रांची(RANCHI): झारखंड एक ऐसा राज्य है जहां जंगल पहाड़ जैसे कई खनिज पदार्थ है.एक अलग का सुकून यहां के ग्रामीण इलाके में है.शहर में जैसी बेचैनी दिखती है हर कोई अपने काम में व्यस्त दिखता है.तो वहीं गांव आज भी वही पुराना वाला गांव है.हर ओर हरियाली और खुशहाली है.इसके शुरुआत में देखे तो अलग राज्य के लिए भी एक बड़ा आंदोलन हुआ जिसके बदौलत राज्य मिल गया.लेकिन कई लोगों की शहादत हुई.कई बेचैनी के साथ साथ सुख भी राज्य के नाम दर्ज है.इसपर जितना लिखे वह कम पड़ जायेगा.लेकिन झारखंड के वरिष्ठ पत्रकार और लेखक श्याम किशोर चौबे ने एक पुस्तक लिखी. जिसका नाम "झारखंड एक बेचैन राज्य का सुख"रखा है.इसमें झारखंड के विभिन्न बेचैनी और सुख को लिखा गया है.पुस्तक का विमोचन रांची प्रेस क्लब में एक कार्यक्रम आयोजित कर किया गया.कार्यक्रम की अध्यक्षता पद्मश्री बलवीर दत्त,उद्घाटनकर्ता मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव, मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी विशिष्ट अतिथि सह संचालनकर्ता बैजनाथ मिश्र ने किया.
पुस्तक के विमोचन पर लेखक श्याम किशोर चौबे ने कहा कि झारखण्ड एक ऐसा राज्य है जिसमें कई यादे है.अगर सभी बिंदुओं पर लिखेंगे तो एक ग्रंथ लिखा जाएगा.राज्य की आंदोलन के बदौलत मिला है.लेकिन इस किताब में राज्य के वर्तमान से लेकर अतीत के बारे में बताया गया है.आखिर झारखंड गठन के पहले राज्य कैसा था क्या चुनोती थी और अब क्या हालत है.यह तमाम बिंदुओं को पुस्तक में बताया गया है.
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड की बेचैनी और सुख दोनों को यहां के लोगों ने देखा है.कैसे विकास के पथ पर आगे बढ़े कहाँ हम पीछे रह गए.यह हर लोगों को जानना बेहद जरूरी है.झारखंड के दुख और सुख को एक पुस्तक में समाहित किया गया है.झारखंड तमाम उतार चढ़ाव के बाद भी आगे बढ़ रहे है.
मौके पर मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि झारखंड के गठन यहां के विकास के लिए हुआ था.लेकिन राज्य में बहुत कुछ नहीं हो सका है.खनिज हमारे पास लेकिन आज भी बदहाल है.जितना उम्मीद थी उससे हम पीछे छूट गए है.राज्य के पास पैसा की कमी है,जितना रेविन्यू आना चाहिए उससे कम है.श्याम किशोर चौबे ने किताब में राज्य के विकास से लेकर जहां फेल हुई उसे भी लिखा गया है.
हिमांशु शेखर ने पुस्तक विमोचन के मौके पर कहा कि ज्ञान होना और ज्ञान को किसी किताब में लिख देना हर किसी के बस में नहीं होता है.पुस्तक का नाम ही झारखंड एक बेचैन राज्य का सुख है.जिसमें झारखंड के सभी हालातो के बारे में लिखा गया है.आखिर आज की पीढ़ी को कौन बताएगा कि राज्य में क्या हुआ है किस परिस्थितियों से गुजरना पड़ा है.यह जानने के लिए यह किताब बेहद जरूरी है.
रिपोर्ट. समीर हुसैन
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