार के गया का तिलकुट विश्व प्रसिद्ध है. बहुत पहले गया से तिलकुट की खेप धनबाद आती थी. लेकिन अब वह परंपरा नहीं के बराबर रह गई है. यह अलग बात है कि तिलकुट कूटने के लिए गया से कारीगर धनबाद आते जरूर है. इस साल भी बिहार के गया और झारखंड के गिरिडीह, जमुआ, हजारीबाग से कारीगर और व्यापारी अपनी टीम के साथ पहुंचे है. कुछ दिनों तक यह टीम धनबाद के विभिन्न इलाकों में रहेगी और तिलकुट कूटने का काम करेगी. धनबाद से तिलकुट बाहर भी भेजा जाता है. बंगाल का नाम विशेष रूप से लिया जाता है.
तिलकुट की बिक्री 11 या 12 तारीख से बढ़ेगी
तिलकुट की बिक्री 11 या 12 तारीख से बढ़ेगी, वैसे लोग अभी भी तिलकुट खरीद रहे हैं और उसका स्वाद ले रहे है. पहले तो तिलकुट जनवरी महीने में ही मिलता था, लेकिन अब तो 365 दिन तिलकुट की बिक्री होती है और लोग इसकी खरीदारी भी करते है. तिलकुट बनाने और बेचने वाले जनवरी महीने की प्रतीक्षा करते हैं. तिलकुट के बाजार से वह अच्छा मुनाफा कमा लेते है. इस साल भी तिलकुट का बाजार सजने को तैयार है. मकर संक्रांति में लोग दही- चुड़ा के साथ तिलकुट का आनंद लेंगे, स्नान ध्यान करेंगे पूजा दान करेंगे. सूर्य का मकर राशि में प्रवेश यानी मकर संक्रांति दान, पुण्य की पावन तिथि है. इसे देवताओं का दिन भी कहा जाता है. इसी दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं. शास्त्रों में उत्तरायण के समय को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं की रात कहा गया है. ये पर्व फसल और सूर्य-शनि से जुड़ा है. मकर संक्रांति के दिन तिल संबंधी कुछ काम करके सोए हुए भाग्य को जगाने की बात कही जाती है. इसे तिल संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है. मकर संक्रांति को उत्तरायण भी कहते हैं, क्योंकि इसके बाद से सूर्य उत्तर दिशा में गमन करते हैं.
खिचड़ी के उपयोग से नवग्रह की कृपा प्राप्त होती है
मान्यता यह भी है कि मकर संक्रांति पर खिचड़ी के उपयोग से नवग्रह की कृपा प्राप्त होती है. साथ ही आरोग्य का वरदान मिलता है. शास्त्रों में बताया है कि खिचड़ी में मिलाए जाने वाले पदार्थ नवग्रहों से जुड़े होते हैं. चावल - खिचड़ी में चावल महत्वपूर्ण है जो चंद्रमा और शुक्र ग्रह की शुभता पाने के लिए लाभदायक है. घी - खिचड़ी घी के बिना अधूरी मानी जाती है. घी से सूर्य का संबंध है. इससे सूर्य की कृपा प्राप्त होती है.हल्दी - हल्दी बृहस्पति का प्रतिनिधित्व करती है. काली दाल - खिचड़ी में डाली जाने वाली काली दाल के सेवन से शनि, राहु-केतु के अशुभ प्रभाव कम होते हैं. मूंग दाल - कई लोग मकर संक्रांति पर मूंग दाल, हरि सब्जियों और चावल के मिश्रण से खिचड़ी बनाते हैं. मूंग दाल और हरि सब्जियां बुध से संबंधित है. गुड़ - खिचड़ी के साथ खाए जाने वाला गुड़ मंगल और सूर्य का प्रतीक माना जाता है. गुड़ और तिल की तासीर गर्म होती है. दोनों ही चीजें सर्दी के प्रभाव से बचाने में फायदेमंद मानी जाती हैं. इसे खाने से शरीर को गर्माहट मिलती है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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