धनबाद(DHANBAD); ED छापेमारी और पूछताछ चल रही है रांची में ,लेकिन धनबाद से लेकर अन्य जिलों के अधिकारियों की सांसे अटकी हुई है. कांग्रेस कोटे के मंत्री और ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम पर धीरे-धीरे शिकंजा कसता जा रहा है. उनके पीएस संजीव लाल व जहांगीर आलम के रिमांड के पहले दिन अब तक के इतिहास में पहली बार झारखंड मंत्रालय में छापेमारी कर दी. छापेमारी में नगदी सहित कई ट्रांसफर -पोस्टिंग सहित सड़क निर्माण से जुड़ी फाइल मिली है. इसकी सूचना फैलते ही अन्य जिलों में पदस्थापित ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारी या तो भगवान की शरण में है , घर में पूजा पाठ चल रहा है, "भखौती" मांगी जा रही है. ईश्वर से प्रार्थना कर रहे है कि कम से कम प्रवर्तन निदेशालय के चंगुल में वह नहीं आये.
कई दस्तावेज भी हाथ लगे हैं ,जाँच एजेंसी के हाथ
जानकारी के अनुसार ईडी को कई ऐसे दस्तावेज भी हाथ लगे हैं, जिससे कई और की कलई खुल सकती है. मंत्री के पीएस के कमरे के अलावा मंत्री सेल में कई महत्वपूर्ण दस्तावेज और फाइल भी ईडी की नजर में आई है. इनमें कई सिपारसी पत्र भी है. यह सिफारसी पत्र राज्य के कई मंत्री, विधायकों व अन्य पैरवीकार के है. अब ऐसे पैरवीकारों की नींद उड़ी हुई है. उन्हें डर है कि कहीं ईडी की चंगुल में वह नहीं आ जाए. वैसे सूत्र बताते हैं कि प्रवर्तन निदेशालय के हाथ महत्वपूर्ण दस्तावेज लगे है. यह अलग बात है कि इसकी जांच पड़ताल जब आगे बढ़ेगी तो और कई मामले सामने आ सकते है. यह पहली बार हुआ कि प्रवर्तन निदेशालय की टीम प्रोजेक्ट भवन स्थित झारखंड मंत्रालय में दविश दी है.
जाँच को एजेंसी जाती रही है ,लेकिन रेड पहली बार
इससे पहले अलकतरा घोटाले मामले में सीबीआई की टीम लगातार पथ निर्माण विभाग, ग्रामीण कार्य विभाग जाती रही है. सीबीआई जेपीएससी नियुक्ति घोटाले मामले में भी अक्सर सचिवालय जाकर पूछताछ करती रही है. फाइलों की मांग करती रही है, लेकिन ईडी की बुधवार की रेड से सचिवालय में हड़कंप मच गया है. ग्रामीण विकास और ग्रामीण कार्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की नींद उड़ी हुई है. हो सकता है कि ईडी की रेड के बाद झारखंड के दूसरे जिले में पदस्थापित अधिकारियों पर भी शिकंजा कास जाए. प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी में जहांगीर आलम के फ्लैट से 35 करोड रुपए से अधिक की राशि बरामद हुई थी. सारे पैसे कमीशन के बताए जाते हैं ,इतना तो तय है कि प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी से इंजीनियर ,ठेकेदारों और पॉलीटिशियनों के गठजोड़ का खुलासा हुआ है. और यह खुलासा कितनों को अपनी जद में लेगा , यह कहना अभी जल्दबाजी होगी. संजीव लाल के चेंबर से कैश मिलने के बाद इतना तो साफ हो ही गया है कि वह कमीशन के पैसे ऑफिस में भी लेते थे.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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