लोहरदगा (LOHARDAGA): लोहरदगा जिला के पठार में फैले पेड़ और उन पेड़ों के पत्ते ग्रामीणों के लिए रोजगार मुहैया करा रहा है. इन पत्तों की मांग झारखंड के अलावा राजस्थान, हरियाणा, केरल सहित विभिन्न राज्यों में है. क्योंकि इस पत्ते का इस्तेमाल लोगों बीड़ी बनाने के रूप में करते है. जिस कारण यह पत्ता दूसरे राज्यों में सप्लाई किया जाता है. जिस से लोहरदगा के ग्रामीणों की आय में वृद्धी होती है.
ग्रामीणों ने बताया कि वे पठारों से एक-एक पत्ता तोड़कर पहले उसे घर लाया जाता है. उसके बाद उसे चालीस की संख्या में बंडल में बांधकर चार से पांच दिनों तक धूप में सुखाया जाता है. फिर इन पत्तों की बिक्री की जाती है. गर्मी के इस मौसम में ही इन पत्तों की डिमांड रहती है, जिस कारण बीड़ी के पत्तों का रोजगार वर्षों से इन्हें लाभांवित कर रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि जंगल में नक्सलियों के अलावे बेमौसम बारिश की वजह से ये पत्ते खराब भी हो जाते हैं. जिस कारण इसका सीधा नुकसान ग्रामीणों को होता है, या फिर दीमक लग जाने की समस्याओं से भी इन्हें जूझना पड़ता है. लेकिन फिर ये ग्रामीण अपने रोजी रोटी और दो पैसे के लिए हर रिस्क उठाने को तैयार हैं. चालीस पत्तों का यह बंडल एक रूपए चालीस पैसे या फिर उससे अधिक मूल्य में बेचा जाता है. साथ ही ग्रामीण केवल बीड़ी के पत्ते चुनने का ही कार्य नहीं करते इसके अलावा ग्रामीण अन्य मजदूरी कार्य भी करते है.
रिपोर्ट : गौतम लेनिन
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