धनबाद(DHANBAD): झारखण्ड के पांच आदिवासी लोकसभा सीट जीत कर गठबंधन, चाहे जीतनी अपनी पीठ थपथपा ले, लेकिन सरायकेला और दुमका विधानसभा सीट ने झामुमो को तगड़ा झटका दिया है. इसी प्रकार खूंटी लोकसभा की तोरपा और खूंटी भाजपा को आइना दिखाया है.सरायकेला से मुख़्यमंत्री चंपई सोरेन विधायक है, तो दुमका से पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन विधायक है. तोरपा विधानसभा से भाजपा के कोचे मुंडा विधायक है, तो खूंटी से नीलकंठ सिंह मुंडा भाजपा के विधायक है. आदिवासी विधानसभा सीटों पर कांग्रेस अपनी प्रतिष्ठा बचाने में सफल रही है. झारखंड में विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने ही वाला है. इसी वर्ष दिसंबर में चुनाव हो सकते है. झारखंड में 28 आदिवासी सुरक्षित सीटों को लेकर पहले भी गुणा- भाग किए जाते रहे हैं और इस बार भी गुणा -भाग किये जा रहे है. लेकिन आदिवासी सुरक्षित दो विधानसभा सीटों पर 2024 के लोकसभा चुनाव में बड़ा उलटफेर हुआ है. झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन सरायकेला से विधायक हैं, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में वह अपने विधानसभा क्षेत्र में अपने ही प्रत्याशी को बढ़त नहीं दिला सके. सरायकेला से बीजेपी के प्रत्याशी को बढ़त मिली.
नलिन सोरेन जीत गए लेकिन दुमका में पीछे रहा झामुमो
इसी प्रकार एक और बड़ी सीट दुमका की बात की जाए, तो वहां भी पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन दुमका सुरक्षित सीट पर अपने ही पार्टी के नलिन सोरेन को बढ़त नहीं दिला सके. भाजपा की सीता सोरेन ने बढ़त बना ली. खास बात यह दिख रही है कि 28 विधानसभा सीटों में झारखंड मुक्ति मोर्चा और भाजपा में उलट फेर हुआ है, लेकिन कांग्रेस अपनी स्थिति यथावत बनाए रखने में सफल रही है. 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सात सुरक्षित सीटों पर जीत हासिल की थी. इस बार भी वह उसे मेंटेन करने में कामयाब रही है. लोकसभा का चुनाव झामुमो और कांग्रेस ने गठबंधन में लड़ा. सुरक्षित सीटों को अगर सूचीबद्ध किया जाये तो बोरियों में 2019 में झामुमो की जीत हुई थी. 2024 में भी झामुमो इस सीट पर लीड लेने में कामयाब रहा. बरहेट सीट की बात की जाए तो यहां भी 2019 में झारखंड मुक्ति मोर्चा की जीत हुई थी और 2024 के लोकसभा चुनाव में भी इस विधानसभा में झारखंड मुक्ति मोर्चा को बढ़त मिली. हेमत सोरेन यहाँ से विधायक है. लिट्टीपाड़ा सुरक्षित सीट पर झामुमो 2019 में जीता था और 2024 के लोकसभा चुनाव में भी उसका बेहतर परफॉर्मेंस रहा. महेशपुर की भी लगभग यही स्थिति रही. शिकारी पड़ा सुरक्षित सीट भी झामुमो की प्रतिष्ठा बचा ली.
दुमका सुरक्षित सीट से 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चुनाव जीते थे
दुमका सुरक्षित सीट से 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चुनाव जीते थे, लेकिन उनके इस्तीफा देने के बाद उनके भाई बसंत सोरेन यहां से विधायक है. लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सीता सोरेन दुमका विधानसभा में लीड ले ली. इसी प्रकार जामा में भी सीता सोरेन को बढ़त मिली. सीता सोरेन वह से विधायक भी है. यह अलग बात है कि दुमका लोकसभा सीट से झामुमो के नलिन सोरेन जीत गए, लेकिन विधानसभा चुनाव में दुमका और जामा सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए खतरे की घंटी बजा दी है. इसी प्रकार मनिका सुरक्षित सीट से 2019 में कांग्रेस की जीत हुई थी और 2024 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस यहां से लीड पर रही. घाटशिला सुरक्षित सीट 2019 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के खाते में आई थी, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में यहां भाजपा को लीड मिली. पोटका का भी यही हाल रहा. 2024 में भाजपा यहां से लीड ली. खिजरी सुरक्षित सीट से 2019 में कांग्रेस जीती थी और 2024 के लोकसभा में भी कांग्रेस को इस विधानसभा में लीड मिली.
सरायकेला में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को लीड मिली
सरायकेला में 2019 में झारखंड मुक्ति मोर्चा विजयी रहा था लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को लीड मिली. चाईबासा सीट 2019 में झामुमो के खाते में गई थी. लोकसभा चुनाव में भी झामुमो ने प्रतिष्ठा बचा ली. मझगांव सुरक्षित सीट पर भी यही हाल रहा. इसी प्रकार जगन्नाथपुर सुरक्षित सीट पर 2019 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी, इस बार झामुमो को लीड मिली. मनोहरपुर में झामुमो जीता था तो इस बार झामुमो लीड लेने में सफल रहा. इसी प्रकार चक्रधरपुर में भी झामुमो 2019 के रिजल्ट को कायम रखा. खरसावां में 2019 में झामुमो जीता था तो इस बार लोकसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवार को यहां बढ़त मिली. तमार सुरक्षित सीट पर 2019 में झामुमो की जीत हुई थी तो लोकसभा में कांग्रेस को बढ़त मिली. तोरपा में 2019 में बीजेपी का विधायक बने थे लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को बढ़त मिली. इसी प्रकार खूंटी विधानसभा में बीजेपी के विधायक हैं, लेकिन लोकसभा में कांग्रेस को लीड मिली. सिमडेगा में 2019 में कांग्रेस जीती थी, इस बार भी कांग्रेस को लीड मिली. इसी प्रकार लोहरदगा और मांडर विधानसभा में 2019 में कांग्रेस जीती थी, 2024 के लोकसभा में कांग्रेस को लीड मिली. सिसई में झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक हैं तो लोकसभा में कांग्रेस को लीड मिली है.
गुमला में झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक हैं तो कांग्रेस को लीड मिली है
गुमला में झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक हैं तो कांग्रेस को लीड मिली है. बिशनपुर में झामुमो के विधायक हैं तो कांग्रेस को लीड मिली है. यह सभी सुरक्षित सीट राजमहल, दुमका, चतरा , जमशेदपुर, रांची, चाईबासा, खूंटी और लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र में आते है. खूंटी लोकसभा के खूंटी विधानसभा में जहां बीजेपी के विधायक हैं ,वहां कांग्रेस को 2024 के लोकसभा चुनाव में लीड मिली है. तोरपा से कोचे मुंडा बीजेपी के विधायक हैं तो खूंटी से नीलकंठ सिंह मुंडा बीजेपी के विधायक है. खूंटी लोकसभा से चुनाव जीते कालीचरण मुंडा विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा सहोदर भाई है. इस बार भी 2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड के 28 आरक्षित सीटों पर सब की नजर रहेगी. 2019 के चुनाव में भाजपा जहां दो सीट जीती थी, वहीं इस बार लोकसभा में चार सीटों पर बढ़त लेने में कामयाब हुई. अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या विधानसभा में भी इन सीटों पर भाजपा को कामयाबी मिलती है अथवा नहीं. जोर तो एनडीए भी लगाएगा तो इंडिया ब्लॉक भी ताकत झोकेंगा.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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