खूंटी(KHUNTI): विकास की बाट जोहता खूंटी जिले का एक ऐसा गांव जहां के ग्रामीण आजादी के 75 वर्षों बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. खूंटी जिले के अड़की प्रखंड के सुदूरवर्ती क्षेत्र बालालोंग तथा सरगेया पंचायत के करीबन बीस से अधिक गांव ऐसे हैं जो घोर नक्सल प्रभावित हैं. यहां महिला-पुरुष मिलाकर लगभग पंद्रह हजार की जनसंख्या में लोग हैं. जिन्हें हर रोज मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. चारों ओर से पहाड़ियों से घिरे प्राकृतिक छटा बिखेरते इस गांव के ग्रामीण वर्षों से उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं. इस गांव में पहुंचने के लिए कोई सड़क नहीं है.
सड़कें बनीं लेकिन ज्यादा दिन टिकी नहीं
अभी भी अड़की प्रखंड के दोनों पंचायत में लगभग पंद्रह हजार के करीब जनसंख्या निवास करती है. लेकिन इनके आवागमन का रास्ता सिर्फ एक है और यह रास्ता पिछले कई सालों से बहुत ही खराब स्थिति में है. रोड में बड़े बड़े गड्ढे बन गए हैं. जिससे आए दिन यहां के लोग दुर्घटना के शिकार होते हैं. यहां छोटे चार पहिया वाहन तक नहीं चल पाते हैं. तो बड़े वहाँ की बात ही छोड़िए. जानकारी के अनुसार यह रास्ता बड़ीगड़ा से एनएच 33 पहुंचने का एक मात्र रोड है. यहाँ रोड बनने की कवायद शुरू भी हुई फिर बड़ी मुश्किलों के बाद सड़क बनी भी लेकिन भारी वाहन चलने से सड़क तुरंत ही टूट गई.
बताया जाता है कि यहाँ बालू तस्करी भी जोरों पर होती है. कांची नदी से अवैध बालू की तस्करी का एक शॉर्टकट रस्ता होने के कारण बालू माफिया के भारी भरकम हाइवा चलने से रास्ता इतना खराब हो गया है कि आम जनता को प्रति दिन के कार्यों में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. गांव में अगर कोई बीमार हो जाए तो एम्बुलेंस को आने जाने में घंटों लग जाते हैं. इमरजेंसी के लिए कोई ऐसा रास्ता नहीं है. जिससे लोग जल्दी में एनएच33 निकल पाए. वहीं, बच्चों को भी स्कूल जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
ग्रामीणों को सिर्फ मिलता है आश्वासन
वहीं ग्रामीण बताते हैं कि एक ही रास्ता है, एनएच 33 मुख्य मार्ग से यहाँ आने के लिए कच्ची सड़क है. बरसात के दिनों में काफी दिक्कत होती है. ग्रामीणों की समस्या सुनने के लिए आए दिन कई राजनेता और विधायक यहाँ पहुंचे हैं लेकिन ग्रामीण को आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिलता. नेता और विधायक बस चुनाव के समय वोट मांगने आते हैं. कभी भी जमीनी स्तर पर इस गाँव के विकास की कोशिश नहीं होती है. अब देखना होगा कि आखिरकार यहाँ के ग्रामीणों को कब मूलभूत सुविधाएं मिलेंगी.
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