लोहरदगा(LOHARDAGA): आज हम 21वीं सदी में जी रहे है. हमारा देश मंगल ग्रह तक पहुंच चुका है, लोग शिक्षित हो रहे है, जिससे लोगों की सोच भी बदल रही है, लेकिन आज भी देश के कई ऐसे राज्य है.जहां ग्रामीण क्षेत्रों में लोग आज भी 100 साल पुरानी सोच के साथ जी रहे है, और अंधविश्वास को मानते है. इन अंधविश्वासों में सबसे पहले नंबर पर डायन बिसाही का नाम आता है. ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी डायन बिसाही के नाम पर कुछ लोग निर्दोष महिलाओं का जीना हराम कर देते है, और कभी कभी पीट पीटकर जान तक ले लेते है. इसी अत्याचार से निर्दोष महिलाएं को बचाने के लिए झारखंड सरकार ने एक योजना की शुरुआत की थी, जिसका नाम गरिमा योजना है. सरकार की ये योजना ऐसी महिलाओं को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का काम करती है जिन्हे डायन बिसाही के नाम पर प्रताड़ित किया जाता है.
लोहरदगा में गरिमा योजना के तहत 510 महिलाओं का चयन किया गया
वहीं लोहरदगा में गरिमा योजना के तहत 510 महिलाओं का चयन किया गया जिन्हें समाज ने डायन बिसाही का आरोप लगाकर उन्हें प्रताड़ित करने का काम किया जा रहा था. लगातार जिला में ऐसी महिलाओं को चयनित कर उन्हें सुरक्षित करने का काम जेएसएलपीएस के माध्यम से किया जा रहा है. इन महिलाओं का कहना है कि गांव घर में किसी के बीमार होने या फिर मौत होने पर इन लोगों को आरोपी बनाया जाता था और फिर इन्हें समाज के सामने लाकर प्रताड़ित किया जाता था. इनके जान माल हमेशा ख़तरे में रहता था. ऐसे में इन लोगों को नई जिंदगी गरिमा योजना ने प्रदान किया है.
प्रताड़ित महिलाओं को मुख्य धारा से जोड़ती है झारखंड सरकार की ये स्किम
आपको बताये कि महिलाएं इतनी डरी और सहमी हुई है कि अपनी बात भी खुलकर समाज के सामने नहीं रख पा रही है. आज भी इनके अंदर का डर क़ायम है. जिस समाज के बीच ये रहकर अपने जीवन में खुशहाली लाना चाहती थी. वहीं कुछ लोगों की कुटनीति ने इन्हें भयभीत कर रखा है.अपने गांव घर में भी रहकर ये सुरक्षित महसूस नहीं कर रही है. इनका भय इनके शब्दों में साफ तौर पर बयां हो रहा है.अब सामाज को चाहिए की ऐसी पुरानी दकियानूसी सोच से बाहर निकल कर समाज को एक दिशा देने का काम करें.जिन महिलाओं पर डायन बिसाही का आरोप लगाया गया है वो अधिकांश गरीब लाचार और विधवाएं हैं.
रिपोर्ट-गौतम लेनिन
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