झारखंड में निकाय चुनाव: अगले महीने के अंत तक जारी हो सकती है अधिसूचना, किस -किस पर प्रभाव डालेगा चक्रीय आरक्षण!


धनबाद(DHANBAD): झारखंड में निकाय चुनाव की तैयारियां तेज हो गई है. राजनीतिक दल भी अपने ढंग से तैयारी शुरू कर दिए है. जगह-जगह बैठकों का दौर चल रहा है. प्रत्याशी जनसंपर्क चला रहे है. होर्डिंग टांग कर अपने को सर्वोत्तम उम्मीदवार बता रहे है. जानकारी के अनुसार नगर निगम के मेयर, नगर परिषद और नगर पंचायत के अध्यक्ष पदों से चक्रीय आरक्षण हटा लिया गया है. नए आरक्षण फार्मूले के अनुसार मेयर और अध्यक्ष पदों के क्रम में सबसे पहले एसटी फिर एस सी, उसके बाद बी सी- 1 फिर बी सी-2 को आरक्षण मिलेगा. एक आकलन के अनुसार राज्य में अधिकतम 50% आरक्षण सीमा के कारण 9 नगर निगम में से केवल चार नगर निगम के मेयर पद आरक्षित किये जा सकेंगे.
माना जा रहा है कि रांची और आदित्यपुर नगर निगम का मेयर पद अनुसूचित जनजाति, गिरिडीह नगर निगम का मेयर पद अनुसूचित जाति और हजारीबाग नगर निगम का मेयर पद पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हो सकता है. धनबाद ,देवघर, चास , मेदिनी नगर और मानगो नगर निगम का मेयर पद अनारक्षित रह सकता है. वार्ड, नगर परिषद और नगर पंचायत अध्यक्ष तथा मेयर पद का आरक्षण जारी होने के बाद निर्वाचन आयोग निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करेगा. समझा जा रहा है कि जनवरी के अंतिम सप्ताह या फरवरी के पहले सप्ताह में अधिसूचना जारी हो सकती है.
आयोग ने हाईकोर्ट को बताया है कि 8 सप्ताह में निकाय चुनाव की तैयारी पूरी कर ली जाएगी और 45 दिनों में चुनाव प्रक्रिया संपन्न करा ली जाएगी. सूत्रों के अनुसार आयोग ने जिलों को कैलेंडर बनाकर तैयारी को अंतिम रूप देने को कहा है. साथ ही वार्डो का आरक्षण तय कर भेजने को भी कहा गया है. जिससे इसे अंतिम रूप दिया जा सके. आयोग के अनुमोदन के बाद ही जिलों से आरक्षण की सूची जारी की जाएगी. इसके बाद ही नगर पंचायत अध्यक्ष, नगर परिषद अध्यक्ष और मेयर पद का आरक्षण तय होगा. नई व्यवस्था में वार्ड पार्षदों के लिए चक्रीय आरक्षण एक बार फिर शुरू किया गया है.
हालांकि नगर निगम के मेयर, नगर परिषद और नगर पंचायत के अध्यक्ष पदों से चक्रीय आरक्षण हटा दिया गया है. इधर, पता चला है कि झारखंड में नगर निकाय चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों पर दो से अधिक संतान न होने की शर्त लागू होगी. नियमों के मुताबिक ऐसे उम्मीदवार जिनकी दो से अधिक संतान है, और जिनकी अंतिम संतान का जन्म 2013 के बाद हुआ है , वह चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य माने जाएंगे. आयोग के इस निर्देश के बाद कई जिलों के चुनावी समीकरण बदल सकते है . वैसे संतान को लेकर उम्मीदवार तभी अयोग्य होंगे, जब उनकी संतान की संख्या 9 फरवरी 2013 के बाद बढ़ी हो. यदि किसी उम्मीदवार के दो से अधिक बच्चे उक्त तिथि से पहले ही थे और उसके बाद कोई संतान नहीं हुआ है, तो वह चुनाव लड़ने के योग्य होंगे.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
4+