धनबाद(DHANBAD) : खूंटी से सांसद का चुनाव हारने के बाद क्या झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा विधायक का चुनाव लड़ेंगे? क्या खरसावां से लड़ेंगे या किसी अन्य सीट से? क्या पूर्व सांसद रवींद्र राय और रविंद्र पांडे की किस्मत का ताला विधानसभा चुनाव होकर खुलेगा? यह सब ऐसे प्रश्न है, जो झारखंड के राजनीतिक गलियारे में तेज हो रहे है. सूत्रों के अनुसार झारखंड में इस बार भाजपा हर प्रयोग करेगी. यह प्रयोग भी अपना सकती है कि झारखंड बीजेपी के बड़े और कद्दावर नेताओं को विधानसभा का चुनाव लड़ाया जाए. आदिवासी नेताओं के अलावा रविंद्र राय और रविंद्र पांडे ऐसे दो चेहरे हैं, जिन पर भी भाजपा दांव खेल सकती है. टिकट नहीं मिलने के बावजूद रविंद्र राय और रविंद्र पांडे भाजपा से जुड़े रहें. यह अलग बात है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में रविंद्र पांडे के संबंध में कई तरह की चर्चाएं होती रही. रविंद्र राय कोडरमा से सांसद थे तो रविंद्र पांडे गिरिडीह के सांसद रह चुके है. वैसे चर्चा तो यदुनाथ पांडे को लेकर भी है और सुदर्शन भगत को लेकर भी है.
किसके-किसके किस्मत का खुल सकता है ताला
देखना दिलचस्प होगा कि किस-किस को विधानसभा चुनाव में पार्टी उतारती है. झारखंड विधानसभा का चुनाव अक्टूबर या नवंबर में होने की संभावना व्यक्त की जा रही है. इसको देखते हुए भाजपा तैयारी और नीतिगत फैसलों को अंतिम रूप देने में जुटी है. भाजपा ने पूर्ण बहुमत के साथ झारखंड में सरकार बनाने का लक्ष्य तय किया है. इसके तहत 28 आदिवासी विधानसभा सीटों के लिए विशेष तैयारी की जा रही है. भाजपा का मानना है कि 28 आदिवासी सीट और संथाल परगना के 18 विधानसभा सीटों को साधने के सिवा सरकार बनाने का कोई रास्ता नहीं है. 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा 28 में से सिर्फ दो आदिवासी सीट जीत पाई थी. वैसे, तो आदिवासी सीटों के अलावा भाजपा की नजर सामान्य सीटों पर भी है. जहां से उसे लगातार असफलता मिलती रही है. सूत्र बताते हैं कि इन सीटों पर पार्टी के बड़े नेताओं को चुनाव में उतारने की तैयारी की गई है. भाजपा यह मानकर चल रही है कि इससे मुख्य धारा से हटे नेताओं में नाराजगी भी दूर होगी और पार्टी को भी बल मिलेगा. इधर, चर्चा यह भी है कि भाजपा झारखंड में 2024 का विधानसभा चुनाव आजसू और जदयू के साथ मिलकर लड़ेगी.
जदयू भी इस बार झारखंड में पांव जमाने की तैयारी में
सरयू राय की पार्टी का या तो जदयू में विलय हो जाएगा या फिर सीटों का बंटवारा होगा. लेकिन इतना तो तय माना जा रहा है कि झारखंड की राजनीति में मुख्य धारा से अलग हुए भाजपा के बड़े नेताओं की किस्मत का ताला विधानसभा चुनाव में खुल सकता है. खूटी लोकसभा सीट से अर्जुन मुंडा 2024 लोकसभा चुनाव में हार गए हैं, तो रविंद्र राय का कोडरमा से टिकट काटकर 2019 में राजद से आई. अन्नपूर्णा देवी को भाजपा ने टिकट दिया था और उन्हें जीत मिली थी. इसी प्रकार गिरिडीह सीट जब आजसू के साथ गठबंधन में चला गया तो रविंद्र पांडे किनारे कर दिए गए. अर्जुन मुंडा 2019 में खूंटी से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद केंद्रीय मंत्री बने थे. एक तरह से 5 सालों तक वह झारखंड की राजनीति से अलग रहे. यह चर्चा भी चल रही है कि बड़े आदिवासी चेहरे को रिजर्व सीटों से लड़ाया जा सकता है. 2024 के लोकसभा चुनाव में इंडिया ब्लॉक ने पांच आदिवासी लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की है. 2019 में भाजपा और उसके गठबंधन को 12 सीट मिली थी तो 2024 के लोकसभा चुनाव में केवल 9 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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