रांची(RANCHI): - बाबूलाल मरांडी झारखंड गठन के बाद राज्य के पहले मुख्यमंत्री थे.27- 28 महीने का उनका कार्यकाल हमेशा से याद किया जाता रहा है.उस समय विकास के काम तेजी से शुरू हुए थे.आधारभूत संरचना के विकास पर फोकस किया जा रहा था.इसलिए उनके संक्षिप्त कार्यकाल को भी झारखंड के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. बाबूलाल मरांडी के विरोधी भी उनके कार्यकाल को अच्छा बताते रहे हैं.
बाबूलाल मरांडी के बारे में वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने क्या कहा, जानिए
15 नवंबर, 2000 को झारखंड बिहार से अलग राज्य बना था इस राज्य को विकास की बहुत जरूरत थी यह क्षेत्र बिहार के जमाने में काफी पिछड़ा हुआ माना जाता था जबकि इस राज्य में खनिज संसाधन भरपूर थे और जिससे मिलने वाले राजस्व से बिहार का विकास होता था.लेकिन उस समय के दक्षिण बिहार यानी आज के झारखंड में विकास संतोषप्रद नहीं था.इसलिए अलग राज्य का आंदोलन भी शुरू हुआ.केंद्र की अटल बिहारी वाजपेई की सरकार ने अलग राज्य झारखंड का गठन किया और बाबूलाल मरांडी इस राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बने.
रविवार को प्रेस क्लब में पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता ने अपने-अपने विचार रखे.सभी ने कहा कि झारखंड का विकास और होना चाहिए.अपने संबोधन के दौरान वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और राज्य सरकार में वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि झारखंड जब बना तो बाबूलाल मरांडी राज्य के पहले मुख्यमंत्री थे.वैसे उस समय तो वह सरकारी सेवा में थे लेकिन बाबूलाल मरांडी के समय ईमानदारी थी.शासन करने की नीयत अच्छी थी.अच्छे अधिकारियों की पोस्टिंग होती थी और विकास काम कार्य पर फोकस किया जाता था.उन्होंने कहा कि बाबूलाल मरांडी का संक्षिप्त कार्यकाल अच्छा रहा. जिस समय अपना संबोधन वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव दे रहे थे.उस समय उनके साथ कार्यक्रम में भाजपा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी भी मौजूद थे.
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