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टीएनपी डेस्क (Tnp desk):- झारखंड में JSSC पेपर लीक का मामला बेहद ही गरमाया हुआ है. लगातार सवाल उठ रहें है कि आखिर ये कैसे हो गया, कौन से लोगों ने ऐसा किया , छात्रों से लेकर अभिभावक और आम आवाम भी इससे आहत हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहा है. पेपर लीक होने पर राज्य सरकार पर हरकत में आई है और जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है. इस मामले पर जेएसएससी सचिव ने कार्मिक विभाग को स्पष्टीकरण भी भेजा है. जिसमे उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ कार्रवई से पहले उनका पक्ष भी सुनना चाहिए. इसके साथ ही पेपर लीक स्कैंडल में जीएसएससी की भूमिका से भी इंकार किया है.
कार्मिक सचिव को स्पष्टीकरण
झारखंड संयुक्त स्नातक स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा के पेपर लीक पर आज भी कई प्रश्न खड़े हैं. जिसका जवाब हर कोई जानना चाहता है. इस सिलसिले में आयोग की सचिव मधुमिता कुमारी ने कार्मिक सचिव को स्पष्टीकरण भेजा है.उन्होंने इस पर बताया कि परीक्षा को लेकर आनलाइन आवेदन से लेकर परीक्षा परिणाम जारी करने का कार्य आउटसोर्सिंग एजेंसी द्वारा किया जाता है. आयोग को इसकी कोई जानकारी नहीं होती है.
उन्होंने कार्मिक विभाग से एसआइटी गठित करने की भी गुजारिश की. इसके साथ ही जो आरोप आउटसोर्सिंग एजेंसी के साथ मिलभगत का आयोग पर लग रहा है. इससे उन्होंने बेबुनियाद बताया है.
उन्होंने इस पर बताया कि संबंधित एजेंसी द्वारा सीलबंद परीक्षा सामग्री रांची जिला कोषागार को उपलब्ध कराई गई थी. यहां से 22 और 23 जनवरी को परीक्षा सामग्री सभी जिलों के संबंधित दंडाधिकारियों को सीलबंद वितरित की गई थी.सीलबंद परीक्षा सामग्री को सभी परीक्षा केंद्रों पर केंद्राधीक्षक, दंडाधिकारी और परीक्षार्थियों की उपस्थिति में परीक्षा शुरू होने से 15 मिनट पहले खोलना था. इसका कितना अनुपालन हुआ इसे लेकर जिलों के नोडल पदाधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई है
आउटसोर्सिंग एजेंसी की भूमिका
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि अगर इसका अनुपालन हुआ तो पेपर लीक में आउटसोर्सिंग एजेंसी की भूमिका हो सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि इस परीक्षा के लिए एजेंसी को जून 2023 में कार्य आदेश जारी किया गया था, जबकि मौजूदा अध्यक्ष ने सितंबर 2023 में योगदान दिया है.उन्होंने उक्त एजेंसी के खिलाफ अक्टूबर माहीने से कई कड़े फैसले भी लिए हैं. सचिव ने साफ किया कि पेपर लीक में आयोग के पदाधिकारियों और कर्मचारियों की किसी भी तरह की मिलीभगत निराधार है. अगर इन आरोपों में उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की जाती है, तो उनसे भी पक्ष जाना जाना चाहिए.
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