धनबाद(DHANBAD):लाल झंडे से राज्य की सत्ता झपटने वाली बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की राजनीति कुछ अलग ढंग की होती है. वैसे, तो पूरे बंगाल की ही राजनीति दूसरे प्रदेशों से थोड़ी अलग है. यहां चुनाव भी अलग ढंग से होते हैं. लंबे संघर्ष के बाद 2011 में लाल झंडे से सत्ता झपटकर ममता बनर्जी बंगाल की मुख्यमंत्री बनी. उसके बाद से फिलहाल वह तीसरी बार मुख्यमंत्री हैं. 2011 में जब ममता बनर्जी ने बंगाल की सत्ता अपने हाथ में ली ,उसके पहले तीन बार बुद्धदेव भट्टाचार्य मुख्यमंत्री रहे. उसके पहले पांच बार ज्योति बसु बंगाल के मुख्यमंत्री रहे. लेकिन अपने जुझारू व्यक्तित्व के कारण ममता बनर्जी 2011 में बंगाल की सत्ता पर काबिज हुई .हालांकि उसके पहले वह कांग्रेस में ही थी. यूथ कांग्रेस की अध्यक्ष भी रही थी. सड़क पर उनके आंदोलन को आज भी लोग याद करते हैं.
एकला चलो का नारा देकर ममता बनर्जी फिर से चर्चा में आ गई
वहीं 2024 के चुनाव में एकला चलो का नारा देकर ममता बनर्जी फिर से चर्चा में आ गई हैं. सबसे अधिक चर्चा तो अधीर रंजन चौधरी के खिलाफ उतारे गए उम्मीदवार पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान की हो रही है. अधीर रंजन चौधरी, यूसुफ पठान की उम्मीदवारी पर तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. वैसे बंगाल के चुनाव में इतना तो तय है कि कई सीटों पर त्रिकोणीय संघर्ष के आसार दिख रहे हैं. कांग्रेस और वाम मोर्चा अगर साथ मिलकर चुनाव लड़ते हाय तो भी त्रिकोणीय संघर्ष संभव है.इस संघर्ष में हर जगह बीजेपी को फायदा होगा या फिर तृणमूल कांग्रेस को ही एक मुश्त भाजपा के खिलाफ वोट पढ़ेंगे, यह कहना भी थोड़ी जल्दीबाजी होगी. इस बार त्रिमूल कांग्रेस को उम्मीद है कि अल्पसंख्यक टीएमसी के लिए सामूहिक वोट करेंगे. ऐसा लगता है कि इस बार कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी को ममता दीदी आसानी से चुनाव नहीं जीतने देगी. अधीरंजन चौधरी बहरामपुर से चुनाव लड़ते हैं .उनके खिलाफ टीएमसी ने क्रिकेटर यूसुफ पठान को मैदान में उतारा है. वैसे कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच की दूरी की एक बड़ी वजह अधीरंजन चौधरी को भी माना जाता है.
ममता सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का पूरा फायदा बीजेपी उठाने की कोशिश करेगी
वैसे 2019 के चुनाव में सबसे बड़ी हार लेफ्ट की ही हुई थी. उसे एक भी सीट नहीं मिली. उसका वोट प्रतिशत 24 से गिरकर 6% हो गया. जबकि कांग्रेस की संख्या लोकसभा सीटों को लेकर 4 से घटकर दो हो गई और वोट शेयर घटकर 5% तक रह गया. इस बार ममता सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का पूरा फायदा भाजपा उठाने की कोशिश करेगी. इसको लेकर प्रयास भी तेज कर दिए गए हैं. संदेशखाली के मुद्दे को लेकर भाजपा अभी से ही घेराबंदी शुरू कर दी है ,तो ममता बनर्जी भी सतर्क हैं .उन्होंने वहां से लोकसभा उम्मीदवार को बदल दिया है. बसीरहाट लोकसभा क्षेत्र से नुसरत जहां का टिकट काटकर हाजी नुरुल इस्लाम को तृणमूल कांग्रेस ने टिकट दिया है. इसके पीछे संदेश खाली को लेकर घेराबंदी को देखा जा रहा है. वैसे ममता बनर्जी राजनीति की नब्ज पकड़ने वाली मानी जाती है. लगातार तीन बार से मुख्यमंत्री हैं. लेकिन सवाल यही है कि क्या भाजपा अपनी सीट बढ़ा पाती है या फिर तृणमूल कांग्रेस अपने ताकत में इजाफा कर पाती है. कांग्रेस और बाम दल गठबंधन कितने सीटों को प्रभावित कर सकता है. यह सब देखने वाली बात होगी. वैसे भाजपा की यह बहुत दिनों से इच्छा रही है कि बंगाल में वह भगवा लहराए. इसके लिए वह कोशिश भी कर रही है. अब देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव का परिणाम किस करवट बैठता है.
रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो
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