धनबाद(DHANBAD): धनबाद को भाजपा पहले भी मजबूत सीट मानती थी और आज भी मान रही है. यह अलग बात है कि इसी के हिसाब से चुनाव प्रचार का खांका भी तय किया जा रहा है. इंडिया ब्लॉक तो अभी रांची और जमशेदपुर से उम्मीदवार का चयन भी नहीं कर पाया है. एनडीए कैंडिडेट की घोषणा में आगे -आगे चल रहा है. एनडीए के राष्ट्रीय नेताओं के दौरे का कार्यक्रम भी सीटों के वर्गीकरण के हिसाब से तय किये जा रहे है. जानकारी के अनुसार एनडीए ने धनबाद, रांची, जमशेदपुर, पलामू ,चतरा , हजारीबाग, कोडरमा, गोड्डा और गिरिडीह को मजबूत कैटेगरी में रखा है. वही सिंहभूम ,खूंटी , लोहरदगा और दुमका को सुरक्षित श्रेणी में रखा गया है. जबकि राजमहल लोकसभा सीट को कमजोर श्रेणी में आका गया है. इन्हीं तीन श्रेणियों में बांटकर एनडीए ने चुनावी तैयारी शुरू की है. भाजपा के राष्ट्रीय और आजसू के क्षेत्रीय नेताओं का दौरा अब इसी आधार पर होगा.
मजबूत सीटों पर अधिक अंतर से जीतना भाजपा का लक्ष्य
भाजपा का लक्ष्य मजबूत सीटों पर अधिक अंतर से जीतना है, जबकि सुरक्षित सीटों पर पिछले चुनाव के मुकाबले अंतर को बढ़ाना है. कमजोर सीट को हर हाल में जितना है. धनबाद इस बार भी मजबूत श्रेणी में है. भाजपा ने गीता कोड़ा को पार्टी में शामिल कराकर सिंघभूम से उम्मीदवार बनाया है. इस सीट को सुरक्षित कैटेगरी में रखा गया है. गीता कोड़ा वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर जीती थी. राजमहल को कमजोर सीट में रखा गया है. इस सीट के इतिहास के बारे में बात की जाए, तो भाजपा को सिर्फ दो बार ही जीत मिली है. सोम मरांडी 1998 और देवी धन बेसरा 2009 में यहां जीते थे. पिछले दो चुनाव से यहां पर झामुमो के विजय हांसदा जीत रहे है. इस बार भी विजय हांसदा चुनावी मैदान में है तो ताला मरांडी को भाजपा चुनाव लाडवा रही है.
इन सीटों पर हार का अंतर जानिए
झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम भी ताल ठोंक रहे है. इस तरह इंडिया गठबंधन की बात की जाए तो कम अंतर से हुई हार की सीटों पर अलग रणनीति तैयार की जा रही है. इंडिया गठबंधन यह सोचकर चल रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में त्रिकोणीय संघर्ष से उसका सामना नहीं होगा और इसका फायदा इंडिया ब्लॉक को मिल सकता है. 2019 के चुनाव में इंडिया गठबंधन ने गिरिडीह ,चतरा , कोडरमा, रांची, पलामू, जमशेदपुर, हजारीबाग, गोड्डा, धनबाद में कमजोर प्रदर्शन किया था. इन सीटों पर भाजपा के प्रत्याशी 50% से अधिक मतों से जीत हासिल किये थे. एनडीए गोड्डा में 1.84 लाख, चतरा में 3.77 लाख, कोडरमा में 4.55 लाख, गिरिडीह में 2.48 लाख, धनबाद में 4.86 लाख, रांची में 2.8 2 लाख, जमशेदपुर में 3.0 2 लाख, हजारीबाग में 4.78 लाख और पलामू में 4.77 लाख से हार हुई थी.
बड़े अंतर को कैसे पाटेगा इंडिया गठबंधन
अब सवाल है कि इंडिया गठबंधन इतने बड़े अंतर को कैसे पाटेगा. यह अलग बात है कि इस बार अभी तक के हालात में त्रिकोणीय संघर्ष की बात सामने नहीं आ रही है. छोटे-मोटे दलों की बात अलग है. वैसे धनबाद की बात की जाए तो भाजपा और कांग्रेस के अलावा मासस ने भी उम्मीदवारी दी है. टाइगर जय राम महतो की पार्टी का भी यहां उम्मीदवार चुनाव लड़ रहा है. वैसे इंडिया ब्लॉक के नेताओं का स्पष्ट कहना है कि जिन सीटों पर कम अंतर से 2019 में हार हुई थी, वहां पर विशेष योजना के तहत काम हो रहा है. झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस , राजद और माले मिलकर चुनाव लड़ रहे है. तमाम खींचतान के बावजूद इंडिया गठबंधन ने 12 सीटों पर उम्मीदवार की घोषणा कर दी है लेकिन रांची और जमशेदपुर अपने उम्मीदवार को तलाश रहे है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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