धनबाद(DHANBAD): लोकसभा चुनाव में आपसी मनमुटाव का परिणाम शुक्रवार को धनबाद के मैथन मोड में भी दिखा. धनबाद के नवनिर्वाचित सांसद ढुल्लू महतो को काला झंडा दिखाया गया. नतीजा हुआ कि मारपीट, पत्थरबाजी और हंगामा हो गया. अभिनंदन समारोह में भाग लिए बिना सांसद ढुल्लू महतो लौट गए. जानकारी निकल कर आई है कि स्वागत समारोह का मासस और राजद समर्थ को ने विरोध किया. इस दौरान उन्हें काला झंडा दिखाया गया. इसके बाद मारपीट शुरू हो गई, भगदड़ मच गई. दोनों ओर से लाठी -डंडे और पत्थर चलने लगे. घटना में आधा दर्जन लोगों के घायल होने की सूचना है. पथराव में निरसा विधायक अपर्णा सेन गुप्ता की गाड़ी का शीशा टूट गया. सूचना पर पुलिस पहुंची और दोनों पक्षों को खदेड़ दिया. पुलिस जब सख्ती शुरू की तो समारोह स्थल खाली हो गया.
हंगामा के बाद सांसद ढुल्लू महतो लौट गए
उसके बाद सांसद ढुल्लू महतो अपने काफिले के साथ लौट गए. दरअसल, धनबाद सांसद ढुल्लू महतो की जीत के बाद पहली बार भाजपा कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को मैथन मोड में अभिनंदन समारोह का आयोजन किया था. इसी दौरान कुछ लोगों ने सांसद को काला झंडा दिखाया. इसके बाद भाजपा समर्थकों और सांसद के लोगो ने काला झंडा दिखाने वाले दो युवकों की पिटाई कर दी. उसके बाद हंगामा और बढ़ गया. सांसद का क्षेत्र में दौरा होना या कार्यक्रम होना वीआईपी मूवमेंट होता है ,फिर हंगामा कैसे हो गया ,जाँच पुलिस कर रही है. घटना के बाद विधायक अर्पणा सेन गुप्ता ने कहा कि विपक्षी दलों को हार नहीं पच रहा है.
जनता सांसद चुनती है, तो अभिनंदन करने का भी अधिकार है
जनता सांसद चुनती है, तो जनता को अभिनंदन करने का भी अधिकार है. घटना की जितनी भी निंदा की जाए, वह कम है. ऐसे अ सामाजिक तत्वों को समझ में आ जाना चाहिए कि उनके आका उन्हें कहां ले जाना चाहता है. इधर, घटना के संबंध में निरसा के पूर्व विधायक अरूप चटर्जी ने कहा है कि फिलहाल क्षेत्र से बाहर है. सांसद जिले के बड़े जनप्रतिनिधि होते है. उनके साथ घटना होना निंदनीय है. इसकी हम कड़ी निंदा करते है. निरसा, चिरकुंडा में सांसद ढुल्लू महतो का अभिनंदन कार्यक्रम था. निरसा के तेतुलिया मोड, हटिया मोड, निरसा चौक के अलावा चिरकुंडा में उनका स्वागत किया गया. जुलूस भी निकाला गया, लेकिन मैथन मोड़ के अभिनंदन समारोह में हंगामा हो गया. यह बात सच है कि चुनाव हो गया,परिणाम आ गया. चुनाव में बहुत तरह की बातें होती है लेकिन चुनाव परिणाम के साथ ही सारी बातें खत्म हो जाती है. इसको लेकर अगर कोई कानून व्यवस्था को अपने हाथ में लेता है, तो इसे कतई उचित नहीं कहा जा सकता.
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