धनबाद (BOKARO) : झारखंड सरकार को डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं .सरकार अड़ी हुई है कि वह डॉक्टरों की नियुक्ति अनुबंध पर करेगी, लेकिन अनुबंध पर आने के लिए डॉक्टर तैयार नहीं है. सरकार जो विज्ञापन निकाल रही है, उसमें मासिक मानदेय लगभग ₹200000 बताया गया है, जबकि नियमित प्रोफेसरों की सैलरी ₹500000 तक है. झारखंड के मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी की कमी दूर करने में स्वास्थ्य विभाग लगभग चार साल में 7 बार कोशिश की. 6 बार तो नाकाम रही लेकिन सातवीं बार भी उसे नाकामी ही हाथ लगी है. प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के 161 पदों पर नियुक्ति के लिए पिछले महीने सातवीं बार प्रक्रिया शुरू की गई थी. 10 और 11 फरवरी को रांची के रिम्स में इंटरव्यू लिया गया था, लेकिन कुछ ही डॉक्टरों के आवेदन आए. इस वजह से विभाग ने नियुक्ति की प्रक्रिया को ही रद्द कर दी.
8 सालों से शिक्षकों की कमी
धनबाद समेत राज्य भर के मेडिकल कॉलेजों में लगभग 8 सालों से शिक्षकों की कमी है. इससे मेडिकल कॉलेजों की मान्यता पर सवाल उठते रहे हैं. धनबाद के SNMMCH में शिक्षकों की 32% कमी है. फैकल्टी में कमी के कारण एमबीबीएस सीटें घटाकर 50 कर दी गई थी. 6 साल बाद फिर से एक सौ की गई है. राज्य में नियमित चिकित्सकों की नियुक्ति करने में नाकाम स्वास्थ्य विभाग अनुबंध के आधार पर ही डॉक्टरों की नियुक्ति की कोशिश कर रहा है, लेकिन सफलता नहीं मिल रही है. जुलाई 19 से अब तक मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों की नियुक्ति की इस साल सातवीं कोशिश की गई. 2 साल के अनुबंध पर नियुक्तियां होनी है. लेकिन पिछले 6 बार की तरह इस बार भी डॉक्टरों ने रुचि नहीं दिखाई. इसके पहले भी साक्षात्कार में आधा दर्जन से अधिक डॉक्टर कभी नहीं पहुंचे. हर बार प्रक्रिया रद्द कर फिर से शुरू की गई लेकिन सफलता नहीं मिली. जब डॉक्टर नहीं मिल रहे हैं तो सरकार को भी कुछ सोचना चाहिए .कायदे कानून में बदलाव लाने चाहिए, जिससे डॉक्टर झारखंड की ओर आकर्षित हो.
रिपोर्ट : सत्यभूषण सिंह, धनबाद
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