धनबाद(DHANBAD): आदमी के नहीं,केवल नोटों क बंडल रखने के लिए कोई घर खरीद ले और फिर उस घर से नोटों के बंडल का पहाड़ मिल जाए, तो ऐसे आप क्या कहेंगे. जी हां ,झारखंड में एक बार फिर नोटों का पहाड़ मिला है. चुनाव के वक्त मिले नोटों के इस पहाड़ ने ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम की कुर्सी को डोला दिया है. किसी भी मंत्री का पीएस ,इतना बड़ा खेल कर रहा हो और मंत्री को कुछ पता नहीं चले ,यह कोई कैसे भरोसा कर सकता है.मंत्री आलमगीर आलम की पीएस संजीव लाल के नौकर के घर से भारी राशि बरामद हुई है. यह सब तब हुई है जब झारखंड में प्रवर्तन निदेशालय सक्रिय है. इसके पहले कई आईएएस अधिकारी जेल जा चुके है. बावजूद संजीव लाल की ढिठाई कम नहीं हुई थी. उन की ठसक ऐसी थी बड़े-बड़े अधिकारी भी पंगा लेना नहीं चाहते थे. इसकी वजह भी है, संजीव लाल एक ऐसा अधिकारी है. जो भाजपा की सरकार में भी और गठबंधन की सरकार में भी मंत्री का पीएस बने रहे. भाजपा सरकार में नीलकंठ सिंह मुंडा और सीपी सिंह का पीएस रह चुके है.
सरकार के तीन विभागों में था अपना राज
आज की तारीख में संजीव लाल की सरकार के तीन विभागों ग्रामीण विकास विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग और पंचायती राज विभाग में एकछत्र राज था. सोमवार को जितने नोट बरामद हुए, इससे एक बार फिर झारखंड में भ्रष्टाचार की चर्चा तेज हो गई है. सूत्र बताते हैं कि आचार संहिता लागू होने के कुछ ही दिन पहले ग्रामीण कार्य विभाग में साठ -साठ करोड़ के चार से पांच टेंडर संजीव लाल ने निकलवा दिए. संजीव लाल विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर एक "कॉकस " तैयार कर लिया था और इसी के जरिए वह सब कुछ करते थे. सूत्र तो यह भी बताते हैं कि संजीव लाल की कार्यशैली को लेकर एक बड़े अधिकारी ने जब सवाल उठाया और कहा कि यह काम नियम के विरुद्ध है,तो संजीव लाल ने अपने पावर का इस्तेमाल करते हुए उस अधिकारी का ही तबादला करा दिया. लोग इस पर भी भरोसा नहीं कर रहे हैं कि मंत्री का पीएस इतना बड़ा खिलाड़ी हो और इसकी जानकारी मंत्री को नहीं हो, ऐसा हो नहीं सकता है. संजीव लाल को टेंडर मैनेज करने में महारथ हासिल थी. ट्रांसफर- पोस्टिंग के खेल में भी बहुत कुछ किया करते थे.
वीरेंद्र राम की गिरफ्तारी के बाद भी इस तरह के खेल
जो भी हो लेकिन वीरेंद्र राम की गिरफ्तारी के बाद भी इस तरह के खेल चल रहे थे, यह सुनकर संजीव लाल की हिम्मत की तो दाद देनी ही होगी. वीरेंद्र राम की गिरफ्तारी के बाद इतने बड़े रैकेट का खुलासा होगा, इस पर कोई भरोसा नहीं कर रहा था. वीरेंद्र राम के ठिकानों पर जब छापेमारी हुई थी तो दिल्ली स्थित उनके आवास के कमरे में ब्रांडेड कपड़ों के ढेर मिले थे. बताते है कि उनका बेटा हर दिन ब्रांडेड शर्ट पहना था और उस शर्ट का उपयोग दोबारा नहीं करता था. ऐसा करें भी क्यों नहीं, कमाई मेहनत की तो थी नहीं. सूत्र तो यह भी बताते हैं की चतुराई तो इतनी की गई थी कि सिर्फ पैसा रखने के लिए फ्लैट खरीद लिया गया था. उसे घर में कोई आता जाता नहीं था, सिर्फ रुपए रखे जाते थे. जो भी हो लेकिन संजीव लाल की कड़ी कहां-कहां और कैसे-कैसे जुड़ी हुई है, धीरे-धीरे इसका खुलासा जांच के आगे बढ़ने के साथ ही होता जाएगा.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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