रांची (TNP Desk) : लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र से इस बार कांग्रेस ने फिर सुखदेव भगत को मैदान में उतारा है. इस बार उनका मुकाबला भाजपा प्रत्याशी समीर उरांव से होगा. सुखदेव भगत झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. झारखंड से दो बार विधायक भी रह चुके हैं. उनकी गिनती एक कद्दावर नेताओं में होती है. 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के सुदर्शन भगत को कड़ी टक्कर दी थी.
कैसा रहा सुखदेव भगत का सियासी सफर
लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत का जीवन काफी रोचक रहा है. उनके पिता गंद्धर्व भगत स्वतंत्रता सेनानी थी. घर में शुरू से ही एक अलग माहौल रहा था. सुखदेव भगत की प्रारंभिक शिक्षा नेतरहार आवासीय विद्यालय में हुई. दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर के साथ एमफिल किया. इसके बाद बैंक के अधिकारी बने, जिसे छोड़कर बिहार के समय प्रशासनिक सेवा में चले गए. वर्ष 2005 में राज्य प्रशासनिक सेवा से डिप्टी कलेक्टर का पद का त्याग कर कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ने का फैसला किया. तब लोहरदगा के विधायक भाजपा के सधनू भगत थे और मंत्री भी थे. ऐसे में भाजपा के गढ़ में सेंधमारी करने और राजनीतिक पारी की शुरुआत करना उनके लिए आसान नहीं था. लेकिन उन्होंने उस समय बीजेपी को कड़ी चुनौती देते हुए पहली बार जीत दर्ज की. साल 2009 में महज 594 वोटों से आजसू के केके भगत से हार गए थे. इसके बाद साल 2013 में सुखदेव भगत को कांग्रेस ने झारखंड प्रदेश अध्यक्ष बनाया. वर्ष 2015 में हुए उपचुनाव में एक बार फिर सुखदेव भगत मैदान में उतरे. इस बार उन्होंने एनडीए में शामिल आजसू प्रत्याशी नीरू भगत का हराकर विधानसभा पहुंचे. 23228 मतों से सुखदेव जीत हासिल की. बता दें कि आजसू के विधायक कमल किशोर भगत जब डा. केके सिन्हा पर हमला केस में सजायाफ्ता हो गये और उनकी विधायकी चली गई थी.
2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी ने दी थी कड़ी टक्कर
सुखदेव भगत के बढ़ते कद को देखते हुए कांग्रेस पार्टी ने 2019 लोकसभा चुनाव में लोहरदगा सीट से मैदान में उतारा. उनके सामने भाजपा के सुदर्शन भगत थे. उस समय कांग्रेस पार्टी में भितरघात भी चल रहा था. इन सब चुनौती के बावजूद उन्होंने कड़ी टक्कर दी. करीब दस हजार मतों से सुखदेव भगत हार गए. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वे कांग्रेस से नाराज होकर बीजेपी में शामिल हो गए. 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन वे कांग्रेस के डॉ. रामेश्वर उरांव से हार गए. उस चुनाव में सुखदेव को 44230 वोट मिला था जबकि रामेश्वर उरांव को 74,380 मत मिले थे. करीब 20 साल के सियासी पारी में उन्होंने कई चुनौतियों से सामना किया.
सुखदेव भगत के पास कितनी है संपत्ति
कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत करोड़पति हैं. उनकी संपत्ति 2.28 करोड़ है. देनदारियां करीब 39 लाख है. इनके पास 94.42 लाख की चल-अचल संपत्ति है. जबकि उनकी पत्नी अनुपमा भगत के पास 65.37 लाख की चल-अचल संपत्ति है. उनके आश्रित के पास 11 लाख रुपए की अचल संपत्ति है.
अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व है ये सीट
लोहरदगा लोकसभा सीट क्षेत्र में पहाड़ और जंगलों के बीच एक बड़ी आबादी रहती है. यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व है. यहां की कुल आबादी 18 लाख 68 हजार 433 है. वहीं 2019 के अनुसार कुल मतदाता 8 लाख 17 हजार 550 थे. इसके अलावा यहां पर एससी समुदाय 2.69 प्रतिशत, जबकि एसटी समुदाय की आबादी 64.04 प्रतिशत है. इस क्षेत्र में बेरोजगारी, सिंचाई की समस्या, किसानों की समस्या, महंगाई, भ्रष्टाचार मुख्य समस्या है. इन मुद्दों पर कांग्रेस पार्टी के लोकसभा उम्मीदवार सुखदेव भगत चुनाव लड़ेगी. अब देखना होगा कि आने वाले चुनाव में सुखदेव भगत और समीर उरावं में जीत का सेहरा कौन बांधता है.
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