जेपी नड्डा का झारखंड दौरा: अलग-थलग पड़ी भाजपा को मिली "संजीवनी" तो दूर -दूर रहने वाले कितने पास आये!


धनबाद (DHANBAD): भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के संथाल दौरे से क्या भाजपा के प्रदेश स्तरीय नेताओं में चल रही खींचतान खत्म हो जाएगी? क्या जेपी नड्डा झारखंड के भाजपा नेताओं को एकजुट करने का मंत्र दे दिया है? क्या राष्ट्रीय अध्यक्ष एक जुट होकर बंगाल चुनाव में काम करने का टास्क दिया है? क्या झारखंड सहित संथाल परगना में भाजपा कैसे मजबूत होगी, इस पर मंत्रणा हुई है?बंद कमरे की बैठक में क्या सन्देश दिया गया है? यह सब सवाल राजनीतिक हलकों में किये जा रहे है. सूचना के अनुसार शनिवार को देवघर में बाबा बैद्यनाथ के पूजा के दौरान बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा साथ-साथ दिखे और भी कई नेता साथ थे. जेपी नड्डा दो दिवसीय दौरे पर शुक्रवार को देवघर पहुंचे है.
वह यहां भाजपा के कोर कमेटी के सदस्यों के साथ भी बैठक की. उन्हें टिप्स दिए. बता दें कि झारखंड में भाजपा पूरी तरह से अलग-थलग पड़ी हुई है. पार्टी के नेताओं में एकता की कमी है. एक व्यक्ति ,एक पद का नियम झारखंड में अभी तक लागू नहीं हुआ है. बाबूलाल मरांडी प्रदेश अध्यक्ष भी हैं और नेता प्रतिपक्ष भी है. हालांकि प्रदेश अध्यक्ष की रेस में कई लोग शामिल थे. रघुवर दास भी बड़ा फैक्टर थे.हालांकि सूत्र बताते है कि रघुवर दस कही नहीं दिखे. वह झारखंड से बाहर गए बताये जाते है.
अब बाबूलाल मरांडी जब प्रदेश अध्यक्ष हैं ,तो नेता प्रतिपक्ष किसे बनाया जाता है, इसको लेकर टक टकी लगी हुई है. वैसे भी बाबूलाल मरांडी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद भी जिला स्तर पर अध्यक्षों में बदलाव नहीं हुआ है इस बीच स्पीच घाटशिला उपचुनाव में भाजपा की बड़ी हार हुई और इस हार के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का पहला झारखंड दौरा है. अभी हाल ही में भाजपा ने कार्यकारी अध्यक्ष पद से डॉक्टर रविंद्र राय को हटाकर आदित्य साहू को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया. इसका भी झारखंड में रिएक्शन हुआ है. रविंद्र राय को 2024 विधानसभा चुनाव के पहले कार्यकारी अध्यक्ष का पद दिया गया था.
कहा जाता है कि राजधनवार विधानसभा सीट में रविंद्र राय के समर्थक निरंजन राय मजबूती से चुनाव लड़ रहे थे और बाबूलाल मरांडी के लिए खतरा पैदा हो गया था. ऐसे में रविंद्र राय को कुर्सी देकर निरंजन राय को कंट्रोल किया गया. वैसे भी देवघर संथाल परगना का प्रमुख केंद्र है. 2024 के विधानसभा चुनाव में संथाल परगना में भाजपा कुछ खास नहीं कर पाई, जबकि महागठबंधन को बड़ी सफलता मिली. अब भाजपा के लिए सभी नेताओं को एकजुट रखने की जरूरत है, क्योंकि बंगाल में चुनाव है और बंगाल चुनाव में झारखंड की बड़ी भूमिका हो जाती है. वैसे भी अभी झारखंड में राजनीतिक सरगर्मी तेज है. तरह-तरह की बयार बह रही है. देखना होगा कि जेपी नड्डा के दौरे से भाजपा को कितनी संजीवनी झारखंड भाजपा को मिलती है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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